देश में यहां मिली आर्किड पौधे की दुर्लभ प्रजाति
आर्किड पौधे की दुर्लभ प्रजाति
वनस्पति विज्ञानियों ने चमोली जिले की मंडल घाटी में आर्किड पौधे की एक दुर्लभ प्रजाति खोजी है जो भारत में पहली बार देखी गयी है। उत्तराखंड वन विभाग की शोध शाखा और भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के विज्ञानियों के शोध दल ने आर्किड की इस नई प्रजाति की पहचान 'सिफलंथेरा इरेक्टा के रूप में की है। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण की शोध पत्रिका 'नेलुम्बो' में छपे शोध पत्र में यह जानकारी दी गई है।
विज्ञानियों ने बताया कि यह प्रजाति पहली बार भारत में चिह्नित हुई है जो मंडल-उखीमठ मार्ग पर घरसारी के बांज-बुराश के जंगल में 1,870 मीटर की उंचाई पर उगी मिली। प्राकृतिक खाद ह्यूमस से भरपूर बांज-बुराश के इन नम जंगलों में पहली बार इस प्रजाति की मौजूदगी मिली है। जमीन पर पाये जाने वाली आर्किड की यह प्रजाति पांच से 20 सेंटीमीटर तक लंबी होती है और इस पर मई-जून में सफेद रंग के सुन्दर पुष्प खिलते हैं।
वैज्ञानिकों ने इस दुलर्भ प्रजाति के संरक्षण के प्रयासों की जरूरत बताते हुए वनस्पतियों के संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर कार्य करने वाले 'अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (आईयूसीएन) के मापदंडों के आधार पर इसके लुप्तप्रायः श्रेणी में होने की संभावना भी अपने शोध पत्र में जतायी है। पर्यटन और पशुओं को चराने जैसी मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से इस प्रजाति पर खतरा बताते हुए विज्ञानियों ने इसके लुप्त होने की आशंका जताई है।