वैज्ञानिकों ने 5 महीने पहले लगाया सफल ज्वालामुखी पूर्वानुमान, चार साल पहले ही किया था सफल परीक्षण

वैज्ञानिक लंबे समय से यह प्रयास कर रहे हैं कि वे ऐसा तंत्र बना सकें जिससे ज्वालामुखी विस्फोट के होने से पहले घटना का पता चल सके और उससे होने वाले विनाश से लोगों को बचाया जा सके.

Update: 2022-06-07 06:18 GMT

वैज्ञानिक लंबे समय से यह प्रयास कर रहे हैं कि वे ऐसा तंत्र बना सकें जिससे ज्वालामुखी विस्फोट (Volcanic Eruptions) के होने से पहले घटना का पता चल सके और उससे होने वाले विनाश से लोगों को बचाया जा सके. अन्य मौसमी घटनाओं की तुलना में ज्वालामुखी विस्फोट का पूर्वानुमान लगाना बहुत मुश्किल काम होता है. अब भूगर्भीय वैज्ञानिकों ने ज्वालामुखी विस्फोट के पूर्वानुमान लगाने का तंत्र (Volcano Forecasting System) विकसित कर लिया है. नए अध्ययन में विस्तार से बताया गया है कि कैसे प्रशांत महासागर में गालापागोस द्वीप समूह में सिएरा नेग्रा (Sierra Negra volcano) का पांच महीने पहले लगाया गया पूर्वानुमान सही साबित हुआ था.

इस तंत्र की जरूरत

ज्वालामुखी विस्फोट का सही पूर्वानुमान लगाने वाले तंत्र की जरूरत शुरू से ही रही हैं. इस साल जनवरी में हुए हुंगा टोंगा हुआ हाअपाई ज्वालामुखी विस्फोट ने एक बार फिर से इस तंत्र की एक बार फिर से बहुत ज्यादा जरूरत महसूस की गई थी. इस ज्वालामुखी के 'कंपन' अंतरिक्ष तक में महसूस किया गया था और लाखों लोगों की जीवन प्रभावित हुआ था.

चार साल पहले ही किया था सफल परीक्षण

साइंस एडवांस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में दावा किया गया है कि शोधकर्ताओं की टीम एक चेतावनी तंत्र विकसित करने की कगार पर है, जिसके जरिए ज्वालामुखी विस्फोट होने के पहले बता देगा कि वह कब होने वाला है. इस शोधपत्र में टीम ने विस्तार से बताया कि उन्होंने इसी तंत्र के जरिए ही साल 2018 में गालापागोस द्वीप समूह में सिएरा नेग्रा के विस्फोट को पूर्वानुमान लगाया था.

संखात्मक प्रतिमान के जरिए

इलिनियोइस यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस विस्फोट का पूर्वानुमान का केवल एक ही दिन के अंतर से पूर्वानुमान लगाया था. इसके लिए आउन्होंने उच्च निष्पादन कम्प्यूटिंग डेटा असिमिलेशन का उपयोग किया था. इसके साथ ही उन्होंने अपने संख्यात्मक प्रतिमानों में इन आंकड़ों के साथ InSAR सैटेलाइट के आंकड़ों का भी उपयोग किया था.

सबसे बड़ी चुनौती

इस ज्वालामुखी का पूर्वानुमान शोधकर्ताओं ने पांच महीने पहले ही लगा लिया था. शोधकर्ताओं ने अपने शोधपत्र में बताया कि ज्वालामुखी विज्ञान में सबसे चुनौतीपूर्ण काम मात्रात्मक प्रतिमान विकसित करना है जिसे ऐसी प्रक्रियाओं का पड़ताल की जा सके जिनसे ज्वालामुखी विस्फोट होते हैं और उन प्रतिमानों का उपयोग कर प्रस्फोटों का पूर्वानुमान लगाया जा सके.

सिएरा नेग्रा के ज्वालामुखी का अध्ययन

इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने विस्तार से बताया कि ये प्रतिमान क्षेत्रीय अवलोकनों के मायने निकालना और मैग्मा सिस्टम के विकास की निगरानी करने में सक्षम होते हैं. सिएरा नेग्रा आयतन के लिहाज से गालापागोस ज्वालामुखियों में से सबसे बड़े ज्वालामुखियों में से एक माना जाता है. है. 1911 से इसमें कम से कम सात उतसर्जन हो चुके हैं. लगभग हर 15 साल में इसमें एक विस्फोट होता रहा है. इस बार भी उपकरणों ने एक बार फिर कंपन के संकेत पकड़ने शुरू कर दिए थे.

आंकड़ों का उपयोग

इन संकेतों से पता चला कि यहां सतह के नीचे ज्वालामुखी गतिविधियां तेज हो गई हैं. शोधकर्ताओं ने मौसमी पूर्वानुमान वाले उपकरणों का ही उपयोग किया और अवलोकित आंकड़ों को सिम्यूलेशन से ज्वालामुखियों की जमीनी गतिविधि वाले सिम्यूलेशन से पूर्वानुमान लगाने वाले आंकड़ों से मिलाया. टीम ने इसके बाद ज्वालामुखी की जमीन के नीचे की मैग्मा की गतिविधि के अवलोकन करने वाली सैटेलाइट और राडार की तस्वीरों का उपयोग किया.



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