पृथ्वी जैसे मंगल पर भी मंडराए बादल, नासा के 'Curiosity Rover' ने भेजी रात के नज़ारे की तस्वीरें

पृथ्वी जैसे मंगल पर भी मंडराए बादल

Update: 2021-05-29 07:16 GMT

NASA Curiosity Rover Captures Shining Clouds on Mars: अंतरिक्ष और मंगल ग्रह से जुडे़ रहस्यों की परतें अब धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के क्यूरोसिटी रोवर (Curiosity Rover) ने मंगल पर दिखने वाले बादलों की खूबसूरत तस्वीर ली हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि बादलों को लेकर जो तस्वीर सामने आई हैं, वह उम्मीद से कहीं ज्यादा हैं. अब इनका अध्ययन किया जाएगा. मंगल का वातावरण पतला और सूखा है, इसलिए वहां बादलों का दिखना दुर्लभ माना जाता है. बादल आमतौर पर साल के सबसे ठंडे समय में ग्रह की भूमध्य रेखा पर ही पाए जाते हैं.

मंगल पर जीवन की खोज कर रहे क्यूरोसिटी रोवर ने इससे पहले बादलों का वीडियो भेजा था. रोवर के ट्विटर अकाउंट (Mars Clouds Twitter) से तस्वीर जारी कर लिखा गया है, 'कई बार आपको मंगल पर रुककर चलते हुए बादलों को देखने की जरूरत होती है. यहां बादल वाले दिन काफी दुर्लभ होते हैं क्योंकि वातावरण काफी पतला और सूखा है (Mars Clouds Composition), लेकिन मैंने अपने कैमरे उसपर लगाए रखे और आपके साथ कुछ तस्वीरें साझा करना चाहता हूं.' छह अलग-अलग तस्वीरों को एक फ्रेम में ढाला गया है. बादल माउंट शार्प पर देखे गए हैं (Does Mars Have any Clouds).
GIF भी किए गए शेयर

रोवर के अकाउंट से दो जीआईएफ भी साझा किए गए हैं. इसे लेकर बताया गया है कि बादलों की चमक को 'मदर ऑफ पियर्ल' क्लाउड कहा जाता है (Mars Clouds Rover). एक जीआईएफ में रात के समय बादल चमकते हुए दिखाई दे रहे हैं. इसे नाइट शाइनिंग क्लाउड कहा गया है. जो मंगल पर काफी ऊंचाई पर देखे गए हैं और ऐसा संभव है कि ये सूखी बर्फ से बने हैं. इसके क्रिस्टल को ये प्रकाश सूर्य से मिला है (MARS Atmosphere Clouds). जिसके चलते बादल रात के समय भी चमक रहे हैं. बता दें मंगल और धरती पर बादल बनने की प्रक्रिया पूरी तरह अलग है.
कैसे बनते हैं बादल?
बादल बनने के लिए पानी के कणों को पार्टिकल्स पर ठंडा होकर लगना होता है. ये पार्टिकल्स धरती पर धूल हो सकते हैं, जो हवा के संग ऊपर की ओर जाते हैं. लेकिन मंगल का वातावरण पतला है इसलिए वहां बादलों का बन पाना मुश्किल है. हालांकि ये एक अलग तरह की प्रक्रिया से बने हैं (Mars Clouds GIF). मंगल के बादल 37 मील की ऊंचाई तक चलते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि ये बादल ठंडी कार्बन डायऑक्साइट या सूखी बर्फ से बने हैं. तस्वीरों को रोवर के ब्लैक एंड व्हाइट नैविगेशन कैमरा और मास्क कैमरा से लिया गया है. रात को भी बादल इसलिए चमक रहे हैं क्योंकि इसके बर्फ वाले क्रिस्टल्स ने सूर्य की रोशनी को अपने अंदर खींच लिया है.
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