इस मंदिर में जल रही है ज्वाला, वैज्ञानिकों के लिए आज तक बनी पहेली

दुनियाभर के लिए भारत आस्था का केंद्र है। हिंदू धर्म में भगवान शिव देवों के देव महादेव कहे जाते हैं।

Update: 2021-09-29 11:24 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर के लिए भारत आस्था का केंद्र है। हिंदू धर्म में भगवान शिव देवों के देव महादेव कहे जाते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ और गंगाधार आदि नामों से भी पुकारा जाता है। भगवान शिव को चमत्कारों का स्वामी माना जाता है। महादेव के सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में प्रसिद्ध मंदिर हैं। पड़ोसी देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर है। इन देशों में स्थित कई मंदिर तो इतने चमत्कारिक हैं कि  वैज्ञानिक भी आज तक इनका रहस्य सुलझा नहीं पाए हैं।

बांग्लादेश में ऐसा ही एक प्राचीन शिव मंदिर अपने चमत्कार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इस भगवान शिव के मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन और पूजा करने के लिए आते हैं। इसकी एक वजह मंदिर के प्रति लोगों की आस्था है और दूसरा यहां की जलती ज्वाला। इस चामात्कारिक मंदिर का नाम अग्निकुंड महादेव मंदिर है।

दुनिया में अपने चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध यह महादेव मंदिर बाग्लादेश के चिट्टागांव में स्थित है। यह मंदिर दुनिया के लिए आश्चर्य का केंद्र है। कहा जाता है यहां मंदिर में मौजूद अग्निकुंड में आग की ज्वाला सालों से जलती चली आ रही है। आज तक इसे कोई बुझा नहीं सका है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि अभी तक कोई भी पुरातत्वविद इस आग के स्रोत की खोज नहीं कर पाया है। हाल ही में बांग्लादेश हिंदू यूनिटी काउंसिल की तरफ से अग्निकुंड महादेव मंदिर की कुछ तस्वीरें शेयर की गई हैं।

कंबोडिया में है दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर 

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित हिंदू मंदिर लोगों की आस्था और आकर्षण का केंद्र हैं। इन मंदिरों की देशों की अर्थव्यवस्था और पर्यटन क्षेत्र में भी अहम भूमिका है। हिंदू बहुसंख्यक आबादी वाले भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर भारत में नहीं है। यह मंदिर कंबोडिया में स्थित है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। यह दुनिया का सबसे हिंदू मंदिर माना जाता है। 

श्रीलंका में है प्राचीन मंदिर

भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में हिंदु धर्म का प्राचीन मंदिर स्थित है जिसका नाम मुन्नेस्वरम मंदिर है। बताया जाता है कि इस मंदिर की स्थापना 12वीं सदी में कम्बुज के राजा सूर्यवर्मा ने की थी। इस मंदिर की चौड़ाई 650 फुट और लंबाई ढाई मील है। मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यह मंदिर इतना बड़ा है कि इसके परिसर में 5 और मंदिर हैं।

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