Corona के खौफ से शुरू हुई खोज, भारत सहित दुनिया भर के समुद्रों में मिले 5500 से ज्यादा नए Virus
उन्होंने अब हाल ही में एक बयान देकर लोगों को हैरत में डाल दिया है. उन्होंने कहा कि वह भगवान द्वारा बनाए गए अभी तक के सबसे ईमानदार शख्स हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि दुनियाभर के समुद्रों में वायरसों की 5500 से ज्यादा नई प्रजातियां मिली हैं. कोरोना वायरस (Coronavirus) से परेशान दुनिया के लिए यह एक खतरनाक खबर है. हैरानी की बात ये है कि ये सारे के सारे वायरस कोरोना वायरस की तरह ही RNA वायरस हैं. चिंता की बात तो ये है कि भारत के सागरों में भी ये वायरस मौजूद है. खासतौर से अरब सागर के और हिंद महासागर के उत्तर-पश्चिमी इलाकों में.
वैज्ञानिकों को इतनी ज्यादा संख्या में वायरसों के मिलने की उम्मीद नहीं थी. अब ये लोग वायरसों के 5 फाइला को दोगुना करने की योजना बना रहे हैं. ताकि इनके टैक्सोनॉमिक समूह का वर्गीकरण किया जा सके. किंगडम में ठीक बाद आता है फाइलम जिसमें जीव के बारे में काफी ज्यादा डिटेल होता है.
द ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसर मैथ्यू सुलिवन ने एक बयान में कहा कि समुद्र से मिले वायरसों बहुत ज्यादा अंतर है. ये सब नए फाइलम के हैं. इसमें से एक टाराविरिकोटा (Taraviricota) सभी समुद्रों में पाया गया है. यानी दुनिया के हर सागर में इसकी मौजूदगी दर्ज की गई है. लेकिन ये इकोलॉजी के हिसाब से बेहद जरूरी हैं. RNA वायरसों की खोज और उनकी स्टडी के लिए कोरोना वायरस के वैरिएंट्स ने दबाव बनाया.
मैथ्यू सुलिवन ने कहा कि ये 5500 RNA वायरस बेहद छोटी संख्या है. अभी और खोज करनी बाकी है. हो सकता है कि हमें लाखों की संख्या में नए वायरस मिलें. इन वायरसों से संबंधित स्टडी हाल ही में जर्नल Science में प्रकाशित हुई है. जिसमें बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने वायरसों की खोज के लिए दुनिया भर के समुद्रों के 121 स्थानों से पानी के 35 हजार सैंपल लिए. ये सभी वैज्ञानिक समुद्री क्लाइमेट चेंज का अध्ययन करने वाले तारा ओशंस कंसोर्टियम नामक ग्लोबल प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं.
वैज्ञानिकों ने समुद्री प्लैंकटॉन्स (Planktons) के जेनेटिक सिक्वेंस की स्टडी की. इनके अंदर ही ये RNA वायरस मिले हैं. सभी RNA वायरसों में एक प्राचीन जीन RdRp मिला है, लेकिन यह अन्य वायरसों और कोशिकाओं में नहीं मिला. वैज्ञानिकों ने कुल मिलाकर 44 हजार जीन सिक्वेंस किए. लेकिन पता चला कि RdRp जीन अरबों साल पुराना है. यह कई बार इवॉल्व हो चुका है. यह इतना पुराना है कि इसकी उत्पत्ति और वंशावली खोजने में बहुत ज्यादा समय लगेगा.
मैथ्यू ने बताया खोजे गए 5500 से ज्यादा नए RNA वायरसों को पांच नए फाइलम में डाला जा रहा है. ये हैं टाराविरिकोटा (Taraviricota), पोमीविरिकोटा (Pomiviricota), पैराजेनोविरिकोटा (Paraxenoviricota), वामोविरिकोटा (Wamoviricota) और आर्कटिविरिकोटा (Arctiviricota).
टाराविरिकोटा (Taraviricota) सभी समुद्रों में मौजूद मिला. जबकि, आर्कटिविरिकोटा (Arctiviricota) सिर्फ उत्तरी ध्रुव पर मौजूद आर्कटिक सागर में पाया गया. अब इस बात का अध्ययन किया जा रहा है कि प्राचीन जीन RdRp धरती पर कैसे आया, कितनी बार इवॉल्व हुआ, इसका काम क्या है, क्या ये वायरस और यह प्राचीन जीन इंसानों के लिए खतरा बन सकते हैं.
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में इस स्टडी को लीड करने वाले साइंटिस्ट अहमद जायेद ने कहा कि RdRp एक बेहद प्राचीन जीन है. यह तब से मौजूद है जब डीएनए की शुरुआत हो रही थी. फिलहाल तो हम अन्य वायरसों की उत्पत्ति का इतिहास खंगाल रहे हैं, ताकि यह पता चल सके कि कौन सा वायरस कब आया. उससे कोई नुकसान है या फायदा.