स्टडी में हुआ खुलासा: कुछ लोगों में पहले से हो सकती है कोरोना के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता
कोविड-19 की बीमारी पैदा करने वाले SARS-CoV-2 से पहले दूसरे कोरोना वायरस से इन्फेक्ट हो चुके लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत हो चुका होता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोविड-19 की बीमारी पैदा करने वाले SARS-CoV-2 से पहले दूसरे कोरोना वायरस से इन्फेक्ट हो चुके लोगों का इम्यून सिस्टम मजबूत हो चुका होता है। इसलिए इस घातक वायरस के खिलाफ लड़ने की क्षमता उनके शरीर में पहले से मौजूद होती है। उत्तरी ऐरिजोना यूनिवर्सिटी (NAU) के रिसर्चर्स और ट्रांसलेशनल जीनोमिक्स रिसर्च इंस्टिट्यूट (TGen) की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इस रिसर्च की मदद से वैक्सीन और दूसरे इलाज तैयार करने के लिए मदद मिल सकती है।
ऐंटीबॉडी का 'रक्षाकवच'
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने 'PepSeq' नाम का टूल इस्तेमाल किया जिसकी मदद से सभी कोरोना वायरस के खिलाफ ऐंटीबॉडी रिस्पॉन्स को देखा गया। इनमें वे कोरोना वायरस भी शामिल थे जिनमें आम जुकाम से ज्यादा गंभीर लक्षण नहीं होते। ऐसे कोरोना वायरस को भी टेस्ट किया गया जिनसे जान का खतरा हो सकता है। रिसर्च में पाया गया कि पहले किसी कम खतरनाक कोरोना वायरस से इन्फेक्शन होने पर नए के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पहले से मजबूत हो जाती है। नए इन्फेक्शन पर पुरानी ऐंटीबॉडी रक्षा कवच बनाती हैं।
पहले हो चुका होगा इन्फेक्शन
स्टडी के सह-लेखक डॉ. जॉन ऐल्टिन ने बताया है, 'हमारे नतीजों से पता लगता है कि SARS-CoV-2 से वे ऐंटीबॉडी काम करती हैं जो अभी की महामारी से पहले बन चुकी हैं। इसका मतलब है कि कुछ हद तक लोगों में पहले से वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता है।' यह रिसर्च सेल रिपोर्ट्स मेडिसन में छपी है। माना जाता है कि मौजूदा कोरोना वायरस से पहले कम से 6 वायरसों से इन्फेक्शन हो चुका होगा।
वैक्सीन बनाने में मदद
वैज्ञानिकों ने SARS-CoV-2 के साथ दूसरे खतरनाक वायरसों के खिलाफ भी ऐंटीबॉडी प्रतिक्रिया को स्टडी किया। इनमें 2012 में सऊदी अरब में फैले MERS-CoV और 2003 में एशिया में फैले SARS-CoV-1 शामिल थे। कॉन्वलेसेंट प्लाज्मा को थेरपी के तौर पर इस्तेमाल पर रिसर्च के नतीजे बेहद अहम साबित हो सकते हैं। नई वैक्सीन और ऐंटीबॉडी थेरपी तैयार करने के लिए इसका मदद हो सकता है।