नए अध्ययन में पता चला: हवा के जरिए कोरोना फैलता है या नहीं...

एक नए अध्ययन में पता चला है कि हमारे खांसने अथवा छींकने के बाद हवा के संपर्क में आने वाली एयरोसोल माइक्रोड्रॉपलेट्स (हवा में निलंबित अतिसूक्ष्म बूंदें) कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने के लिए खास जिम्मेदार नहीं होतीं।

Update: 2020-10-28 12:12 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| लंदन: एक नए अध्ययन में पता चला है कि हमारे खांसने अथवा छींकने के बाद हवा के संपर्क में आने वाली एयरोसोल माइक्रोड्रॉपलेट्स (हवा में निलंबित अतिसूक्ष्म बूंदें) कोरोना वायरस संक्रमण फैलाने के लिए खास जिम्मेदार नहीं होतीं। जर्नल 'फिजिक्स ऑफ फ्ल्यूड'में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक बंद स्थान में सार्स-सीओवी-2 का एयरोसोल प्रसार खास प्रभावी नहीं होता है।

अनुसंधानकर्ताओं ने एक बयान में कहा,'यदि कोई व्यक्ति ऐसे स्थान पर आता है जहां कुछ ही देर पहले कोई ऐसा व्यक्ति मौजूद था जिसे कोरोना वायरस संक्रमण के हल्के लक्षण थे तो उस व्यक्ति के संक्रमण की जद में आने की आशंका कम होती है।' उन्होंने कहा कि यह आशंका और भी कम होती है जब वह व्यक्ति केवल बात ही कर रहा हो।

अध्ययन में कहा गया, 'सार्स-सीओवी-2 के प्रसार पर हमारे अध्ययन ने दिखाया कि एयरोसोल प्रसार संभव है, लेकिन यह ज्यादा प्रभावी नहीं है, खासतौर पर बिना लक्षण वाले अथवा कम लक्षण वाले संक्रमण के मामलों में।' एम्स्टर्डम विश्वविद्यालय में अध्ययन के सह-लेखक डैनियल बॉन कहते हैं कि अति सूक्ष्म बूंदें होने के कारण उनमें वायरस की संख्या कम होती है। इसलिए उससे संक्रमण के प्रसार का खतरा कम है। 

Tags:    

Similar News