बाह्यग्रह पर वैज्ञानिकों को मिला वायुमंडल, पढ़ें क्या मिली जानकारी

पृथ्वी से बहुत ही दूर स्थित तारों के ऐसे ग्रह होते हैं जिन से वैज्ञानिकों को काफी उम्मीदें होती हैं

Update: 2021-09-26 10:02 GMT

पृथ्वी से बहुत ही दूर स्थित तारों के ऐसे ग्रह होते हैं जिन से वैज्ञानिकों को काफी उम्मीदें होती हैं. इस ग्रहों की पहचान करना बहुत ही मुश्किल काम होता है. लेकिन बहुल टेलीस्कोप के आंकड़ों की मदद से शोधकर्ताओं ने एक विशाल गैसीय बाह्यग्रह (Exoplanet) के बादलों (Clouds) को खोजा है जो पृथ्वी से 520 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है. इतना ही नहीं, यह अवलोकन इतना विस्तृत था कि शोधकर्ता इससे उस बाह्यग्रह के बादलों की ऊंचाई और ऊपरी वायुमंडल (Atmosphere) की संरचना की जानकारी निकालने में भी सफल हो गए.

एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित इस अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है उनका काम बाह्यग्रहों के वायुमडंलों के बेहतर तरीके से समझने में मदद कर सकेगा और ऐसे संसारों को खोजने में सहायक होगा जहां जीवन के लिए स्थितियां अनुकूल हैं या फिर उनके स्पैक्ट्रम में जैविकसंकेत दिख पाएंगे. शोधकर्ताओं का कहना है कि वे सुदूर एलियन संसारों में मौसम की रिपोर्ट भी बनाने की स्थिति में आ रहे हैं.
कैसा है इस बाह्यग्रह का आकार प्रकार
इस शोध में WASP 127b नाम के बाह्यग्रह का अध्ययन किया जो साल 2016 में खोजा गया था. यह बहुत गर्म ग्रह है जो अपने तारे का चक्कर इतने पास से लगा रहा है कि इसकी एक साल केवल 4.2 दिन ही है. इसका आकार गुरु ग्रह से केवल 1.3 गुना है जबकि भार गुरु ग्रह का 0.16 गुना है. इस ग्रह का वायुमंडल थोड़ा पतला और महीन है जिसकी वजह से इससे गुजरने वाले प्रकाश के जिरए इसकी सरंचना का विश्लेषण आसान हो जाता है.
पानी की वाष्प और बादल
अलार्ट का कहना है कि उन्होंने, जैसा इस तरह के ग्रहों में पाया गया था, इस ग्रह पर भी सोडियम की उपस्थिति पाई, लेकिन जितना उम्मीद कर रहे थे उसके काफी कम ऊंचाई पर सोडियम मिला. इसके अलावा इंफ्रारेड संकेतो में तो मजबूत पानी की वाष्प के संकेत मिल रहे थे लेकिन दिखाई देने वाली रोशनी की तरंगों में ऐसे कुछ नहीं दिखा. इससे पता चला कि नीचे के स्तर पर पानी की वाष्प को बादल रोक रहे हैं जिससे वे दिखाई नहीं दिए जबकि बादल इंफ्रारेड तरंगों में पारदर्शी दिखे.
आसान नहीं है वायमंडल की जानकारी निकालना
बाह्यग्रहों के वायुमंडल की संरचना का पता लगाना बहुत मुश्किल का काम होता है. ऐसे इसलिए होता है क्योंकि हम अधिकांश बाह्यग्रहों को सीधे तौर पर नहीं देख सकते हैं. हमें उनकी मौजूदगी का पता उनके तारों पर उनके प्रभाव से पता चलता है. जब तारों से आने वाली रोशनी कम या ज्यादा होती है जब वे हमारे और तारे के बीच में आते हैं.
ऐसे मिलती है वायुमंडल की जानकारी
अगर तारे से आने वाली रोशनी की रुकावट नियमित अंतराल पर होती है, तो यह एक संकेत होता है कि ग्रह तारे का चक्कर लगा रहा है. इसी दौरान आने वाली रोशनी के स्पैक्ट्रम के अवलोकन से इस ग्रह पर मौजूद अलग तत्वों की जानकारी मिलती है. वैज्ञानिक इन्हें सिग्नेचर एब्जोर्प्शन लाइन्स कहते हैं जिससे वायुमंडल में क्या है इसका पता चलता है.
जानिए कैसे एक हो गए सौरमंडल के ग्रहों की कक्षा के तल
अलार्ट की टीम ने यही किया, उनहोंने उच्च विभेदन अवशोषण आंकड़ों के जरे बादलों की ऊंचाई के जरिए बादलों की निचली परत का पता लगा लगाया जिसका वायुमंडलीय दबाव 0,3 से 0.5 मिलीबार था. अलार्ट का कहना है कि वे बादलों के बारे में केवल इतना जान सके कि वे पृथ्वी की तरह पानी की बूंदों से नहीं बने हैं. वे सोडियम के मिलने वाली जगह के अलावा इस बात से भी हैरान हैं कि यह ग्रह अपने तारे के विपरीत दिशा में चक्कर लगा रहा है. इसलिए इस ग्रह का भविष्य में ज्यादा अध्ययन किया जाएगा.
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