नासा वैज्ञानिकों की नई स्टडी, ज्यूपिटर को लेकर हुआ खुलासा
अगर आप नॉर्वे या स्वीडन जैसे मुल्कों की यात्रा पर जाते हैं तो वहां आपको ऑरोरा की खूबसूरती को देखने का मौका मिलेगा
अगर आप नॉर्वे या स्वीडन जैसे मुल्कों की यात्रा पर जाते हैं तो वहां आपको ऑरोरा (Auroras) की खूबसूरती को देखने का मौका मिलेगा. इस चमत्कार को देखने के लिए हजारों सैलानी वहां जाते हैं और प्रकृति के इस अद्भुत नजारे का मजा उठाते हैं.
एक्स-रे निकलने का राज
ब्रहस्पति ग्रह के भी ऑरोरा हैं जिनके बार नासा की ओर से एक नई खोज की गई है. सबसे बड़े ग्रह के दोनों पोल पर ये Auroras मौजूद हैं. लेकिन यह ऑरोरा एक्स-रे (X-Ray) निकालते हैं. नासा के वैज्ञानिक ऐसी रेज निकलने की वजहों का पता लगाने में पिछले 40 साल से जुटे हुए थे, अब जाकर उन्हें इस बारे में जानकारी हासिल हुई है.
नासा ने इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर की है जिससे पता चलता है कि ब्रहस्पति ग्रह को लेकर एक और रहस्य का खुलाया अब हो चुका है. इस फोटो में ग्रह की खूबसूरती तो दिख ही रही है लेकिन जो सबसे खास बात है वह इसके दोनों पोल पर दिखने वाले पर्पल कलर के ऑरोरा.
मैग्नेटिक फील्ड को किया स्टडी
साइंटिस्ट ये पता लगा चुके हैं कि ग्रह के वातावरण में आयनों के टकराने से ऑरोरा बनते हैं लेकिन अब उन्होंने यह भी पता लगा लिया है कि कैसे एक्स-रे के जरिए ये आयन ग्रह के एटमॉस्फियर में दाखिल होते हैं.
नासा की स्टडी में यह बात सामने आई कि आकार में काफी बड़ा होने की वजह से ज्यूपिटर पर बनने वाले ऑरोरा काफी शक्तिशाली होते हैं फिर जब ग्रह के मैग्नेटिक फील्ड में जोरदार वाइब्रेशन होता है तो इससे एक्स-रे निकलती हैं. इस वाइब्रेशन की वजह से आयन ज्यूपिटर के मैग्नेटिक फील्ड पर पहुंच जाते हैं और वहां एनर्जी रिलीज करते हैं. इसी के चलते हमें ग्रह के दोनों पोल पर रंगीन ऑरोरा दिखाई देते हैं.