धरती के दोनों ही ध्रुवों पर पड़ रही भीषण गर्मी, अंटार्कटिका में 70 डिग्री बढ़ा पारा, मचेगी तबाही ?

धरती के संतुलन को बनाए रखने में बेहद अहम भूमिका निभाने वाले उत्‍तरी और दक्षिणी ध्रुव पर भीषण गर्मी पड़ रही है। हालत यह है कि मध्‍य मार्च में

Update: 2022-03-20 17:47 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बर्फ की सफेद चादर से ढंके धरती के दोनों ही ध्रुव इन दिनों भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं। आलम यह है कि अंटार्कटिका में तापमान सामान्‍य से 70 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। वहीं आर्कटिक में भी तापमान 50 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। फिलहाल अंटार्कटिका में तापमान 40 डिग्री और आर्कटिक में पारा 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है जो सामान्‍य से कहीं ज्‍यादा गरम है। विशेषज्ञों के मुताबिक दोनों ही ध्रुवों पर बढ़ती गर्मी से वहां जमी बर्फ के पिघलने की दर तेज हो सकती है जिससे समुद्र का जलस्‍तर बढ़ेगा। इससे दुनिया के निचले इलाकों के डूबने की दर तेज हो जाएगी।

अंटार्कटिका में शुक्रवार को मौसम केंद्रों ने रेकॉर्ड तापमान दर्ज किया। कोनकोर्डिया स्‍टेशन पर औसत से 70 डिग्री सेल्सियस तापमान ज्‍यादा दर्ज किया गया। इसके साथ ही यहां पर गर्मी के सारे रेकॉर्ड टूट गए। इससे पहले यह रेकॉर्ड औसत से 27 डिग्री सेल्सियस ज्‍यादा होने का था। ध्रुवों के मौसम पर नजर रखने वाले Maximiliano Herrera के ट्वीट के मुताबिक तटीय टेरा नोवा इलाके में तापमान अभी 7 डिग्री सेल्सियस है जो बर्फ को जमा नहीं सकती है।
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तापमान औसत से 50 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर पहुंचा
इस आंकड़े को देखकर अमेरिका के नैशनल स्‍नो एंड आइएस डेटा सेंटर के अधिकारी भी हैरान हैं। इसकी वजह यह है कि वे अभी तक आर्कटिक की ओर ध्‍यान गड़ाए बैठे थे जहां तापमान औसत से 50 डिग्री सेल्सियस तक ऊपर पहुंच गया है। हालत यह है कि उत्‍तरी ध्रुव के पास बर्फ या तो पिघलने की स्थिति में पहुंच गई है या पहुंच रही है। वैज्ञानिकों ने कहा कि मध्‍य मार्च में इतनी गर्मी पड़ना अपने आप में बहुत असामान्‍य है
वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्‍तरी और दक्षिणी ध्रुव पर अलग- अलग मौसम रहता है। हमने अभी तक यह नहीं पाया था कि उत्‍तरी और दक्षिणी ध्रुव एक ही समय में पिघल रहे हों। उन्‍होंने कहा कि यह निश्चित रूप से एक असामान्‍य घटना है जो काफी चौंकाने वाला है। यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो में बर्फ विज्ञानी टेड स्‍कामबोस ने कहा कि अंटार्कटिका में पहले ऐसा कभी नहीं देखा गया। अमेरिका के विस्‍कॉन्सिन यूनिवर्सिटी में मौसम विज्ञानी मैथ्‍यू लज्‍जारा ने कहा कि जब ऐसी चीज देखते हैं तो यह निश्चित रूप से अच्‍छा संकेत नहीं है।
200 फुट तक बढ़ सकता है दुनियाभर में समुद्र का जलस्‍तर
अभी तक यह स्‍पष्‍ट नहीं हो पाया है कि यह गर्मी जलवायु परिवर्तन की वजह से है या किसी और वजह से। इससे पहले नैशनल स्‍नो एंड आइस डेटा सेंटर ने चेतावनी दी थी कि अंटार्कटिका धरती के अन्‍य हिस्‍सों की तुलना में ज्‍यादा तेजी से गरम हो रहा है। बता दें कि अंटार्कटिका में बर्फ के रूप में इतना ज्‍यादा पानी जमा है जिसके पिघलने पर दुनियाभर में समुद्र का जलस्‍तर 200 फुट तक बढ़ सकता है। नेचर पत्रिका के मुताबिक वर्ष 1880 के बाद समुद्र के जलस्‍तर में औसतन 9 इंच की बढ़ोत्‍तरी हुई है। इनमें से एक तिहाई पानी ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका की बर्फ पिघलने से आया है।


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