दुर्लभ! 2% दिमाग के साथ पैदा हुआ था बच्चा, अब सबको चौंकाया, ये है वजह
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जब नोआह वॉल पैदा हुआ तब उसके पास सिर्फ 2 फीसदी दिमाग ही था. ये देख डॉक्टर्स हैरान थे. डॉक्टरों को लगा था कि ये बच्चा ढंग से जिंदगी जी नहीं पाएगा. क्योंकि इसे दो दुर्लभ जेनेटिक बीमारियों ने एकसाथ जकड़ रखा है. डॉक्टरों ने नोआह के माता-पिता को बताया कि ये बच्चा न चल पाएगा, न खुद से खा पाएगा, न बात कर पाएगा. इसके बाद सब दुखी हो गए. उसके अंतिम संस्कार की तैयारियां शुरू हो गई थीं. कॉफिन भी खरीद लिया गया था. पर आज, नोआह 9 साल का है. वह एस्ट्रोनॉट बनना चाहता है. अब उसके दिमाग में बहुत बदलाव हो चुका है...जानते हैं नोआह की कहानी...
नोआह जब गर्भ में था. तब डॉक्टरों ने उसके माता-पिता को बताया कि नोआह को स्पाइना बोफिडा (Spina Bofida) नाम की बीमारी हो रही है. हो सकता है कि ये बच्चा जब पैदा हो तो इसकी रीढ़ की हड्डी पूरी तरह ने विकसित न हो. इसकी वजह से बच्चे के सीने के नीचे का शरीर लकवाग्रस्त हो जाएगा. गर्भ में ही नोआह के दिमाग की स्कैनिंग की गई तो पता चला कि उसका ज्यादातर दिमाग गायब है.
नोआह का दिमाग सिर्फ 2 फीसदी ही विकसित हुआ है. क्योंकि उसके दिमाग में पोरिनसेफेलिक सिस्ट (Porencephalic Cyst) है. इसकी वजह से दिमाग का बड़ा हिस्सा नष्ट हो रहा है. इतने पर ही आफतें खत्म नहीं हुईं. डॉक्टरों को लगा कि बच्चे ने एडवर्ड सिंड्रोम (Edward Syndrome) और पटाऊ सिंड्रोम (Patau Syndrome) विकसित कर लिया है. इन दोनों दुर्लभ जेनेटिक बीमारियों के होने के बाद किसी के भी बचने की संभावना बहुत कम होती है.
एडवर्ड सिंड्रोम (Edward Syndrome) को ट्राईसोमी 18 (Trisomy 18) के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर स्वस्थ इंसान में क्रोमोसोम 18 की दो कॉपी पाई जाती हैं. जबकि, ट्राईसोमी 18 में ये कॉपी बढ़कर तीन हो जाती हैं. अगर इस बीमारी के साथ दुनिया में 100 बच्चे पैदा होते हैं तो उनमें से सिर्फ 13 ही जीवित रह पाते हैं. बाकियों की मौत उनके पहले जन्मदिन से पहले हो जाती है.
इसी तरह पटाऊ सिंड्रोम (Patau Syndrome) क्रोमोसोम 13 की अतिरिक्त कॉपी बन जाती है. 10 में से किसी एक बच्चे को यह बीमारी होती है. यह अत्यधिक दुर्लभ जेनेटिक बीमारी है. इससे ग्रसित बच्चा एक साल भी जिंदा नहीं रहता.
यूके के कंब्रिया में पैदा हुए नोआह की मां मिशेल वॉल कहती हैं कि हम लोगों ने कॉफिन की तैयारी करवा ली थी. अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली थी. लेकिन जन्म तो देना ही था. जब नोआह हुआ तो उसने ऐसी चीख लगाई कि मुझसे रहा नहीं गया. ये चीख थी जिदंगी की. इस चीख से डॉक्टर भी हैरान रह गए. क्योंकि उन्हें एक इतने सक्रिय बच्चे की उम्मीद नहीं थी.
तत्काल बच्चे का MRI स्कैन कराया गया. बच्चा 2 फीसदी दिमाग के साथ पैदा हुआ था. इस स्थिति को हॉइड्रोसिफैलस (Hydrocephalus) कहते हैं. इसकी वजह से दिमाग में एक खास तरह का तरल पदार्थ जमा हो जाता है. फिर डॉक्टरों ने अनुमान लगाया कि अभी तो चीखा था, लेकिन हो सकता है कि इसके बाद ये वेजिटेटिव स्टेट यानी निष्क्रिय अवस्था में चला जाए. पर ऐसा कुछ नहीं हुआ.
नोआह आज 9 साल का है. उसने चमत्कारिक रूप से विकास किया है. हाल ही में उसने 9वां जन्मदिन मनाया है. वो पढ़ लेता है. खुद से गणित के सवाल लगाता है. उसे साइंस बहुत पसंद है. वह एस्ट्रोनॉट बनना चाहता है. नोआह को उसकी मां ने घर में ही पढ़ाया लिखाया है. व्हीलचेयर पर रहने वाले नोआह को स्की और सर्फिंग भी बहुत पसंद है. वह ये माता-पिता की मदद से करता है.
नोआह की रिकवरी जन्म के सात हफ्ते बाद शुरु हुई. डॉक्टरों ने उसके सिर में एक स्टंट और नरम ट्यूब लगा दी थी. हाइड्रोसिफैलस की वजह से दिमाग में भर रहा अधिक तरल पदार्थ बाहर निकल सके. इसकी वजह से उसके दिमाग के अंदर जगह बननी शुरु हुई. तुरंत दिमाग ने काम करना शुरु किया. उसने खाली हो रहे जगह को भरना शुरु कर दिया. अब भी नोआह का दिमाग फैल रहा है.
दुर्भाग्य की बात ये है कि नोआह के दिमाग और रीढ़ की हड्डी का जुड़ाव नहीं हो पाया. इसलिए नोआह चल नहीं सकता. लेकिन नोआह अब 9 साल के बच्चे की तरह दिखता भी है. उसकी मां मिशेल कहती हैं मेरा बेटा स्मार्ट हो रहा है. हर दिन वो कुछ ऐसा करता है जिससे मैं इम्प्रेस हो जाऊं. उसका लक्ष्य है दौड़ना और मैं उसे दौड़ा कर रहूंगी.