1990 के दशक में खत्म हुई टकिला फिश फिर हुई पैदा, जानिए कहां से आई ये खबर

Update: 2022-01-03 09:53 GMT

नई दिल्ली: किसी समय की बात है, जब मेक्सिको की नदियों में एक छोटी मछली तैरा करती थी. लेकिन यह मछली 1990 के दशक में खत्म हो गई. इसकी प्रजाति पूरी तरह से विलुप्त हो गई. फिर वैज्ञानिकों ने अपनी निपुणता से एक चमत्कार किया. इस प्यारी मछली को वापस 'जिंदा' किया. यहां जिंदा करने का मतलब है वापस उसी प्रजाति की संख्या को बढ़ाना. आइए जानते हैं कि इस मछली और उसके एक बार खत्म होकर वापस जीवित होने की कहानी को...

पश्चिमी मेक्सिको की नदियों के तैरने वाली इस छोटी मछली का नाम है टकिला स्प्ल्टिफिन (tequila splitfin) या जूगोनेटिकस टकिला (zoogoneticus tequila). वैज्ञानिकों ने सिर्फ इस मछली को पैदा करने के लिए रिसर्च नहीं किए बल्कि उन्होंने स्थानीय लोगों को इन्हें बचाने के लिए जागरूक भी किया. ताकि इस मछली की प्रजाति को वापस खत्म होने से बचाया जा सके. इस काम के लिए सामुदायिक तौर पर लोगों ने वैज्ञानिकों की मदद की. 
इस विलुप्त हो चुकी मछली को बचाने की मुहिम दो दशक से चल रही है. कहानी शुरु होती है, मेक्सिको के टकिला ज्वालामुखी के पास स्थित ट्यूचिटलान कस्बे से. यहां पर आधा दर्जन स्टूडेंट्स को इस हथेली के आकार की मछली के विलुप्त होने की चिंता थी. यह स्थानीय जलाशयों, नदियों से गायब होती जा रही थी. वजह थी प्रदूषण, इंसानी गतिविधियां और गैर-स्थानीय मछली की प्रजातियों का आना. 
इन छात्रों में से एक हैं ओमार डॉमिनग्वेज, जो अब 47 वर्ष के हैं. साथ ही यूनिवर्सिटी ऑफ मिचोकान के साइंटिस्ट और शोधकर्ता हैं. ओमार कहते हैं कि उनके बुजुर्ग इस मछली को गैलिटो या लिटिल रूस्टर कहकर बुलाते थे. क्योंकि इसकी पूंछ नारंगी रंग की होती थी. पर धीरे-धीरे सब खत्म होती चली जा रही थीं. हमने खुद इन मछलियों की संख्या को गिरते देखा है. 
साल 1998 में इंग्लैंड के चेस्टर चिड़ियाघर और अन्य यूरोपीय वैज्ञानिक संस्थानों के पर्यावरणविद जब मेक्सिको आए तो उन्होंने ओमार समेत अन्य स्टूडेंट्स की बात सुनी. उन्होंने फैसला किया कि वो इन मछलियों को बचाएंगे. नदियों, तालाबों और जलाशयों में तो टकिला स्प्ल्टिफिन (tequila splitfin) खत्म हो चुकी थी. चिंता यह थी कि प्रजाति बचाने के लिए प्रजनन जरूरी है. प्रजनन के लिए मछलियों का मिलना जरूरी है. 
फिर ऐसे लोगों को खोजा गया जो मेक्सिको में ही इन मछलियों को अपने एक्वेरियम में रखते थे. उन्हें इस मछली की खत्म होती प्रजाति के बारे में बताया गया. लोगों ने वैज्ञानिकों की मदद की और मछलियां दे दीं. इन मछलियों को बड़े एक्वेरियम में डाल दिया गया ताकि ये आपस में प्रजनन कर सकें. कुछ ही सालों में इतनी मछलियां पैदा हो गई कि ओमार डॉमिनग्वेज ने कुछ मछलियों को ट्यूचिटलान नदी में छोड़ा.
ओमार ने कहा कि लोगों ने बताया कि नदी में छोड़ा तो मछलियां फिर से खत्म हो जाएंगी. मारी जाएंगी. इसलिए हमने पहले एक तालाब बनाया. हमनें उसमें साल 2012 तक 40 जोड़े टकिला स्प्ल्टिफिन (tequila splitfin) रखे. दो साल बाद वहां पर 10 हजार मछलियां हो गईं. इस काम के लिए चेस्टर चिड़ियाघर और यूरोप, अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात से फंडिंग भी आई. ताकि मछलियों को बचाने का काम न रुके. 
टकिला स्प्ल्टिफिन (tequila splitfin) मछलियों को बचाने के लिए ओमार और उनके बाकी पांच साथियों ने पैरासाइट की स्टडी की. पानी में मिलने वाले सूक्ष्मजीवों का अध्ययन किया. शिकारियों के बारे में जाना. अन्य मछलियों से प्रतियोगिता को समझा, इसके बाद इन मछलियों को नदियों में बचाने के लिए तैरने वाले पिंजड़ों की व्यवस्था की. मकसद था इन मछलियों को वापस नदी में लाकर नाजुक इकोसिस्टम का संतुलन बनाना. 
ओमार ने बताया कि टकिला स्प्ल्टिफिन (tequila splitfin) को बचाने के लिए हमने लोगों के बीच कठपुतलियों का शो किया, खेल खिलाया, उन्हें इस मछली की महत्ता को समझाया. हमनें यह बताया कि कैसे यह मछली डेंगू फैलाने वाले मच्छरों को खत्म करती है. कुछ स्थानीय लोगों ने इन मछलियों को बचाने वाली टीम का नाम जूगी (Zoogy) रख दिया था. उन्होंने बच्चों के बीच नदियों के गार्जियंस तैनात किए ताकि बच्चे मछलियों को बचाने के लिए मेहनत करें. 

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