नासा के मंगल ग्रह पर रोवर ने शुरू की चढ़ाई, मंगल पर कभी नदी थी, रोवर से हुई पुष्टि
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। मंगल पर जिंदगी की तलाश में निकला नासा का पर्सिवियरेंस रोवर एक अहम मुकाम पर पहुंच गया है. छह पहियों वाला ये रोबॉट जिस क्रेटर यानी गड्ढे में उतरा था, आज मंगलवार से उसके ऊपर डेल्टा की तरफ चढ़ाई शुरू करेगा. डेल्टा किसी नदी के मुहाने को कहते हैं. पर्सिवियरेंस की अब तक की खोज से ये बात साफ हो चुकी है कि मंगल ग्रह पर किसी जमाने में यहां पर नदी हुआ करती थी. जब नदी रही होगी तो बहुत मुमकिन है कि जिंदगी भी रही होगी. अगर ऐसा होगा तो इसके सबूत अब तक इस जगह पर दफन होंगे. अब नासा का ये रोबॉट उसी संभावित जिंदगी के सबूतों की खोज शुरू करने जा रहा है.
मंगल पर कभी नदी थी, रोवर से हुई पुष्टि
नासा ने पर्सिवियरेंस रोवर को पिछले साल 18 फरवरी को मंगल ग्रह के जजेरो क्रेटर के अंदर उतारा था. क्रेटर उस गड्ढे को कहते हैं, जो किसी जगह पर उल्का पिंड के गिरने, ज्वालामुखी के फटने या विस्फोट की वजह से बन जाता है. मार्स का ये जजेरो क्रेटर करीब 45 किलोमीटर चौड़ा है. वैज्ञानिकों को अनुमान है कि अरबों साल पहले इस क्रेटर में पानी भरा रहता होगा, जो नदी के रूप में बहता होगा. नदी के साथ बहुत सी चीजों बहकर आती हैं. वैज्ञानिकों ने पहले सैटलाइट तस्वीरों का अध्ययन करके इस जगह पर डेल्टा होने का अनुमान लगाया था. अब पर्सिवियरेंस के अब तक के आकलन से इसकी पुष्टि हो चुकी है. नासा ने इसी जगह पर रोवर उतारने का फैसला इसलिए किया कि मंगल ग्रह पर संभवतः यही ऐसी जगह है, जहां पर प्राचीन काल की जिंदगी के निशान अब तक मिल सकते हैं.
अब अपना मेन काम शुरू करेगा रोवर
पिछले साल मंगल पर उतरने के बाद से पर्सिवियरेंस अपने टूल्स और उपकरणों की टेस्टिंग कर रहा था. अपने आसपास के वातावरण की रीडिंग कर रहा था. उसके साथ जो नन्हा हेलिकॉप्टर भेजा गया था, परीक्षण के तौर पर उसे उड़ाकर देखा जा रहा था. मंगल ग्रह की सतह पर छोटे-मोटे टेस्ट किए जा रहे थे. कुछ चट्टानों में छेद करके वहां से खनिजों के नमूने जुटाए गए हैं. अब तक चार सैंपल जुटा लिए गए हैं. लेकिन पर्सिवियरेंस को जिस मुख्य काम के लिए भेजा गया था, वो अब जाकर शुरू होगा. ये काम है, संभावित जिंदगी के निशान ढूंढना.
सूखी नदी की तलहटी में करेगा तलाश
पर्सिवियरेंस रोवर अब क्रेटर के पश्चिम से ऊपर की ओर चढ़ाई करेगा. इस दौरान चट्टानों को परखेगा. वहां पर संभावित सूखी नदी तली में जमा गाद जैसी चीजों की तलाश करेगा. खनिजों और पोषक तत्वों का पता लगाएगा. मिट्टी और चट्टानों में ऐसी चीजें ढूंढेगा, जिनमें जिंदगी के सबूत हो सकते हैं. इनके सैंपल इकट्ठा करेगा. और वापस लाकर इन सैंपल्स को डिपो में ऐसी जगह पर सुरक्षित रखेगा, जहां से उन्हें धरती पर लाया जा सकेगा. ये काम इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है.
मंगल से सैंपल लाए जाएंगे पृथ्वी पर
नासा की योजना है कि मंगल ग्रह पर डिपो में सुरक्षित रखी इन चीजों को 2030 तक वापस धरती पर ले आया जाए. उसके बाद बड़ी मशीनों के जरिए सूक्ष्मता और गहनता से इनका समग्र परीक्षण किया जाए. इन चीजों को वापस लाने के लिए नासा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर मिशन प्लान कर रहा है. इसके तहत एक रोवर और स्पेसक्राफ्ट मंगल पर भेजा जाएगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये कोई नहीं जानता कि मंगल पर कभी जिंदगी रही या नहीं, लेकिन अगर कभी रही होगी तो उसके सबूत उन्हीं टुकड़ों में मिल सकते हैं, जिन्हें पर्सिवियरेंस रोवर इकट्ठा करेगा.