शोधकर्ताओं को मिले 100 गुप्त भंडारों से कांसे से बने पांच हजार वस्तुएं, मुद्रा के रूप में होता था प्रयोग
यूरोप (Europe) में आज के दौर में ब्रिटिश पाउंड से लेकर यूरो जैसी मुद्राओं का चलन है. लेकिन
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। यूरोप (Europe) में आज के दौर में ब्रिटिश पाउंड से लेकर यूरो जैसी मुद्राओं का चलन है. लेकिन यूरोप में एक दौर ऐसा भी था, जब लोग कांसे के छल्ले (Bronze rings), चूड़ियों और कुल्हाड़ी की ब्लेड का इस्तेमाल मुद्रा (Money) के रूप में करते थे. शोधकर्ताओं ने पांच हजार पहले यूरोप में प्रचलित मुद्राओं को लेकर ये खुलासा किया है. एक नए शोध में पता चला है कि कांस्य युग की शुरुआत में यूरोप के लोगों ने इन वस्तुओं को मुद्रा के आकार और वजन को मानकीकृत बनाने की दिशा में भी काम किया.
मुद्रा की एक प्रमुख विशेषता मानकीकरण है, लेकिन यह पुरातात्विक रिकॉर्ड में पहचानना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि प्राचीन लोगों के पास आज के लोगों की तरह माप के लिए बेहतर उपकरण नहीं होते थे. नीदरलैंड की लीडन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने मध्य यूरोप के कांस्य युग की शुरुआत के समय की मुद्रा को लेकर आकलन किया है. इसके लिए उस दौर की वस्तुओं की तुलना की गई है.
100 गुप्त भंडारों से मिली वस्तुओं पर हुआ अध्ययन
अध्ययन की गई वस्तुओं में छल्ले और कुल्हाड़ी की ब्लेड शामिल है, जो कांस्य से बनी हुई होती थीं. शोध दल ने 100 से अधिक प्राचीन गुप्त भंडारों से मिली पांच हजार कांस्य से बनी वस्तुओं की जांच की है. अध्ययन में पाया गया कि कांस्य युग में यूरोपियन लोगों ने वस्तुओं के भार की तुलना एक सिद्धांत के रूप में की है, जिसे वेबर फ्रेक्शन के रूप में जाना जाता है. वेबर फ्रेक्शन से अभिप्राय है कि अगर वस्तुओं का भार एक समान है तो उन्हें हाथों से तौल कर अंतर बताया जा सकता है.
यूरोप में होता था कांसे के छल्लों का मुद्रा के रूप में प्रयोग
शोधकर्ताओं ने पाया कि भले ही वस्तुओं का वजन अलग-अलग था, लेकिन फिर भी 70 फीसदी कांसे के बने छल्लों को हाथ से उनके वजन में फर्क नहीं बताया जा सकता था. इन सभी का वजन लगभग 195 ग्राम था. शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि आकार और वजन में लगातार समानता इस बात का सबूत है कि इन वस्तुओं को गुप्त भंडारों में रखा जाता था. इससे इस बात के भी सबूत मिलते हैं कि यूरोप में इन वस्तुओं का मानकीकृत मुद्रा के रूप में प्रयोग होता था.