वैज्ञानिक भी हैरान, आखिर कैसे विलुप्त हो गई थी इंसान की अन्य प्रजातियां, क्या जलवायु परिवर्तन बनी वजह

जीवविज्ञान में होमो वंश में इसांन की बहुत सारी प्रजातियां जिसमें हम होमोसेपियन्स भी शामिल हैं.

Update: 2020-10-17 15:48 GMT
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। जीवविज्ञान में होमो (Homo) वंश (Genus) में इसांन (Humans)की बहुत सारी प्रजातियां (species) जिसमें हम होमोसेपियन्स (Homo Sepiens) भी शामिल हैं. लेकिन आज के दौर में केवल यही होमो की यही एक प्रजाति बची है, बाकी सारी प्रजातियां विलुप्त (Extinct) हो गई हैं. ऐसा क्यों और कैसे हुआ इस सवाल का जवाब वैज्ञानिक कई सालों से खोज रहे थे. लेकिन ताजा अध्ययन से इस सवाल का जवाब मिल गया है.

यह वजह सामने आई

हाल ही में हुए इस अध्ययन के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण तेजी से बदले तापमान ने इन सभी प्रजातियों को विलुप्त करने में अहम भूमिका निभाई. शोध का कहना है कि पुराने मानव के संबंधी अचानक हुए इन बदालवों से तालमेल नहीं बिठा सके और इस नाकामी के कारण वे विलुप्त हो गए.

यह अध्ययन किया टीम ने

टीम ने उस दौर के जलवायु परिवर्तनों की स्थितियों का आंकलन किया और विलुप्त प्रजातियों के जीवाश्मों को भी अपने शोध में शामिल किया. वे इस नतीजे पर पहुंचे कि तकनीकी विकास और क्रांतिकारी आविष्कारों के बावजूद शुरूआती मानव बदलती जलवायु के साथ सामंजस्य नहीं बना सके थे.

काम नहीं आईं नई तकनीकियां और बदलाव

यह शोध हाल ही में वन अर्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है. इटली निपोली में यूनिवर्सिटिया दि नेपोली फेडेरिको II के पास्क्वेला राइया ने इस बताया कि आग और पत्थर के हथियारों के आविष्कार के कारण एक बड़े सामाजिक नेटवर्क बन गए थे. इसके अलावा कपड़ों का उपयोग और सामाचिक एवं जेनेटिक आदान प्रदान भी बहुत सारे होमो सेपियन्स तक का बचाव नहीं कर सका था.

इन प्रजातियों के बदलाव का अध्ययन

शोधकर्ताओं का कहना है कि पुरानी प्रजातियों ने भी खुद को हालात के मुताबिक ढालने की कोशिश की थी, लेकिन जैसे जैसे ठंड बड़ती गई प्रयास नाकाफी होने लगे. शोधकर्ताओं ने यहा जानने का प्रयास किया कि कैसे होमो सेपियन्स से मिलती जुलती प्रजातियां एच हैबिलिस, एच इर्गास्टेर, एच इरेक्टस, एच हेडिलबर्जेनिसिस और एच निएंडरथलेंसिस कैसे बदलाव के साथ बर्ताव करती थीं.

ये आंकड़े किए अध्ययन में शामिल

इसके लिए शोधकर्ताओंने पिछले 50 लाख सालों के तापमान, बारिश और अन्य आंकड़ों का अध्ययन किया और उसकी जीवाश्मों के ऐतिहासिक आकंड़ों से तुलना कर यही पाया कि उनका आंकलन बिलकुल सही था.

ये समस्याएं आईं इन प्रजातियों के सामने

इससे उन्हें यह पता चला कि तीन होमो सेपियन्स जिसमें एच इरेक्टस, एच हेडिलबर्जेनिसिस और एच निएंडरथलेंसिस ने अपनी काफी संख्या में आवास जलवायु परिवर्तन के कारण विलुप्त होने से ठीक पहले खो दिए थे. यह वह समय था जब वैश्विक जलवायु में बहुत सारे अनचाहे बदलाव हो रहे थे. इसके साथ ही निएंडरथॉल को होमो सेपियन्स से संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा करनी होती थी जिससे उनकी मुश्किलें और ज्यादा बढ़ गई.

शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नतीजे आज के मानव के लिए बहुत ही खतरनाक संकेत हैं. यदि इससे पहले जलवायु परिवर्तन इंसानी प्रजाति को विलुप्त कर सकती हैं तो आज भी यह संभव है और यह तय नहीं है कि यह फिर से नहीं होगा. जिस तरह से इंसान ही खतरनाक जलवायु परिवर्तन को न्यौता देने पर तुला हुआ है वह चिंतनीय विषय हो सकता है.

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