वैज्ञानिकों ने हाल ही एक ऐसे झींगुर का पता लगाया है जो इतना सख्त जान है कि उसे किसी भी चीजों से कुचलने पर भी खरोंच तक नहीं आती

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (California University, Irvin) के वैज्ञानिकों ने हाल ही चावल के दाने के बराबर एक ऐसे कीट (Beetle) का पता लगाया है

Update: 2020-10-23 09:52 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (California University, Irvin) के वैज्ञानिकों ने हाल ही चावल के दाने के बराबर एक ऐसे कीट (Beetle) का पता लगाया है जो अब तक खोजे गए सभी कीटों में सबसे ज्यादा सख्त जान है। इसकी ताकत और सहनशीलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह औसत भार वाले किसी भी मनुष्य के वजन का 39 हजार गुना दबाव अपने ऊपर सहन कर सकता है। इसे यूं समझिए कि अंगूठे और तर्जनी उंगली के बीच इसे दबाने पर यह दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान से भी चार गुना ज्यादा सख्त होता है जिसे दबाने में अच्छे-अच्छों के पसीने छूट सकते हैं। इतना ही नहीं इस पर करीब 2.5 टन वजनी किसी एसयूवी कार से कुचलने पर भी खरोंच तक नहीं आती। लेकिन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इसकी इस गजब की खासियत का पता लगा लिया है।

शोध के प्रमुख लेखक जीसस रिवेरा और उनके सहयोगियों ने अध्ययन में पाया कि इस बीटल के कवच की कठोरता और ताकत इसके बाहरी पंख के ऊपर मौजूद खोलनुमा दो खास हिस्से हैं जो किसी जिग्सा पजल की तरह एक-दूसरे में इंटरलॉक हो जाते हैं। यह उभरा हुआ खोल और उसकी इंटरलॉकिंग की पांच बिल्कुल सही संख्या इसे इतना मजबूत बख्तरबंद जैसा कवच प्रदान करता है। इतना ही नहीं विंग कवर और शरीर के बीच भी दबाव झेलने के लिए प्राकृतिक रूप से ससपेंशन जैसे अंग हैं ताकि कुचले जाने के दौरान या अत्यधिक दबाव पडऩे पर शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान न पहुंचे।


दरअसल, जब कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एन्टोमोलॉजिस्ट्स ने पहली बार इस नूडेसट ब्लैक बीटल को देखा तो इसे सामान्य कीट ही समझा था। पश्चिमी अमरीका में ओक और ऐसे ही अन्य छाल वाले पेड़ों पर रहने वाले इस झींगुर (बीटल) का वैज्ञानिक नाम फ्लोयोड्स डायबोलिकस है। यह इन पेड़ों और आस-पास उगने वाले कवक खाता है। अन्य बीटल की तरह, खतरा भांपकर यह भी मरने का ढोंग करता है। वैज्ञानिक अब कार, साइकिल यहां तक कि हवाई जहाज में भी इस कीट के इस बख्तरबंद कवच का डिजाइन उपयोग करने पर काम कर रहे हैं ताकि उन्हें संभावित रूप से सड़क दुर्घटना के दौरान होने वाली क्षति को सहने लायक बना सकें।

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