रिपोर्ट्स : बच्चे की मौत के बाद दुखी बंदरिया ने कलेजे से लगाकर भटकती रहती है महीनों भर

किसी अपने को खाने के बाद इंसान ही नहीं जानवरों को भी दुख से उबरने में समय लगता है

Update: 2021-09-16 17:55 GMT

किसी अपने को खाने के बाद इंसान ही नहीं जानवरों को भी दुख से उबरने में समय लगता है। बच्चे की मौत होने पर बंदरिया को इस दु:ख से उबरने में महीनों का समय लगता है। दुखी होने के कारण वह मृत बच्चे को कलेजे से लगातार महीनों भटकती रहती है।

यह बात यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन की रिसर्च में सामने आई है। बंदर अपने बच्चों की मौत पर कैसे दुख से उबरते हैं, इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों ने इनकी 50 प्रजातियों पर तैयार की गईं 409 रिपोर्ट्स का अध्ययन किया।
अलग-अलग प्रजाति की मादा बंदर इतने दिन दुखी रहती है
हालिया स्टडी के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने 1915 से लेकर 2020 तक के बंदरों, ऐप्स, बुशबेबीज और लेमूर का उनके मृत बच्चों के प्रति किए जाने वाले व्यवहार का अध्ययन किया।
1915 में हुई एक स्टडी में सायकोलॉजिस्ट रॉबर्ट यर्क्स ने लिखा है, बंदरों की एक प्रजाति रीसस मकाक्यू अपने म़ृत बच्चे को 5 हफ्तों तक लेकर दुख में डूबी हुई घूमती रहती है।
2017 में हुई रिसर्च की रिपोर्ट कहती है, इटेलियन वाइल्ड लाइफ पार्क में मादा माकाक्यू अपने मृत बच्चे को लेकर 4 हफ्ते तक दुखी रही। वहीं, 2003 में सांस के रोग से हुई चिम्पैंजी की मौत के बाद उसकी मां महीनों तक गम में डूबी रही।
बच्चे की मौत पर मादा लैमूर दूसरे बंदरों की तरह व्यवहार नहीं करती।
बच्चे की मौत पर मादा लैमूर दूसरे बंदरों की तरह व्यवहार नहीं करती।
लैमूर ऐसा व्यवहार नहीं करते
रिसर्च कहती है, बंदरों की तरह दिखने वाला लैमूर इस मामले में अलग व्यवहार करता है। मादा लैमूर अपने मृत बच्चे को लेकर नहीं भटकती। वह अधिक दुखी होने पर अपने बच्चे के मृत शरीर के पास वापस जाती है या उसे याद करने की कोशिश करती है।


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