वैज्ञानिकों ने इस तरह पता लगाई आवाज की अधिकतम गति सीमा...जानें कैसे
हम सभी किसी भी चीज की अधिकतम गति से परिचित हैं.
क्या है अधिकतम गति
इसके लिए शोधकर्ताओं ने मूलभूत अचर राशियों (Fundamental constants) और सार्वभौमिक पैमानों (Universal Parameters) का उपयोग किया जो हमें ब्रह्माण्ड को समझने में मदद करते हैं. इस नई गणना के अनुसार ध्वनि की यह अधिकतम सीमा 36 किलोमीटर प्रति सेकंड या 22 मील प्रति सेंकंड है. यह उस गति से बिलकुल दो गुनी है जितना कि ध्वनि की हीरे में होती है.
ध्वनि से अलग है प्रकाश
ध्वनि और प्रकाश दोनों ही तरंगों के तौर पर यात्रा करती है, लेकिन उनके बर्ताव में अंतर होताहै. जहां प्रकाश एक विद्युत चुंबकीय तरंग या विकिरण है जिसमें विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों का असर होता है. इसी वजह से प्रकाश निर्वात में भी गतिमान हो सकता है. और इसकी शीर्ष गति 3 लाख किलोमीटर प्रतिसेकंड है, लेकिन किसी माध्यम के दौरान इसकी गति में कुछ कमी आ जाती है.वहीं ध्वनि एक यांत्रिकीय तरंग है जो माध्यम में कंपन पैदा होने से बनती है. जैसे यह माध्यम में यात्रा करती है माध्यम के अणुओं से टकराने से उनमें ऊर्जा का स्थानांतरण होता है
माध्यम का ठोस होना अहम
यही वजह है कि जितना ठोस माध्यम होगा यानि कि माध्यम को दबाना जितना मुश्किल होगा, ध्वनि तरंगें उसमें उतनी ही तेजी से यात्रा करेंगे. हीरे जैसे ठोस पदार्थ में ध्वनि ज्यादा तेजी से सफर कर पाती है. इसी लिए हम भूकंप के दौरान निकली ध्वनि तरंगों का अध्ययन कर सकते हैं. क्योंकी वह पृथ्वी की ठोस परतों से यात्रा करते हुए सतह तक आती हैं. इनका उपयोग हम तारों के आंतरिक भागों का अध्ययन करने के लिए भी उपयोग कर सकते हैं.
दो अचर राशियों की मदद
पदार्थों के साथ ध्वनि की अधिकतम गति को नापना सभी संभव नहीं है यहीं पर मूलभूत अचर राशि (Fundamental Constant) की भूमिका आती है. ध्वनि की इस सीमा का पता लगाने के अध्ययन के दौरान लंदन की क्वीन मौरी यूनिवर्सिटी, यूके की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, और रूस के इंस्टीट्यूट फॉर हाई प्रेशर फिजिक्स के वैज्ञानिकों ने पाया कि गति की यह सीमा दो मूलभूत अचर राशियों (fundamental constants) पर निर्भर करती है.
दोनों राशियों का संतुलन अहम
इन दो अचर राशियों में से पहली है फाइन स्ट्रक्चर कॉन्स्टेंट (Fine structure Constant) जो मूल आवेशित कणों के बीच विद्युतचुंबकीय अंतरक्रिया की क्षमता को सुनिश्चित करती है और दूसरी अचर राशि है प्रोटोन इलेक्ट्रॉन के भार का अनुपात (Ratio of masses of Proton and electron). इन दोनों की तारों के अंदर जीवन के मूल तत्वों जैसे कार्बन ऑक्सीजन आदी के निर्माण में अहम भूमिका है. इसके अलावा इन दोनों के संतुलन के कारण ही वह इलाका बनाता है जहां तारों और ग्रहों का निर्माण होता है.
ध्वनि की गति प्रभावित करने वाली अचर राशि
इन दोनों राशियों के मिलने से एक और अचर राशि बनती है जो ध्वनी की ठोस और तरल पदार्थों में गति को प्रभावित करती है. इस नए समीकरण को शोधकर्ताओं ने बहुत से उपलब्थ पदार्थों पर ध्वनी की गति के साथ परीक्षण किया और अपेक्षित नतीजे हासिल किए. इसी में एक खास नतीजा यह निकला कि ध्वनि की गति परमाणु के भार के साथ कम होनी चाहिए.
हाइड्रोजन से मिला रास्ता
इस तरह शोधकर्ताओं ने पाया कि ध्वनि की अधिकतम गति ठोस हाइड्रोजन में होनी चाहिए, जिसे बनाने के लिए पृथ्वी के समुद्रों की सतह पर वायुमंडलीय दाब को 10 लाख गुना दबाव चाहिए होगा. अप्रत्यक्ष गणनाओं से शोधकर्ताओं ध्वनि की अधिकतम गति पता लगाने में सफल रहे.साइंस एडवांस में प्रकाशित इन नतीजों को वैज्ञानिक कई क्षेत्रों में उपयोगी मान रहे हैं जिसमें सुपरकंडक्टिविटी, प्लाज्मा, ब्लैकहो, उच्चतापमान में सुचालकता जैसे क्षेत्र तक शामिल है.