चेन्नई: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 मिशन में एक कदम और बढ़ाते हुए गुरुवार दोपहर को मुख्य अंतरिक्ष यान से लैंडर को सफलतापूर्वक अलग किया। चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है।
इसरो ने एक्स पर लिखा, “लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने कहा: सवारी के लिए धन्यवाद, दोस्त! एलएम को प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम) से सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया है। कल भारतीय समयानुसार, शाम चार बजे डीबूस्टिंग कर एलएम को थोड़ी नीचे की कक्षा में उतारा जाएगा।''
इसरो के मुताबिक, लैंडर चंद्रमा की 153 किमी गुना 163 किमी की कक्षा में प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हुआ। प्रोपल्शन मॉड्यूल इसी कक्षा में महीनों/वर्षों तक अपनी यात्रा जारी रखेगा। इसरो ने बताया, "इस पर स्थित 'शेप' पेलोड पृथ्वी के वायुमंडल का स्पेक्ट्रोस्कोपिक अध्ययन करेगा और पृथ्वी पर बादलों से ध्रुवीकरण में भिन्नता को मापेगा, ताकि सौर मंडल से बाहर के ग्रहों के चिह्न एकत्र किए जा सकें जहां इंसानों के लिए जीवन संभव हो। इस पेलोड को इसरो के बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा विकसित किया गया है।''
करीब 600 करोड़ रुपये की लागत वाले भारत के तीसरे चंद्र मिशन का मुख्य उद्देश्य लैंडर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर धीरे से उतारना है। चंद्रयान-2 मिशन इसी चरण में विफल हो गया था जब 'विक्रम' नामक लैंडर चंद्रमा पर सॉफ्टलैंडिंग करने की बजाय क्रैश लैंड कर गया था। इसरो के मुताबिक, लैंडर के 23 अगस्त को शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने की उम्मीद है।
लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद, छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्रमा की सतह पर प्रयोग करेगा जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है।
चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को एलवीएम3 रॉकेट से पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था। अंतरिक्ष यान 1 अगस्त को पृथ्वी की कक्षा छोड़कर चंद्रमा की लंबी यात्रा पर निकल गया था।