शोध में खुलासा! क्षुद्रग्रह के टकराव से काफी पहले से खत्म होने लगे थे डायनासोर...

वैज्ञानिकों में इस बात पर अब भी बहस जारी है कि करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर (Dinosaur) के विनाश के पीछे का सही कारण क्या था.

Update: 2021-07-02 06:26 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| वैज्ञानिकों में इस बात पर अब भी बहस जारी है कि करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर (Dinosaur) के विनाश के पीछे का सही कारण क्या था. क्या उस समय हुए क्षुद्रग्रह (Asteroid) या उल्कापिंड के टकराव के कारण ही डायनासोर समेत पृथ्वी (Earth) के तीन चौथाई जीव खत्म हो गए थे. या फिर बहुत सारी पर्यावरणीय बदलाव के कारण हिमयुग का आगमन हुए जिससे डायनासोर खुद को बचा नहीं सके. हाल ही में हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि क्षुद्रग्रह के टकराव (Impact Event) की घटना के बहुत समय पहले ही डायनासोर कम होना शुरू हो गए थे.

बदलती जलवायु की भूमिका
इस शोध में पाया गया है कि डायनासोर तो क्षुद्रग्रह के टकाराव से लाखों साल पहले ही कम होना शुरू हो गए थे. जबकि आमतौर पर माना जाता है कि क्षुद्रग्रह के टकराव ने पृथ्वी के वातावरण में ऐसा बदलाव लाने शुरू किए जिससे अंततः महाविनाश की प्रक्रिया शुरू हुई जिसमें डायनासोर नहीं बच सके. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने इस महाविनाश में बदलती जलवायु की भूमिका अध्ययन किया.
विशाल पिंड का टकराव
चिक्सूलब उल्का मैक्सिको के युकाटान प्रायद्वीप के आसपास 6.6 करोड़ साल पहले टकराया था. माना जाता रहा है कि इसकी वजह से क्रेटेशियस पेलेयोजीन महाविनाश की घटना शुरू हुई थी जिससे डायनासोर सहित धरती के 75 प्रतिशत जीव खत्म हो गए थे. नए शोध में दावा किया गया है कि इस टकराव से करीब 1करोड़ साल पहले से ही डायनासोर कम होना शुरू हो गए थे
7.6 करोड़ साल पहले
नेचर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन ने दुनिया के 1600 डायनासोर के अवशेषों से मिले आंकड़ों का अध्ययन किया और इसका मॉडल बनाया कि कैसे उत्तर क्रिटेशियस काल में मांसाहारी और शाकाहारी डायनासोर प्रजातियां कितनी आम थीं. टीम ने पाया कि इन प्रजातियों का कम होने 7.6 करोड़ साल पहले ही शुरू हो गया था.
शोध में पाया गया है कि डायनासोर (Dinaosaur) अचानक हुई घटना से खत्म नहीं हुए थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
कम होना शुरू हुई विविधता
मोंटपिलर्स इंस्टीट्यूट ऑफ रिवोल्यूशनरी साइंसेस के शोधकर्ता और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक फैबियन कोंडामाइन ने बताया कि उनकी टीम ने डायनासोर परिवारों को कम होने की प्रक्रिया पर नजर रखी जिसमें करीब 250 अलग अलग प्रजातियां शामिल थीं. कोंडामाइन ने बताया कि 7.6 करोड़ साल पहले विविधता चरम पर थी. उसके बाद गिरावट का सिलसिला 1 करोड़ साल तक चला.
ठंडक का दौर
गिरावट का दौर होमो जेनस की पूरे काल से अधिक था जिसमें मानव विकास हुआ. टीम ने इसके दो संभावित व्याख्याएं पाई कि आखिर डायनासोर के जीवाश्म में विविधता में इतनी गिरावट क्यों क्यों हुई. पहली वजह यह थी कि 7.5 करोड़ साल पहले वैश्विक जलवायु में तेज ठंडक शुरू हो गई थी. कोंडामाइन का कहना है कि डायनासोर मेजोथर्मल जलवायु के आदि थे जो गर्म और नम रहा करता था जिसमें ये करोड़ों साल तक रह रहे थे.
अध्ययन में पाया गया है कि शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर (Dinosaurs) अलग अलग समय पर कम होना शुरू हुए थे. (फाइल फोटो)
शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर का कम होना
इस ठंडक के दौर में जहां तापमान 8 डिग्री तक पहुंच गया था, दूसरे बड़े जानवरों की तरह यह संभव नहीं था कि डायनासोर खुद को बदलाव में ढाल पाते. शोधकरताओं को यह जानकर हैरानी हुई कि शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर में कमी का समय में करीब बीस लाख सालों का अंतर था. इनकी कमी का दूसरा कारण यह था कि जब शाकाहारी कम होने लगे तो उनके बाद मांसाहारी प्रजातियां भी कम होने लगीं.
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अध्ययन में यह निष्कर्ष निकला कि ठंडी होने वाली जलवायु और कम होती विविधता ही शाकाहारी डायनासोर के खत्म होने की वजह नहीं थी, बल्कि बहुत सी बची हुई प्रजातियां उल्का पिंड के टकराव से उबर नहीं पाईं और नष्ट हो गई थीं. इन कारकों ने उन्हें बचने से रोकने में प्रमुख भूमिका निभाई.


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