वैज्ञानिकों ने किसानों को दी अगेती सरसों की बुवाई के लिए ये सलाह
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) स्थित कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के खेती-किसानी के लिए नई एडवाइजरी जारी की है
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) स्थित कृषि भौतिकी संभाग के कृषि वैज्ञानिकों के खेती-किसानी के लिए नई एडवाइजरी जारी की है, ताकि किसानों को उससे फायदा मिले. वैज्ञानिकों ने सरसों (Mustard) की अगेती बुवाई की तैयारी करने की सलाह दी है. इसके लिए पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक आदि के बीज की व्यवस्था करने की अपील की है. यह भी कहा है कि अगेती रबी फसलों (Rabi crops) की तैयारी के लिए खेत की जुताई करने के तुरंत बाद पाटा अवश्य लगाएं, ताकि मिट्टी से नमी का ह्रास न हो.
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं. इसकी उन्नत किस्मों में पूसा प्रगति एवं पूसा श्री शामिल हैं. बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका अवश्य लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें. इसके अगले दिन बुवाई करें.
गाजर की बुवाई के लिए उचित समय
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं. इसकी उन्नत किस्म में पूसा रूधिरा शामिल है. इसकी बीज दर 4.0 किलोग्राम प्रति एकड़ होगी. बुवाई से पूर्व बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक अवश्य डालें.
दीमक से निपटने के लिए क्या करें
इस मौसम में फसलों व सब्जियों में दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है. इसलिए किसान फसलों की निगरानी करें. यदि प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरपाइरीफास 20 ईसी @ 4.0 मिली प्रति लीटर सिंचाई जल के साथ दें. इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें. यदि फसलों व सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मिली/3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
धान की खेती करने वाले दें ध्यान
इस मौसम में धान (पूसा सुगंध-2511) में आभासी कंड (False Smut) आने की काफी संभावना है. इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50 की 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से आवश्यकता अनुसार पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें.
ब्राउन प्लांट होपर के आक्रमण की संभावना
पूसा के कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक इस मौसम में धान की फसल (Paddy Crop) को नष्ट करने वाले ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है. इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें. यदि कीट का प्रकोप अधिक है तो पाइमेट्रोजिन (चेस ) @ 120 ग्राम प्रति 200 लीटर/एकड़ की दर से छिड़काव करें.
तना छेदक कीट से खतरा
इस मौसम में धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाएं. प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4 फीसदी दानें 10 किलोग्राम/एकड़ का बुरकाव करें.
सब्जियों (मिर्च, बैंगन) में फल छेदक, शीर्ष छेदक एवं फूलगोभी व पत्तागोभी में डायमंड बेक मोथ की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाएं. प्रकोप अधिक हो तो स्पेनोसेड़ दवाई 1.0 मिली/4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
मिर्च तथा टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड@ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.