वैज्ञानिकों का दावा: क्या होता है 'कोविड नाखून', ये हैं इसके लक्षण
कोरोना संक्रमण के मुख्य लक्षणों में अभी तक बुखार, खांसी, थकान और स्वाद-गंध के एहसास में कमी आना शामिल रहा है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क| कोरोना संक्रमण के मुख्य लक्षणों में अभी तक बुखार, खांसी, थकान और स्वाद-गंध के एहसास में कमी आना शामिल रहा है। लेकिन अब कोरोना मरीजों के नाखून में होने वाले परिवर्तन की चर्चा हो रही है। ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया कि नाखून भी कोरोना संक्रमण का संकेत दे सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट एंजलिया के अध्ययन के मुताबिक कुछ कोरोना रोगियों के नाखूनों का रंग फीका पड़ जाता है या कई सप्ताह बाद उनका आकार बदलने लगता है- इसे 'कोविड नाखून' कहा जाता है। एक लक्षण नाखूनों के आधार पर लाल रंग वाली अर्ध-चंद्र की आकृति बनना है।
रोगियों ने कोविड संक्रमण का पता लगने के दो सप्ताह से भी कम समय में इसे देखा है। इस तरह के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं हैं। नाखून पर इस तरह की लाल अर्ध-चंद्र आकृति आम तौर पर दुर्लभ होती हैं और इसके पहले नाखून के आधार से इतना करीब नहीं देखी गई थी। इसलिए नाखून पर इस तरह की लाल आकृति कोरोना संक्रमण का एक संकेत हो सकती है। हालांकि यह जरूरी नहीं है कि हर कोरोना मरीज के नाखून में परिवर्तन दिखे ही।
नाखून पर लाल अर्ध-चंद्र का कारण:
नाखून पर लाल अर्ध-चंद्र बनने का संभावित कारण वायरस से जुड़ी रक्त वाहिका में क्षति हो सकती है। या फिर यह वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के कारण हो सकता है जिससे रक्त के छोटे थक्के जमते हैं और नाखून का रंग फीका हो सकता है।
अलग-अलग रेखाएं:
कुछ रोगियों ने अपने हाथों और पैरों की उंगलियों के नाखूनों के आधार में नई और अलग तरह की रेखाएं देखीं जो अमूमन कोविड-19 संक्रमण के चार सप्ताह या उससे अधिक समय बाद दिखाई देती हैं। इसके पहले इस तरह की रेखाएं तब दिखती थीं, जब किसी तरह के शारीरिक तनाव जैसे कि संक्रमण, कुपोषण या कीमोथेरेपी आदि के दुष्प्रभाव के कारण नाखून बढ़ने में अस्थायी रुकावट होती है। अब यह कोविड-19 के कारण भी हो सकता है।
झड़ सकते हैं नाखून:
एक महिला कोरोना रोगी के नाखून आधार से ढीले हो गए और संक्रमण के तीन महीने बाद गिर गए। इस घटना को ओनिकोमाडेसिस के रूप में जाना जाता है। इस रोगी को इन परिवर्तनों के लिए उपचार नहीं मिला फिर भी बीमारी के कारण गिरे नाखूनों के नीचे नये नाखूनों को बढ़ते देखा जा सकता था, यह दर्शाता है कि समस्या अपने आप हल होने लगी थी।
नाखून नारंगी हो गया:
एक और कोरोना मरीज में संक्रमण के 112 दिनों बाद नाखूनों के ऊपर नारंगी रंग का निशान देखा गया। इसका कोई इलाज नहीं किया गया, लेकिन एक महीने बाद भी यह निशान कम नहीं हुआ था। इसका कारण अभी नहीं मालूम हो सका है। एक अन्य मरीज के नाखूनों पर सफेद रेखाएं दिखाई दीं। इन्हें मीस लाइंस या ट्रांसवर्स ल्यूकोनीचिया के नाम से जाना जाता है। ये कोरोना संक्रमण की पुष्टि के 45 दिन बाद दिखाई दीं। ये नाखून बढ़ने के साथ ठीक हो जाती हैं और उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
संक्रमण और नाखून में सीधा संबंध नहीं:
शोधकर्ताओं ने यह भी माना कि कोरोना संक्रमण और नाखूनों में परिवर्तन के बीच कोई सीधा संबंध अभी स्थापित नहीं हो सका है। हो सकता है कि नाखून में बदलाव से कोरोना संक्रमण का कोई लेना-देना नहीं हो, इस पर और अधिक शोध की जरूरत है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी कोरोना रोगियों में नाखून की स्थिति एक जैसी नहीं होती। इसलिए किसी व्यक्ति के नाखून में कुछ असामान्यताओं को देखकर हम यह नतीजा नहीं निकाल सकते कि उसे कोरोना संक्रमण हुआ है।