स्तंभन या नपुंसकता या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction) जो भी कहें... ये एक ऐसी समस्या है जिसके लिए अक्सर लोग डॉक्टर से पूछकर या फिर बिना पूछे वियाग्रा जैसी दवाएं लेते हैं. लेकिन ये दवाएं आपकी आंखों की रोशनी कम या खत्म कर सकती हैं. एक नई स्टडी में इस बात का खुलासा हुआ है. क्योंकि इन दवाओं में एक ऐसा रसायन होता है, जो आंखों के लिए सही नहीं होता.
यह स्टडी हाल ही में JAMA Opthalomology में प्रकाशित हुई है. ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं. वैज्ञानिकों ने कहा है कि बताया कि ऐसी दवाओं में फॉस्फोडाइस्टेरेस टाइप 5 इनहिबिटर्स (phosphodiesterase type 5 inhibitors- PDE5Is) होते हैं, जो आंखों पर बुरा असर डालते हैं. अगर मामला गंभीर होता है तो आंखों की रोशनी भी जा सकती है. इरेक्टाइल डिस्फंक्शन दूर करने वाली दवाएं जैसे वियाग्रा (Viagra), सियालिस (Cialis), लेविट्रा (Levitra) और स्टेंड्रा (Stendra) का उपयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है. लेकिन इन दवाओं के साथ समस्या ये है कि इनके उपयोग के बाद आपको देखने में दिक्कत आ सकती है.
स्टडी के मुताबिक अलग-अलग दवाओं का आंखों पर अलग-अलग असर है. कई तरह की दिक्कतें हो रही हैं लेकिन फिलहाल इनसे सीरियस रेटिनल डिटैचमेंट (Serious Retinal Detachment - SRD) और रेटिनल वैस्कुलर ऑक्लूजन (RVO) जैसी बीमारी हो, इसकी सूचना नहीं थी. तब रिसर्चर्स ने सोचा कि इसकी डिटेल में स्टडी की जाए. शोधकर्ताओं ने अमेरिका में हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम का रिकॉर्ड जांचा. उसमें 2.13 लाख लोग ऐसे मिले जो लगातार इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की दवा का सेवन कर रहे हैं. जब इनकी जांच की गई तो पता चली किसी में आंख से संबंधित एक या किसी में तीन दिक्कतें हैं. जिसमें सीरियस रेटिनल डिटैचमेंट यानी रेटिना के पीछे पानी भर जाना, रेटिनल वैस्कुलर ऑक्लूजन यानी रेटिना में खून जम जाना. या फिर इशमिक ऑप्टिक न्यूरोपैथी (Ischemic Optic Neuropathy - ION) यानी रेटिना में खून का बहाव रूक जाना शामिल है.
इसके अलावा हाइपरटेंशन, डायबिटीज और कोरोनरी आर्टरी डिजीसेंस की संभावना भी आंख की दिक्कतों को बढ़ा देती हैं. यानी अगर कोई व्यक्ति इन बीमारियों से ग्रसित है और वह वियाग्रा जैसी दवाएं लेता है, तो उसकी आंखों में समस्याएं पैदा हो सकती हैं. क्योंकि फॉस्फोडाइस्टेरेस टाइप 5 इनहिबिटर्स (phosphodiesterase type 5 inhibitors- PDE5Is) की वजह से SRD, RVO और ION जैसी दिक्कतें काफी ज्यादा होती हैं. वियाग्रा जैसी दवा न लेने वालों की तुलना में इसे लेने वाले लोगों में SRD के होने की आशंका 1.5 फीसदी बढ़ जाती है. RVO की आशंका 2.5 फीसदी बढ़ जाती है. वहीं, ION होने के चांस दोगुना हो जाते हैं. इस स्टडी में शामिल साइंटिस्ट और आंखों के विशेषज्ञ डॉ. माहयार एतमिनान ने कहा कि ये बीमारियां दुर्लभ होती हैं, लेकिन इनसे बचा जा सकता है. अगर कोई इंसान वियाग्रा जैसी दवाओं का सेवन सीमित करे तो.