जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पेड़ों (Trees) का जीवन खतरे में हैं और इसकी वजह जलवायु परिवर्तन (Climate Change) है. लेकिन यह इतना सीधा मामला है नहीं. बेशक जलवायु परिवर्तन और निर्वनीकरण यानि इंसानों द्वारा काटे जा रहे वनों के कारण ही पेड़ अपने अस्तित्व की लड़ाई की ओर जा रहे हैं, लेकिन इसमें बहुत सारे कारकों का योगदान है जिससे यह समस्या बहुत गंभीर रूप लेती जा रही है. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने जंगल की आग (Wildfire), कीड़े, सूखे जैसे कई कारकों पर रोशनी डालने का काम किया है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
हाल ही में इकोलॉजी लैटर्स जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में इस बात को रेखांकित किया गया है कि यदि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के लिए हवा में कार्बन (Carbon) की मात्रा को कम करने के लिए पेड़ों (Trees) पर ज्यादा निर्भरता दिखाई गई तो इसका उल्टा असर भी हो सकता है क्यों कि दुनिया में बढ़ते हुए जंगल की आग के हादसे नुकसान को बढ़ा भी सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इस अध्ययन में बताया गया है कि वैसे तो पौधारोपण पर्यावरण (Environment) के लिए बहुत सकारात्मक कार्य होता है, क्योंकि पेड़ वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड ले लेते हैं जिसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण उत्सर्जन से बढ़ी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) कम हो जाती है, लेकिन अगर जंगल की आग ऐसे ही पेड़ों को जलाती रही पेड़ों और जंगलों की कार्बनडाइऑक्साइड वायुमंडल में वापस पहुंच जाएगी. ऐसा ही सूखे और कीड़ों की वजह से मरने वाले पेड़ों के साथ भी होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
इस अध्ययन में बताया गया है कि वैसे तो पौधारोपण पर्यावरण (Environment) के लिए बहुत सकारात्मक कार्य होता है, क्योंकि पेड़ वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड ले लेते हैं जिसे जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण उत्सर्जन से बढ़ी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) कम हो जाती है, लेकिन अगर जंगल की आग ऐसे ही पेड़ों को जलाती रही पेड़ों और जंगलों की कार्बनडाइऑक्साइड वायुमंडल में वापस पहुंच जाएगी. ऐसा ही सूखे और कीड़ों की वजह से मरने वाले पेड़ों के साथ भी होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
नए अध्ययन के मुताबिक इस तरह के खतरे अब जंगलों (Forests) पर कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने के लिहाज से भरोसा करना जोखिम का काम होता जा रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटाह स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेस के एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक विलियम एंडरैग का कहना है कि अमेरिका के जंगल (US Forests) इस सदी के अंत तक नाटकीय ढंग से बदल जाएंगे. बार बार और तीव्र जंगल की आग के साथ व्यवधानों का हमारी भूआकृतियों पर पड़ा प्रभाव पड़ा है. कई इलाकों में जंगल के इलाके गायब हो जाएंगे और यह इस पर ज्यादा निर्भर करेगा कि हमें जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से कैसे निपटते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं ने पूरे अमेरिका में आग, जलवायु दबाव, (गर्मी और या सूखा) और कीड़ों की वजह से पेड़ों के मरने के जोखिम का प्रतिमान (Climate Models) बनाए. इनके जरिए उन्होंने यह आंकलन किया कि आने वाले समय में 21वीं सदी में यह जोखिम कैसे और कितना ज्यादा बढ़ सकता है. इस जानकारी को उन्होंने अमेरिका (USA) के नक्शे पर उतारा. यह नक्शा दर्शाता कि कैसे सदी के अंत तक पश्चिम अमेरिका के जंगल का पूरा ही इसका आग की वजह से प्रभावित हो जाएगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
2099 तक अकेले अमेरिका में ही जंगल की आग (Wildfire) जैसे जोखिम चार से 14 गुना तक बढ़ जाएंगे. वहीं इसी दौरान जलवायु दबाव के कारण पेड़ों की मौत (Death of Trees) और कीड़ों के कारण होने वाली मौत भी दो गुनी हो जाएगी. वहीं कुछ प्रतिमानों में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) से निपटने के लिए किए गए मानवीय प्रयासों से जलवायु परिवर्तन की तीव्रता नाटकीय ढंग से कम हुई जिससे जंगल की आग, सूखे और कीड़ों की वजह से पेड़ों के मरने की घटनाओं में कमी दिखी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) इन तीन व्यवधानों को बहुत बड़ा बना सकता है. पिछले कई सालों में जंगल की आग (Wildfire) ने बहुत ज्यादा कहर ढाया है. उन्होंने पाया कि इसका पश्चिमी अमेरिका (Western USA) पर ज्यादा असर होगा. ये एक दूसरे से जुड़े भी हुए हैं. जलवायु परिवर्तन की वजह से तेज गर्मी और सूखा जंगल में आग का कारण बनता है और आगलगने से बहुत से पेड़ मरते हैं जिससे कीड़ों की संख्या बढ़ने लगती है. लेकिन जलवायु परिवर्तन का समाधान हमें हमारे जंगलों को बचाने में मदद कर सकता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)