वैज्ञानिकों का दावा- रक्त में विशेष प्रकार के इम्यून सेल की मात्रा बढ़ने से गंभीर हो जाता है कोरोना संक्रमण, बढ़ाते हैं जोखिम

वैज्ञानिकों का दावा ये बढ़ाते हैं जोखिम

Update: 2021-01-28 14:27 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरोना वायरस (Covid-19) पर शोध-अनुसंधान लगातार जारी हैं। इसी कड़ी में विज्ञानियों ने अब यह पता लगाया है कि आखिर कोरोना वायरस का संक्रमण गंभीर कैसे हो जाता है। एक अध्ययन में विज्ञानियों ने दावा किया है कि जब रक्त में एक विशेष प्रकार के इम्यून सेल (प्रतिरक्षा कोशिका) की मात्रा बढ़ जाती है तो ये संक्रमण की गंभीरता को बढ़ा देते हैं और कोरोना पीड़ित व्यक्ति की हालत खराब होती चली जाती है।


जर्नल क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि कोविड-19 के संक्रमण की गंभीरता बढ़ाने में एक विशेष प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका 'मोनोसाइटिक मायलॉइड-डिलीवर्ड सप्रेशर सेल' यानी एमएमडीएससी की भूमिका अहम है।

स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट की शोधकर्ता एना स्मेड सोरेंसन ने कहा, 'इस अध्ययन के परिणाम यह बताते हैं कि कोरोना वायरस का संक्रमण गंभीर किस कारण से होता है। साथ ही इसकी मदद से वे उलझनें भी दूर होंगी जो कोविड-19 से पूर्व और उसके बाद इम्यून सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) के बीच संबंधों को समझने में आ रही थी।' बता दें कि संक्रमण से पूर्व इम्यून सिस्टम में एमएमडीएस और उसके बाद टी सेल (कोशिका) की भूमिका पर विज्ञानी लंबे समय से अध्ययन कर रहे हैं।
रक्त में विशेष प्रकार के इम्यून सेल की मात्रा बढ़ने से गंभीर हो जाता है संक्रमण

शोधकर्ताओं ने कहा कि टी कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा हैं और कोविड -19 जैसे वायरल संक्रमणों के खिलाफ शरीर की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एमएमडीएस अन्य इंफ्लेमेट्री कंडिशन (सूजन आदि की समस्याएं) में वृद्धि करता है और टी सेल की गतिविधि को दबाने का प्रयास करता है। इसलिए टी सेल्स अपना काम ठीक से नहीं कर पाते हैं और संक्रमण गंभीर होने लगता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे श्वसन तंत्र में भी संक्रमण बढ़ता है, जिसका पता अब तक नहीं चल पाया था।

शोधकर्ताओं ने कहा, 'शरीर में टी सेल्स का निम्न स्तर इस बात की तस्दीक करता है कि व्यक्ति को कोरोना का संक्रमण है। इसलिए हमारी इस बीमारी में एमएमडीएस की भूमिका को समझने में दिलचस्पी बढ़ी।'

ऐसे किया अध्ययन

इस अध्ययन में 147 कोरोना संक्रमितों को शामिल किया गया था। इनके रक्त और गले से नमूने एकत्र किए गए थे। इसके बाद स्वस्थ व्यक्तियों के सैंपलों के साथ इनकी तुलना की गई। इस दौरान पाया गया कि जिन लोगों में संक्रमण गंभीर हो गया था, उनके रक्त में हल्के संक्रमण और स्वस्थ लोगों की तुलना में एमएमडीएससी की मात्रा बढ़ती चली जा रही थी। ऐसे लोगों में स्वस्थ लोगों के मुकाबले कुछ ही टी सेल्स बचे थे, जिससे उनके इम्यून सिस्टम की कार्यप्रणाली भी प्रभावित हो गई थी।
संक्रमण का बायोमार्कर है एमएमडीएससी

सोरेंसन ने कहा, कहा अध्ययन के विश्लेषण से पता चलता है कि एमएमडीएससी के स्तर में वृद्धि गंभीर संक्रमण के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इसे गंभीर संक्रमण का एक बायोमार्कर कहा जा सकता है। इसके आधार पर डॉक्टरों को मरीजों का इलाज करने में सहूलियत होगी।


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