पौधों की वृद्धि का 50 साल पुराना रहस्य वैज्ञानिकों ने सुलझाया

प्रकृति के कई ऐसी घटनाएं और प्रक्रियाएं हैं जिन्हें हमारे वैज्ञानिक लंबे समय से समझने के प्रयास कर रहे हैं

Update: 2021-11-20 16:57 GMT

प्रकृति के कई ऐसी घटनाएं और प्रक्रियाएं हैं जिन्हें हमारे वैज्ञानिक लंबे समय से समझने के प्रयास कर रहे हैं. ऐसा ही एक सवाल ने वैज्ञानिकों को पिछले 50 सालों से परेशान किया हुआ था. लेकिन अब उन्होंने उसका जवाब खोज निकाला है. अमेरिका के यूसी रिवरसाइड के शोधकर्ताओं की टीम ने पहली बार दर्शाया है कि कैसे एक छोटा सा अणु एक कोशिका (Single Cell) को एक बड़े पेड़ (Tree) में बदल देता है. जबकि वे पांच दशक पहले से ही जानते थे कि ऑक्सिन (Auxin) नाम के इस अणु पर ही सभी पौधे वृद्धि के लिए निर्भर करते है.

ऑक्सिन की दो भूमिकाएं
अभी तक वैज्ञानिक ये नहीं समझ सके थे कि ऑक्सिन वास्तव में पेड़ों में वृद्धि को कैसे गतिमान करता है. ऑक्सिन शब्द का मतलब ही वृद्धि करना होता है. ऑक्सिन दो तरीके से पौधों की वृद्धि में भूमिका निभाता है. इन्हीं में से एक की व्याख्या इस अध्ययन में की गई है जो नेचर जर्नल में लेख के रूप में प्रकाशित हुआ है.
तीन प्रमुख घटक
पौधों की कोशिकाएं खोल के अंदर होती हैं जिसे कोशिकाभित्ती या सेल वॉल कहा जाता है. इसकी प्राथमिक परत के तीन घटक होते हैं जिन्हें सेल्यूलोज, हेमी सोल्यूलोज और पेक्टिन कहा जाता है. शोधकर्ता टीम का नेतृत्व करने वाले यूसीआर में बॉटनी के प्रोफेसर झेनबियाओ यांग ने बताया कि सेल्यूल ऊंची इमारतों के रीबार की तरह काम करता है जो मजबूत आधार देने का काम करते हैं. इसे मजबूत हेमीसेल्यूलोज चेन से मिलती है जिन्हें पेक्टिन जोड़ कर बांधने का काम करता है.
कोशिकाओं का आकार निर्धारण
ये घटक पौधों की कोशिकाओं का आकार निर्धारित करते हैं जिससे कई बार पत्तियों की पहेली जैसे अनोखे आकार की एपीजर्मिस कोशिकाएं बन जाते हैं, यांग और उनकी टीम इसका दो दशकों से अध्ययन कर रहे हैं. इन आकारों की वजह से ही कोशिकाएं आपस में मजबूती से जुड़ी होती हैं और पौधों को हवा के थपेड़ों से जूझ पाती हैं. लेकिन शोधकर्ताओं का ध्यान इस बात पर गया कि जब सब कुछ इतनी मजबूती से जुड़ा होता है, तो इनमें गतिविधियां और वृद्धि कैसे हो पाती है.
आक्सिन करता है यह संभव
एक सिद्धांत कहता है कि जब पौधे वृद्धि के लिए तैयार होते हैं ऑक्सिन इन कोशिकाओं को अम्लीय बना देता है जिससे इन घटकों के बीच का बंध कमजोर हो जाता है जिससे दीवार नरम होकर विस्तृत हो पाती है. यह सिद्धांत करीब आधी सदी पहले प्रस्तावित की गई थी, लेकिन ऑक्सिन अम्लीयकरण को सक्रिय कैसे करता है, यह अब तक रहस्य ही था.
प्रोटीन पंपिंग का काम
यांग की ने खोजा कि ऑक्सिन कोशिकाभित्ती में प्रोटोन पंप कर पीएच का मान कम करता है जिससे यह अम्लीयता बनाती है. कम पीएच होने से एक्पासिन नाम का प्रोटीन सक्रिय होता है जो सेल्यूलोज हेमीसेल्यूलोज के बीच के बंधों को तोड़ता है जिससे कोशिका विस्तारित हो पाती है. कोशाकभित्तियों में प्रोटोन पंप करने से कोशिका पानी भी अवशोषित कर पाती हैं जिससे आंतरिक दबाव बढ़ जाता है. यदि कोशिकाभित्ती ज्यादा कमजोर होती है तो कोशिका के अंदर इतना दबाव होता है कि कोशिका विस्तारित हो पाती है
एक दूसरा तरीका भी
ऑक्सिन दो तरह से पौधों की वृद्धि की नियंत्रित करता है. एक यांग की टीम ने बताया है जिसमें पीएच कम हो जाता है. दूसरे तरीके में ऑक्सीन की पौधों की कोशिका के केंद्रक में जीन अभिव्यक्ति को बदलने की क्षमता काम आती है. इससे विस्तार की मात्रा के साथ कोशिकाओं में वृद्धि करने वाले कारकों में भी इजाफा होता है. इस प्रक्रिया में भी कोशिकाओं में पीएच की मात्रा बढ़ती है जिससे वृद्धि संभव हो पाती है.
यह कहना सटीक ना होगा कि ऑक्सिन पौधों की वृद्धि में योगदान देती हैं. बल्कि यह पौधों की वृद्धि और विकास में के हर पहलू के लिए बहुत आवश्यक तत्व है जिसमें फलों, बीजों और जड़ों का विकसित होना शामिल है. यहां तक कि पौधों में गुरुत्व और प्रकाश के प्रति अनुक्रिया भी ऑक्सिन से संचालित होती है. ऑक्सिन की गहरी जानकारी कृषि और ऊर्जा क्षेत्र लिए बहुत अधिक उपयोगी साबित हो सकती है.
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