नए तरीके से खुल सकते हैं मंगल के पुरातन इतिहास के राज, रिसर्च में हुआ खुलासा
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंगल ग्रह (Mars) की जलवायु (Climate) और उसके इतिहास का गहन शोधकार्य चल रहे हैं. हर अध्ययन या तो कोई नई बात जोड़ देते है या फिर किसी पुरानी धारणा को भी खारिज या समर्थन करता है. इस तरह के तमाम शोधों का उद्देश्य यह समझना है कि मंगल कैसे एक आधुनिक पृथ्वी के जैसा ग्रह होने के बाद आज आवासीयता के लिहाज से अयोग्य ग्रह होकर रह गया. मंगल के नए भूगर्भीय अध्ययन में ऐसे नए प्रमाण मिले हैं कि जो बताते है कि पूरे मंगल के इतिहास में कब कब अपरदन की उच्च दरें (Rate of erosion) देखी गई थीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
डॉ गन ने बताया कि इससे पहले बहुत से शोधों में यह प्रकाशित किया गया है कि मंगल (Mars) की सतह पर पानी (water on Mars) के प्रमाण हैं. इसका मतलब यही है कि मंगल की सतह पर पानी था और वह वायुमंडल (Atmosphere of Mars) में भी कायम रह पाता था. लेकिन अभी तक यह तलाश जारी है कि यह वास्तव में कब हुआ था. और ऐसा कितने लंबे समय तक रह पाया था. लेकिन अब मंगल पर आवासीयता संबंधी ज्यादा ठोस प्रमाणों की जरूरत है जो वहां से लाने जाने वाले नमूनों से मिल सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
जियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में उस दौर का जिक्र है जब पुरातन मंगल (Mars) की जलवायु में अपरदन (Erosion) बहुत ज्यादा हुआ करता था.इससे पता चलता है कि यह ऐसे दौर थे जब लाल ग्रह की सतह पर पानी बहा करता था. इस अध्ययन के प्रमुख लेखक और मोनाश यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ अर्थ एटमॉस्फियर एंड एनवायर्नमेंट के डॉ एन्ड्रयू गन बताते है कि अगर हम जानना चाहते हैं कि क्या मंगल पर जीवन था या नहीं तो हमें उसके अवसादी चट्टानों (Sedimentary Rocks) के रिकॉर्ड समझने होंगे. (तस्वीर: NASA)
डॉ गन ने बताया कि उनका अध्ययन मंगल (Mars) के भूगर्भीय इतिहास में अवसादों (Sediments) के अपदरन और जमाव की दरों और समय को बिलकुल नए ही तरीके से बताता है. इसमें पहली बार मंगल की सतह पर पाए जाने वाली हर प्रकार की चट्टानों की अपदरनीयता (Erodibility) का मापन किया गया है. यह महत्वपूर्ण इसलिए है क्योंकि अध्ययन में दर्शाया गया है कि मंगल की सतह पर स्थित क्रेटर में बहुतायत में रेत उड़ कर पहुंची है जिसे लाल ग्रह के जलवायु इतिहास से जोड़कर देखा जा सकता है. इससे हम नए तरीकों से पता लगा सकते हैं कि किस भूगर्भीय काल में मंगल आवासीय ग्रह था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
शोधकर्ताओं ने बहुत सारे आंकड़ों के आधार पर मंगल (Mars) क्रेटर की रेत के निक्षेपों (Deposits of Sand) के आकार, उन्हें पैदा करने वाले स्रोत का आकंलन किया इसमें भूगर्भीय नक्शे, जलवायु सिम्यलेशन्स और सैटेलाइट आकंड़े शामिल थे. उन्होंने आंकोड़ों का संश्लेषण कर आंकलन किया और मंगल पर अपरदन (Erosions) के समय और उसके नियंत्रणों को समझने का प्रयास किया. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
पृथ्वी (Earth) और मंगल (Mars) पर एक तरह के अवसादी चक्र (sedimentary cycle) चलते हैं जहां सतह की चट्टानें धीरे धीरे अपरदन की प्रक्रिया से गुजर कर अवसादों में बदल जाती हैं. अवसाद एक दूसरे पर चढ़कर परतें बनाती हैं जिससे नई चट्टानें बनती हैं और यह प्रक्रिया चलती रहती है. पृथ्वी की सतह को टेक्टोनिक प्रक्रियाएं पुनः चक्रित करती हैं और ग्रह के अधिकांश पुराने अवसादों को हटाती हैं लेकिन मंगल पर हुआ अवसाद जमाव कायम आज भी कायम है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: shutterstock)
चट्टानों का अपरदन (Erosion of Rock) ज्यादा तेजी से होता है जब वे एक दूसरे से गैस की तुलना में पानी में टकराते हैं क्योंकि पानी ज्यादा भारी चट्टान ले जा सकता है. हवा के द्वारा बहाई जा सकने वाला अवसाद बनने के लिए जरूरी है कि नदियां उसे इतने छोटे कणों में तोड़े कि ऐसा हो पाए. डॉ गन बताते हैं कि मंगल के इतिहास (History of Mars) के कुछ दौर बताते है कि उनमें जमाव की दर ऊंची रही थी. यह दर्शाता है कि उसी दौर में सक्रिय नदियां (Rivers on Mars) भी रहीं होंगी जो पदार्थ का अपरदन कर रही होंगी