एमपी में मंडला के कृषि विज्ञान केंद्र में इन दिनों वृक्षारोपण को बढ़ाने के लिए अभिनव प्रयोग किया जा रहा है. यहां के वैज्ञानिक और कर्मचारी बीज बम बनाने में जुटे हुए हैं. बम का नाम सुनकर हम भले ही घबरा जाते हो लेकिन यह बम प्रकृति को हरा-भरा करने के लिए तैयार किया जा रहा है. मानसून सीजन में इस बम को सिर्फ फेंकना होगा और बस तैयार हो जाएंगे पौधे. मंडला कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख डॉ. विशाल मेश्राम जो मिट्टी, पानी और खाद को मिलाकर गोले बना रहे हैं. ये कोई आम मिट्टी के गोले नहीं है बल्कि बीज बम हैं.
दरअसल, लगातार घट रहे वनों के क्षेत्रफल और इसके चलते हो रहे वातावरण में बदलाव को देखते हुए वृक्षारोपण की सलाह दुनिया के सभी पर्यावरण विशेषज्ञ दे रहे हैं. वैसे तो हर साल मानसून के दौरान वृक्षारोपण होते हैं लेकिन उनके अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाते. इस समस्या को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक और प्रमुख विशाल मेश्राम, इन दिनों बड़ी संख्या में बीज बम बना रहे हैं.
बम का नाम सुन कुछ अटपटा लगे तो आपको बता दें इन बीज बमों को सीड बॉल और अर्थ बॉल भी कहते हैं. वर्मी कंपोस्ड खाद, खेत की मिट्टी की मदद से ऐसी बॉल बनाई हैं जिनमें किसी भी पेड़ के 2 बीज रखे गए हैं. खासकर इसमें सामुदायिक वानिकी के अंतरगत आने वाले वृक्ष के बीज जैसे नीम, हर्रा, बहेड़ा, कनाडा पुनीठ का लेख उनआंवला जैसे दीर्घकालिक वृक्षों को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग किया जा रहा है.
मानसून के मौसम में 2 से 3 बरसात के बाद किसी भी ऐसे स्थान पर जहां वृक्षारोपण करना है, वहां फेंकना है. इसके बाद ये बॉल बाकी का काम खुद कर देंगे. पानी मिलते ही इस बॉल के बीज अंकुरित हो जाएंगे और इसकी केंचुआ खाद और मिट्टी इन्हें बड़े होने में मदद करेगी. इतना ही नहीं यदि आप घर में इन्हें लगाना चाहते है तो केवल इसे उस जगह रख दीजिये जहां आप पौधा लगाना चाहते है. यह वृक्षारोपण का सबसे आसान तरीका है और नर्सरी में बीज लगाने, पौधे की देखरेख करने और फिर बाद में गड्ढे खोद कर रोपने से लोगों को राहत दिलाएगी.
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. विशाल मेश्राम बताते हैं कि इसका नाम बीज बम इसलिए दिया गया है क्योंकि हर अटपटे नाम के पीछे लॉजिक यह होता है कि अटपटे नाम की वजह से आकर्षण पैदा हो. यदि अटपटा नाम नहीं होता तो लोग आकर्षित नहीं होते. जब लोग आकर्षित होते हैं तो जानने की कोशिश करते हैं कि यह क्या है. इस वजह से लोगों में जिज्ञासा पैदा होती है. विकास की अंधी दौड़ के कारण वन लगातार घटते जा रहे हैं. हमें वृक्ष बढ़ाने की जरूरत है जो ऑक्सीजन हमें प्राकृतिक रूप से मिलती थी वह मिलती रहे. वर्षा भी अनियमित हो रही है, उससे उत्पादन की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. इसलिए बीज बम बनाने का प्रयास किया जा रहा है. बीज बम बनाना भी काफी आसान है. इसके लिए खेत की मिट्टी की आवश्यकता है. खेत की मिट्टी, पानी और खाद मिलाकर गोले तैयार किये जाते हैं. इन गोलों में बीज डाल दिए जाते हैं. यह दो तरीके से काम करता है या तो उसको फेंका जाता है फिर जहां वृक्षारोपण करना, वहां इसको रख दिया जाता है. मानसून आने के पश्चात जब इस में नमी होगी उससे बीजों का अंकुरण होगा और पौधे तैयार हो जाएंगे. विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार इसमें 70% सफलता मिली हुई है.