कभी सोती नहीं है मेहनती चींटी, दिन-रात चलाती रहती है नन्हा सा दिमाग
चींटी इतने सामान्य कीड़े-मकोड़ों में आती है कि हम अक्सर इसे अपने घर के आस-पास देख लेते हैं. दिखने में बेहद छोटी चींटी अपने आपमें कुदरत का बेहद खास क्रीचर है. चींटी जितनी मेहनती होती है
चींटी इतने सामान्य कीड़े-मकोड़ों में आती है कि हम अक्सर इसे अपने घर के आस-पास देख लेते हैं. दिखने में बेहद छोटी चींटी अपने आपमें कुदरत का बेहद खास क्रीचर है. चींटी जितनी मेहनती होती है, उसकी तुलना में उसका शरीर बहुत ही कॉम्प्लीकेशंस से भरा रहता है. इस जीव से जुड़ी कुछ चीज़ें तो बेहद अजीब हैं, शायद इनके बारे में आपको पता नहीं होगा.
आपने चींटियों को अक्सर एक साथ चलते देखा होगा क्योंकि बेहद सामाजिक होती हैं. इन्हें कुनबे में ही रहना पसंद है लेकिन सीधी-सादी दिखने वाली चींटियां अपनी कॉलोनी की लड़ाई इतने भयानक तरीके से लड़ती हैं कि इसमें उनकी जान तक चली जाती है. मधुमक्खियों की तरह ही इनकी कॉलोनी भी काफी व्यवस्थित ढंग से चलती है, जहां सभी के काम बंटे होते हैं. इसके अलावा भी कुछ मज़ेदार फैक्ट्स हम आपको इनके बारे में बताते हैं –
दिखने में छोटी चींटी के दिमाग में कुल ढाई लाख मस्तिष्क की कोशिकाएं पाई जाती हैं. इनके सहारे वो अपना दिमाग लगातार चलाती रहती हैं.
उन्हें अपने शरीर और दिमाग को चार्ज करने के लिए सोने की ज़रूरत भी नहीं होती. इसकी जगह चीटिंयां कई बार में छोटी-छोटी झपकियां लेकर काम चलाती हैं. वे लगभग 250 झपकियां हर दिन लेती हैं, जो 1 मिनट से ज्यादा की नहीं होतीं.
चींटियां अपने छोटे से शरीर से 20 गुना ज्यादा वज़न लेकर चल सकती हैं. आपने अक्सर उन्हें खाने के बड़े टुकड़े या किसी मरे जीव को सिर पर उठाकर ले जाते देखा होगा.
चींटियों के कान भी नहीं होते, ऐसे में वे सुन नहीं पातीं. इसके बदले वे पैरों की वाइब्रेशन और उसके आस-पास की तंत्रिकाओं से हलचल का पता लगाती हैं और उसके अनुरूप काम करती हैं.
कुछ चींटियों के पंख होते हैं और कुछ के नहीं. वैसे सभी चींटियों की प्रजातियां पंख उगा सकती हैं, ये उनके ऊपर होता है कि वो ऐसा चाहती हैं या नहीं.
एक रिसर्च के मुताबिक धरती पर चींटियां 130 मिलियन सालों से मौजूद हैं और इनकी कुल 13,379 प्रजातियां पाई जाती हैं. चीटियों की कॉलोनियां कई बार धरती के नीचे मीलों लंबी होती हैं.
हर चींटी के दो पेट भी होते हैं. एक पेट में वो खाना स्टोर करती है और इसे अपने वर्कप्लेस पर ले जाती हैं, जबकि दूसरे पेट का खाना वे दूसरी चींटी को देती हैं.