पेंगुइन को लेकर सामने आई चौंकाने वाली जानकारी, वैज्ञानिक ने खोजा शुक्र ग्रह से इनका ऐसा कनेक्शन
पेंगुइन (Penguin) को लेकर वैज्ञानिकों (Scientist) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. उनकी रिचर्स में जो बातें सामने आईं हैं, उसके मुताबिक पेंगुइन एलियंस (Aliens) हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। लंदन: एलियंस (Aliens) को लेकर ढेरों खोज होती रहती हैं और कई तरह के कयास भी लगते रहते हैं लेकिन इस बार वैज्ञानिकों ने जो दावा किया है वह होश उड़ाने के लिए काफी है. लंदन (London) के वैज्ञानिकों ने जो खोज की है, उसके मुताबिक एलियंस कई साल से धरती पर हमारे साथ ही रह रहे हैं. यही नहीं वे हमें बहुत पसंद भी हैं. जी हां, ये एलियंस और कोई नहीं बल्कि पेंगुइन (Penguin) हैं. उन्होंने पेंगुइन का शुक्र ग्रह (Venus Planet) के साथ एक कनेक्शन भी साबित कर दिया है.
पेंगुइन के मल में मिले शुक्र ग्रह का केमिकल
वैज्ञानिकों की खोज में सामने आया है कि पेंगुइन के मल (Penguin's Poop) में शुक्र ग्रह पर पाए जाने वाला एक केमिकल फॉस्फीन (Phosphine) मिला है. हालांकि वे यह नहीं बता पाए कि शुक्र ग्रह से 38 मिलियन मील (61 करोड़ किलोमीटर) दूर पृथ्वी (Earth) पर फॉस्फीन कैसे मौजूद है. ये वैज्ञानिक जेंटू पेंगुइन की जीवन शैली का अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं, ताकि यह जान सकें कि वे इस केमिकल का उत्पादन कैसे कर रहे हैं.
डेली स्टार की रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में इंपीरियल कॉलेज,लंदन के डॉ.डेव क्लेमेंट्स ने कहा है, 'हम आश्वस्त हैं कि फॉस्फीन सही है लेकिन हम यह नहीं जानते हैं कि यह कैसे बन रहा है. कुछ बैक्टीरिया हैं जो फॉस्फीन का उत्पादन करते हैं. यह तालाब के कीचड़ और पेंगुइन गुआनो में मिला है.'
शुक्र की गैस की परतों में मिला था केमिकल
पिछले साल शुक्र ग्रह के आसपास की गैस की परतों में यह केमिकल मिला था. इस ग्रह का एटमॉसफेयर पृथ्वी के जैसा ही है. NASA के अनुसार, 18 दिसंबर को फ्रेंच गुयाना से जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप की लॉन्चिंग से पहले नया शोध किया जा रहा है. जिसमें यह अन्य ग्रहों पर जीवन का पता लगाया जा रहा है. जेम्स वेब टेलिस्कोप आने वाले सालों में नासा के लिए अंतरक्षि की गहराइयों का अध्ययन करेगा. यह प्रोजेक्ट नासा, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी के कोलाबरेशन से चलाया जा रहा है.
वहीं नए खुलासे को लेकर ब्रिटेन के वैज्ञानिकों का मानना है कि पेंगुइन का अध्ययन करने से उन्हें दूसरी दुनिया में मौजूद जीवों के प्रकारों की पहचान करने में मदद मिल सकती है.