वैज्ञानिक ने विकसित की नई तकनीक, पेपर टेस्ट के जरिये कुछ ही मिनटों में हो सकेगी COVID-19 की जांच

भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कोरोना का कागज आधारित परीक्षण विकसित किया गया है।

Update: 2020-12-09 14:06 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक के नेतृत्व में कोरोना का कागज आधारित परीक्षण विकसित किया गया है। कागज-आधारित 'इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर' का उपयोग करने वाली इस जांच में पांच मिनट के अंदर ही वायरस की मौजूदगी के बारे में पता चल सकता है।


अमेरिका में इलिनोइस विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने सार्स-सीओवी-2 की आनुवंशिक कणों की उपस्थिति का पता लगाने के लिए एक 'इलेक्टि्रकल रीड-आउट सेटअप' के साथ एक ग्रेफीन-आधारित इलेक्ट्रोकेमिकल बायोसेंसर किया है। पत्रिका 'एसीएस नैनो' में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इस बायोसेंसर में दो घटक हैं। एक घटक इलेक्ट्रिकल रीड आउट को मापता है जबकि दूसरा घटक वायरल आरएनए की उपस्थिति का पता लगाता है। इसे बनाने के लिए प्रोफेसर दीपांजन पान के नेतृतव में शोधकर्ताओं ने एक प्रवाहकीय फिल्म बनाने के लिए 'ग्रेफीन नैनोप्लेटलेट्स की एक परत लगाई और फिर उन्होंने इलेक्टि्रकल रीड-आउट के लिए एक संपर्क पैड के रूप में ग्रेफीन के शीर्ष पर पूर्वनिर्धारित डिजाइन के साथ सोने का एक इलेक्ट्रोड रखा।
सोने और ग्रेफीन दोनों में अधिक सेंसिटिविटी और कंडक्टिविटी होती है, जो विद्युत संकेतों में परिवर्तन का पता लगाने के लिए इस प्लेटफ़ॉर्म को अल्ट्रासोनिक बनाता है। इलिनोइस ग्रेनर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के शोध छात्र महा अलाफीफ ने कहा कि ग्रेफीन में मैकेनिकल और इलेक्ट्रोकेमिकल गुण होते हैं जो इसे संवेदनशील इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर के विकास के लिए उपयुक्त बनाते हैं। वर्तमान में जो आरएनए आधारित कोरोना टेस्ट वे कोरोना वायरस पर एन-जीन की मौजूदगी का पता लगाते हैं। शोधकर्ताओं के दल को उम्मीद है कि कोविड-19 के अलावा इसका इस्तेमाल अलग-अलग बीमारियों का पता लगाने के लिए भी किया जा सकता है।


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