इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर वैज्ञानिको ने किया पौधों का पहला सफल प्रत्यारोपण
इंटरनेशन स्पेस स्टेशन पर पौधों के प्रत्यारोपण की सफलता ने जहां उन्हें उत्साहित किया है तो वहीं कुछ बातों ने उन्हें चौंकाया भी है.
जनता से रिश्ता वेब डेस्क। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर बहुत सारे प्रयोग हुए हैं जो मानवजाति के लिए बहुत उपयोगी हैं. इनमें सूक्ष्मगुरुत्व (Microgravity) में पौधे उगाने (Plantation) के प्रयोग भी शामिल हैं. इसी कड़ी में एक नए अभूतपूर्व प्रयोग में नासा (NASA) के वैज्ञानिक आईएसएस में पहली बार पौधों का प्रत्यारोपण (Plant Transplant) करने में सफल हुए हैं. यह प्रयोग आईएसएस के वेजिटेबल प्रोडक्शन सिस्टम फैसिलिटी में किया गया है. यह प्रयोग पृथ्वी (Earth) से बाहर अंतरिक्ष में लंबे मानव अभियानों (Space missions) के लिए बहुत ही उपयोगी साबित हो सकता है.
मंगल की यात्रा के लिहाज से हो रहे हैं ऐसे प्रयोग
नासा के शोधकर्ता अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्व में पौधे उगाने संबंधी प्रयोग ही लंबे मानव अभियानों के लिए कर रहे हैं जिसमें मंगल की यात्रा शामिल हैं. नासा की अगले दशक में मंगल तक मानव अभियान ले जाने की योजना है. ऐसे में पृथ्वी से मंगल तक और वहां से वापस लौटने का सफर बहुत लंबा होगा.
दो फसलों का पनपना
नासा के एक्सपीडीशन 64 के क्रू सदस्य माइक होपकिन्स आईएसएस पर छह महीने पहले स्पेस एक्स क्रू-1 के जरिए वैज्ञानिक अभियान पर आए थे. उन्होंने VEG-03I में सरसों (mustards) और सलाद पत्ता (lettuces) की किस्मों की देखभाल की. इस दौरान उन्होंने पाया कि सरसों मिट्टी और खाद के खास तरह के गमले या 'पिलोस' (Pillows) में अच्छे से पनप रही है.
इन पौधों को किया ट्रांसप्लांट
पौधों के दो 'गमलों' में लाल रोमेन और ड्रैगोन लैटूस की बीज धीरे धीरे दूसरे पौधों के पीछे अंकुरित हो रहे थे. लेकिन वैजी कार्यक्रम के वैज्ञानिकों की सलाह पर एस्ट्रोनॉट ने अतिरिक्त अंकुरितों को बढ़िया प्लांट पिलो से संघर्ष कर रहे पिलो में ट्रांस्प्लांट किया
नतीजों ने किया उत्साहित
लाल रूसी 'काले' (Kale) और ज्याद छोटी पाक चोई (pak choi) दूसरे दानदाता काले और पाक चोई के साथ बढ़ रहे हैं. वहीं प्रयोग में लाल रोमेन लैटूस और वसाबी सरसों कटाई के लिए तैयार हैं. एस्ट्रोनॉट्स और वैज्ञानिक अपने नतीजों से बहुत ज्यादा उत्साहित हैं और उन्हें इस तरह के नतीजों की उम्मीद नहीं थी.
वैज्ञानिकों में उत्साह
वेजी प्रोग्राम प्लांट साइंटिस्ट जोइया मासा ने बताया, 'ये प्रयोग बहुत शानदार रहे. ये एस्ट्रोनॉट्स की कुशलता दर्शाने के साथ यह भी बताते हैं कि उन्होंने पौधों की कितने बढ़िया तरीके से देखभाल की. इसके साथ ही इन प्रयोगों में माइक्रोग्रैविटी के असर की वजह से आया अंतर भी साफ तौर पर देखा जा सका.
द्रव्यों का बर्ताव मददगार
मासा का कहना है कि द्रव्य अंतरिक्ष में धरती से बहुत अलग तरह से बर्ताव करते हैं. ऐसा लगता है कि इन हालातों में द्रव्यों के बर्ताव ने पौधों की मदद की है. VEG-03I साइंस प्रमुख मैट रोमेन का कहना है कि द्रव्यों और भौतिकी के मामले में हमें माइक्रोग्रैविटी के हमारे खिलाफ काम करने की आदत है. इसी लिए हमें अंतरिक्ष में पौधे उगाना बहुत मुश्किल लगता है.
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रोमेन ने बताया, "हमारे पूर्वाग्रहों के विपरीत हमें देखने को मिला है कि माइक्रोग्रैविटी हमारी मददगार साबित हुई है. हैरानी की बात है कि यहां पौधे पृथ्वी से बेहतर तरह से ऊग रहे हैं. उल्लेखनीय है कि सिर्फ अभी तक के उगाए गए पौधे उगा पाना ही लंबे अंतरिक्ष अभियानों के लिए उद्देश्यों और जरूरतों की पूर्ति नहीं करेंगे. इसलिए अभी और भी ऐसे बहुत सारे प्रयोग देखने को मिल सकते हैं.