शोध में दावा: नाक से दिया जाने वाला टीका संक्रमण रोकने में कारगर!

कोरोना से बचाव के लिए नाक से दिया जाने वाला एक प्रायोगिक टीका चूहों को घातक संक्रमण से पूरी तरह से बचाता है।

Update: 2021-07-13 09:33 GMT

कोरोना से बचाव के लिए नाक से दिया जाने वाला एक प्रायोगिक टीका चूहों को घातक संक्रमण से पूरी तरह से बचाता है। साथ ही फेरेट (नेवले की प्रजाति का जीव) में सार्स-सीओवी-2 को फैलने से रोकता है। एक नए शोध में यह दावा किया गया है।

साइंस एडवांसेज पत्रिका में बताया गया कि यह नया टीका उसी तरह नाक में स्प्रे के माध्यम से दिया जाता है, जैसे कि आम तौर पर इन्फ्लूएंजा का टीका दिया जाता है। यह नया तरीका वर्तमान में स्वीकृत कोविड-19 टीकों को लगाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधि से अलग है।
वर्तमान में स्वीकृत टीके लगाने के लिए इन्जेक्शन की आवश्यकता होती है। अमेरिका के जार्जिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पॉल मैक्रे ने कहा कि वर्तमान में उपलब्ध कोविड-19 टीके बहुत कारगर हैं। लेकिन दुनिया की अधिकांश आबादी को अब भी टीका नहीं लगा है तथा ऐसे टीकों की बहुत आवश्यकता है जिनका इस्तेमाल आसान हो और जो बीमारी एवं संक्रमण को रोकने में प्रभावी हों।
अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों में शामिल मैक्रे ने कहा कि यदि यह नया टीका लोगों के लिए प्रभावी साबित होता है, तो यह सार्स-सीओवी-2 के संक्रमण को रोकने और कोरोना को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
एक खुराक की आवश्यकता
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इस टीके की केवल एक खुराक की आवश्यकता होती है और इसे सामान्य रेफ्रिजरेटर के तापमान पर कम से कम तीन महीने तक संग्रहीत किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह टीका नाक से दिया जाता है, इसलिए इसे खासकर उन लोगों को देना आसान है, जिन्हें सुइयों से डर लगता है। जॉर्जिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और अध्ययन में शामिल बियाओ हे ने कहा कि हमारे अध्ययन के आंकड़े दर्शाते हैं कि यह टीका न केवल संक्रमण से बचाता है, बल्कि इसकी संभावना को भी काफी कम करता है।
पैरैनफ्लुएंजा वायरस 5 का उपयोग
इस प्रायोगिक टीके के जरिए सार्स-सीओवी-2 स्पाइक प्रोटीन को कोशिकाओं में पहुंचाने के लिए एक हानिरहित पैरैनफ्लुएंजा वायरस 5 (पीआईवी5) का उपयोग किया जाता है, जो रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रिया को शुरू करता है जो कोविड-19 संक्रमण से बचाता है। अध्ययन से पता चला है कि टीके ने चूहों में कोविड-19 के खिलाफ रोग प्रतिरोधी प्रतिक्रिया शुरू की। इसमें कहा गया है कि टीके ने फेरेट में भी संक्रमण भी रोका।


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