दुनिया की सबसे बड़ी स्टडी में खुलासा- सर्जिकल मास्क कोविड से बचाव में बेहतर
सर्जिकल मास्क कोरोना से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका हैं
सर्जिकल मास्क कोरोना से बचने का सबसे बेहतरीन तरीका हैं. ये दावा किया गया है एक नई स्टडी में. हैरानी की बात ये है कि ये स्टडी बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर की गई है. वैज्ञानिकों का दावा है कि यह स्टडी गोल्ड स्टैंडर्ड की है. ये क्लीनिकल ट्रायल्स की तरह की गई है. यानी इस स्टडी में हर बात पर गौर किया गया है. स्टडी करने वाले येल यूनिवर्सिटी के जेसन एबालक हैं. यह स्टडी हाल ही में वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित भी हुई है.
ब्राउन यूनिवर्सिटी में इमरजेंसी मेडिसिन फिजिशियन और प्रोफेसर मेगन रैनी ने कहा कि यह स्टडी बताती है कि किस तरह से सर्जिकल मास्क कपड़ों के मास्क से बेहतर हैं. ये ज्यादा बेहतरीन तरीके से आपको कोरोना वायरस संक्रमण से बचाते हैं. साथ ही आपकों सांस लेने और उसे पहनने में दिक्कत भी नहीं होती. पिछले डेढ़ साल से वैज्ञानिक इस बात को कह रहे हैं कि मास्क कोरोना से बचाता है. लेकिन कितना और कैसे? यह बता पाना मुश्किल हो रहा था. क्योंकि मास्क लगाने के बावजूद लोग कोरोनाग्रस्त हो रहे थे.
मेगन ने बताया कि जो साइंटिस्ट इस तरह का अध्ययन कर रहे थे कि किस तरह के मास्क लगाने से कोरोना से कितनी सुरक्षा मिलती है, उनकी स्टडीज पर कई अन्य तरह के कारणों की वजह से नतीजे सही नहीं मिल रहे थे. मास्क की स्टडीज को लेकर पुख्ता परिणाम नहीं मिल रहे थे. इसलिए अमेरिकी वैज्ञानिकों ने बांग्लादेश के 600 गांवों का अध्ययन किया. इन गांवों से 3.42 लाख लोगों को मास्क पहनने और उसके परिणामों की जांच की गई.
इस स्टडी का प्री-प्रिंट 1 सितंबर 2021 को इनोवेशंस फॉर पोवर्टी एक्शन नाम की साइट पर प्रकाशित हुआ है. प्री-प्रिंट का मतलब ये है कि अभी इस स्टडी का अन्य वैज्ञानिकों ने पीयर रिव्यू नहीं किया है. यानी उसकी जांच नहीं की है कि ये स्टडी कितनी सही और उपयुक्त है. अगर इसका पीयर रिव्यू हो जाता है तब यह स्टडी साइंस जर्नल में प्रकाशित की जाएगी. (फोटोः गेटी)
सर्जिकल मास्क (Surgical Mask) को लेकर की गई यह स्टडी नवंबर 2020 से अप्रैल 2021 तक चली है. इसमें 1.78 लाख लोगों को मास्क के साथ-साथ मेडिकल सपोर्ट भी दिया गया, जबकि बचे हुए 1.64 लाख लोगों को मेडिकल सपोर्ट नहीं दिया गया. लेकिन मास्क लगाने को कहा गया था. मेडिकल सपोर्ट वाले समूह को मुफ्त में सर्जिकल मास्क दिए गए. साथ ही उन्हें मास्क पहनने के फायदे बताए गए. उनके समुदाय के लीडर्स को प्रेरित करने के लिए कहा गया. हर लीडर मास्क पहनने वालों को लगातार 8 हफ्तों तक मास्क लगाने के लिए मोटिवेट करता रहा.
1.64 लाख वाले समूह को किसी तरह का मुफ्त मास्क, मोटिवेशन या मेडिकल सपोर्ट नहीं दिया गया. लेकिन इनकी निगरानी हर हफ्ते की जाती थी. ये देखा जाता था कि कितने लोग मास्क लगा रहे हैं? कितने लोग मास्क सही तरीके से लगा रहे हैं? क्या सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं? इन सारी बातों का ध्यान दोनों समूहों के साथ रखा गया था. ये ट्रायल शुरू होने के पांचवें और नौवे हफ्ते के बाद ट्रायल्स शुरू किए गए. (फोटोः गेटी)
वैज्ञानिकों ने दोनों समूहों के लोगों में कोरोना के लक्षणों की जांच करनी शुरू की. ट्रायल शुरु होने के 10 से 12 सप्ताह के बीच समूह के सिम्प्टोमैटिक लोगों से खून के सैंपल भी लिए गए. उनके शरीर में कोरोना एंटीबॉडीज की जांच की गई. जिस समूह ने मास्क का सही उपयोग किया था, उसमें सिर्फ 13.3 फीसदी लोगों में संक्रमण मिला. जबकि, जिन लोगों को मास्क नहीं दिए गए थे, वहां पर 42.3 फीसदी लोग कोरोना संक्रमित निकले.
जिस समूह को मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की उपयोगिता लगातार बताई जा रही थी, उस समूह ने 29.2 फीसदी सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया. जबकि, दूसरे समूह में सोशल डिस्टेंसिंग को मानने वाले सिर्फ 24.1 फीसदी लोग ही थे. लेकिन ट्रायल्स के पांच महीने बाद जिस समूह को प्रेरित किया जा रहा था, उसके परिणाम बिगड़ने लगे. उन्होंने मास्क को सही तरीके से पहनना बंद कर दिया लेकिन दूसरे समूह से 10 फीसदी ज्यादा लोगों ने मास्क पहना. इस पूरी स्टडी में लोगों को सर्जिकल मास्क ही दिए गए थे. (फोटोः गेटी)
वैज्ञानिकों ने 11 हजार लोगों के खून के सैंपल लिए थे. जिन लोगों को सर्जिकल मास्क दिए गए थे और साथ में उन्हें लगातार पहनने की प्रेरणा भी, उस समूह के लोगों में कोरोना संक्रमण दूसरे समूह से 9.3 फीसदी कम निकला. वैज्ञानिकों ने बताया कि स्टडी में यह पता चलता है कि मास्क लगाने की अनिवार्यता, लोगों को लगातार प्रेरित करने की बड़ी मुहिम चलाने से ज्यादा से ज्यादा लोग कोरोना वायरस के संक्रमण से बच सकेंगे. हमने लोगों को सर्जिकल मास्क बांटे थे. इसके नतीजे फायदेमंद रहे हैं. (फोटोः गेटी)
जिन ग्रामीणों को सर्जिकल मास्क या कपड़े के मास्क दिए गए उस समूह में दूसरे समूह की तुलना में सिम्प्टोमैटिक संक्रमण में 11.2 फीसदी की गिरावट देखी गई. यह गिरावट 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों में काफी ज्यादा थी. उनमें सिम्प्टोमैटिक संक्रमण में 34.7 फीसदी की गिरावट देखी गई थी. इसलिए यह स्टडी बताती है कि मास्क लगाने से कोरोना का बचाव संभव है. लोग सर्जिकल मास्क लगाएं या कपड़े या दोनों एकसाथ, उन्हें कोरोना से बचाने का यह सबसे बेहतरीन तरीका है.