जूपिटर पर X-rays की रहस्यमयी चमक, चौंके वैज्ञानिक

धरती से 20 हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली

Update: 2021-07-10 14:08 GMT

ब्रह्मांड की असीम दुनिया में आए दिन कुछ न कुछ नया देखने को मिलता रहता है. अब वैज्ञानिकों को जूपिटर यानी बृहस्पति के औरोरा से एक्सरे (X-rays) की रहस्यमयी चमक देखने को मिली है. एक नए अध्ययन में यह पता चला है कि इस विशाल ग्रह पर दिखने वाली चमक काफी हद तक पृथ्वी पर दिखने वाली नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights) जैसी है. (Mystery of Jupiter powerful X Ray auroras solved after 40 years similar like Earth northern lights)

औरोरा, मतलब खूबसूरत रोशनी के झिलमिलाता प्रदर्शन को पृथ्वी पर नॉर्दर्न या सर्दर्न लाइट्स कहते हैं. पोल्स के ऊपर से सौरमंडल के आसपास के कई ग्रहों पर यह दिखता है. यह डांस करती लाइट्स दरअसल तब पैदा होती है, जब सूर्य या अन्य खगोलीय पिंड की एनर्जिक पार्टिकल्स किसी ग्रह के मैग्नेटोस्फेयर से टकराते हैं. इससे मैग्नेटिक फील्ड लाइन्स के वातावरण में इसके कण फैल जाते हैं.

धरती से 20 हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली
जूपिटर की मैग्नेटिक फील्ड बहुत ही ज्यादा स्ट्रॉन्ग है. पृथ्वी की तुलना में यह 20 हजार गुना ज्यादा शक्तिशाली है. इसलिए इसका मैग्नेटोस्फेयर बहुत ही विशाल है. अगर रात के आसमान में यह मैग्नेटोस्फेयर दिखता है, तो यह चांद से कई गुना ज्यादा एरिया कवर कर सकता है. जूपिटर का औरोरा धरती से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है. यह सैकड़ों गीगावाट्स की एनर्जी छोड़ता है. यह इतनी ज्यादा है कि पूरी मानव जाति को इससे इससे बिजली मिल सकती है.
ग्रह पर निकलती हैं रहस्यमयी एक्स-रे
जूपिटर के औरोरा से रहस्यमयी एक्सरे चमक भी निकलती है. ये इलेक्ट्रिकली चार्ज सल्फर और ऑक्सीजन आयन जूपिटर के वोलकेनिक चांद पर फैल जाते हैं. ये एक्सरे इतनी ज्यादा ऊर्जा छोड़ते हैं कि पूरी धरती पर कई दिनों तक बिजली की आपूर्ति की जा सकती है.
40 साल से बनी हुई थी मिस्ट्री
यह चमक विशेषज्ञों के लिए लंबे समय मिस्ट्री बनी हुई थी. अध्ययन के सह लेख बीजिंग में की लैबोरेट्री ऑफ अर्थ एंड प्लेनेटरी फिजिक्स के वैज्ञानिक झोंगुआ यो ने स्पेस.कॉम से बातचीत में कहा, '40 साल से भी ज्यादा समय से हम जूपिटर की एक्सरे औरोरा को लेकर आश्चर्यचकित थे.' इस चमक के स्रोत का पता लगाने के लिए शोधकर्ताओं ने NASA के जूनो प्रोब की मदद ली. यह 16 और 17 जुलाई, 2017 जूपिटर की कक्षा में इसके मैग्नेटोस्फेयर का अध्ययन करने गया था. इसके अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के XMM-Newton Telescope से लिए गए डाटा का भी अध्ययन किया गया.
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