नई तकनीक ने बताया- सफेद बौने तारे होते जाते हैं उम्र के साथ चुंबकीय
तारों (Stars) का ईंधन खत्म होने के बाद ही सफेद बौने (White Dwarf) के बनने की संभावना होती है.
हम सब जानते हैं कि तारों (Stars) का ईंधन खत्म होने के बाद ही सफेद बौने (White Dwarf) के बनने की संभावना होती है. कम से कम चार सफेद बौनों में से एक ऐसा होता है कि जिसके जीवन का अंत चुंबकीय तारे (Magnetic Star) के रूप में होता है. इसलिए सफेद बौनों की भौतिकी में मैग्नेटिक फील्ड अहम हिस्सा होते हैं. कुछ सफेद बौनों के चुंबकीय विश्लेषण से ऐसे प्रमाण मिले है जो सफेद बौनों की उम्र का उनके चुंबकत्व से संबंध बताते हैं. माना जा रहा है कि यह खोज सफेद बौनों में मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) की उत्पत्ति और विकास की व्याख्या में मदद कर सकती है.
हमारी गैलेक्सी (Galaxy) के 90 प्रतिशत तारों का अंत सफेद बौनों (White Dwarfs) के रूप में होता है, हालांकि इनमें से बहुत से बौनों का चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) होता है, यह क्षेत्र सतह पर कब दिखता है. क्या यह सफेद बौने के ठंडे होने वाले दौर में विकसित होता है, या फिर इसकी प्रक्रिया क्या होती है, यह अभी तक पता नहीं चल सका है. चूंकि सफेद बौने मरते हुए तारे ही होते हैं , वे जब ठंडे होते हैं तो समय के साथ धुंधले भी होते जाते हैं. इसी लिए चमकीले सफेद बौनों के अध्ययन पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है जो युवा और गर्म होते हैं.
भारी सफेद बौने (White Dwarfs) हलके सफेद बौनों की तुलना में छोटे होते है और वे धुंधले भी होते हैं. जब अवलोकनों के लिए सफेद बौनों का चुनाव होता है, उनकी चमक के आधार पर युवा और कम भारी तारे चुने जाते हैं और पुराने सफेद बौने नजरअंदाज कर दिए जाते हैं. इसके अलावा सफेद बौनों के बहुत सारे अवलोकन स्पक्ट्रोस्कोपिक (spectroscopy )तकनीक से किया जाता है जो बहुत ताकवर मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) के प्रति संवेदनशील होते हैं. इससे बहुत से चुंबकीय सफेद बौनों का अध्ययन नहीं हो पाता है.
लेकिन स्पेक्ट्रोपोलरीमेट्री (Spectropolarimetry) की मैग्नेटिक फील्ड के प्रति संवेदनशीलता है स्पेक्ट्रस्कोपी से बेहतर है. स्पेक्ट्रोपोलरीमेट्री ने दर्शाया है कि कमजोर चुंबकीय क्षेत्र (Magnetic Field) सफेद बौनों (White Dwarfs) में बहुत आम बात है. जबकि यह कमजोर क्षेत्र स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिए पहचाने नहीं जा सकते हैं. पूरा स्पेक्ट्रोपोलरीमेट्री सर्वे करने के लिए आर्माग वेधशाला के खगोलविद और यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ओन्टारिय ने गाइगा कैटलॉग के एक हिस्से के सभी सफेद बौनों का एक साथ अध्ययन किया, इस हिस्से के दो तिहाई,यानि करीब सौ सफेद बौने इससे पहले अलोकित नहीं किए गए थे जिनकी कोई जानकारी या आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.
शोधकर्ताओं ने ISIS स्पेक्ट्रोग्राफ (Spectrograh) और विलियम हर्शेल टेलीस्कोप के पोलरिमीटर,के साथ दूसरे टेलीस्कोप के उपकरणों का भी उपयोग कर अवलोकन किया. उन्होंने पाया कि मैग्नेटिक फील्ड (Magnetic Field) सफेद बौनों (White Dwarfs) के जीवन के शुरुआत में बहुत कम पाई जाती हैं. पैदा होते समय सफेद बौनों में इस फील्ड की विशेषता अलग से दिखाई नहीं देती. या तो यह बाद में पैदा होती है या फिर ठंडे होने के दौरान सतह पर आती है.