रेगिस्तान के बीच में 'नरक के गड्ढे', पहली बार उतरे वैज्ञानिकों ने खोले कई भूत-पिशाचों के राज़

यमन (Yemen) के रेगिस्तान के बीच एक ऐसा 'कुआं' है,

Update: 2021-09-24 16:19 GMT

यमन (Yemen) के रेगिस्तान के बीच एक ऐसा 'कुआं' है, जो लंबे वक्त से रहस्यमयी बना हुआ है. यमन के बरहूत में स्थित इस कुएं को 'नरक का रास्ता' (Well of Hell)तक कहा जाने लगा. अब ओमान की 8 लोगों की एक टीम इसके तले में उतरी है और देखा है कि आखिर इस रहस्यमय गड्ढे में क्या है. कहा जाता रहा कि यहां शैतानों को कैद किया जाता था. इसके अंदर जिन और भूत रहते हैं. स्थानीय लोग इसके बारे में बात करने से भी कतराते हैं. हालांकि, जाहिर है गड्ढे के अंदर ऐसा कुछ भी सुपरनैचरल नहीं मिला. वैज्ञानिकों को बड़ी संख्या में सांप और गुफाओं वाले मोती जरूर मिले.

कहा जाता रहा कि यहां शैतानों को कैद किया जाता था. इसके अंदर जिन और भूत रहते हैं. स्थानीय लोग इसके बारे में बात करने से भी कतराते हैं. हालांकि, जाहिर है गड्ढे के अंदर ऐसा कुछ भी सुपरनैचरल नहीं मिला. वैज्ञानिकों को बड़ी संख्या में सांप और गुफाओं वाले मोती जरूर मिले. ओमान के करीब मिला यह गड्ढा 30 मीटर चौड़ा और 100-250 मीटर गहरा है. यमन के अधिकारी लंबे वक्त तक सोचते रहे कि इस विशाल गड्ढे के तले में आखिर है क्या. ओमान केव एक्सप्लोरेशन टीम (OCET) इस गड्ढे में नीचे उतरी और यहां बड़ी संख्या में सांप पाए गए. इनके अलावा कुछ मरे हुए जानवर और गुफाओं के मोती भी पाए गए.


 ओमान के करीब मिला यह गड्ढा 30 मीटर चौड़ा और 100-250 मीटर गहरा है. यमन के अधिकारी लंबे वक्त तक सोचते रहे कि इस विशाल गड्ढे के तले में आखिर है क्या. ओमान केव एक्सप्लोरेशन टीम (OCET) इस गड्ढे में नीचे उतरी और यहां बड़ी संख्या में सांप पाए गए. इनके अलावा कुछ मरे हुए जानवर और गुफाओं के मोती भी पाए गए. ओमान की जर्मन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी के जियॉलजी प्रोफेसर मोहम्मद अल किंदी ने बताया कि यहां सांप जरूर थे, लेकिन उन्हें आप परेशान न करें, तो वे कुछ नहीं करते. यहां की गुफा की दीवारों पर दिलचस्प बनावटें दिखी हैं और ग्रे और हरे रंग के मोती मिले हैं जो बहते पानी से बने हैं.

ओमान की जर्मन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नॉलजी के जियॉलजी प्रोफेसर मोहम्मद अल किंदी ने बताया कि यहां सांप जरूर थे, लेकिन उन्हें आप परेशान न करें, तो वे कुछ नहीं करते. यहां की गुफा की दीवारों पर दिलचस्प बनावटें दिखी हैं और ग्रे और हरे रंग के मोती मिले हैं जो बहते पानी से बने हैं.
माहरा के जियॉलजिकल सर्वे और मिनरल रिसोर्स अथॉरिटी की डायरेक्टर-जनरल सालाह बभैर ने पहले बताया था कि यह गड्ढा बहुत गहरा है और इसके तले में बेहद कम ऑक्सिजन और वेंटिलेशन है. सालाह का कहना था कि 50 मीटर नीचे तक जाया गया है. यहां कुछ अजीब भी मिला और गंध भी थी. इस गड्ढे में ज्यादा गहराई तक रोशनी नहीं जाती है.माहरा के जियॉलजिकल सर्वे और मिनरल रिसोर्स अथॉरिटी की डायरेक्टर-जनरल सालाह बभैर ने पहले बताया था कि यह गड्ढा बहुत गहरा है और इसके तले में बेहद कम ऑक्सिजन और वेंटिलेशन है. सालाह का कहना था कि 50 मीटर नीचे तक जाया गया है. यहां कुछ अजीब भी मिला और गंध भी थी. इस गड्ढे में ज्यादा गहराई तक रोशनी नहीं जाती है.


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