शनि ग्रह के चंद्रमा टाइटन पर NASA ने भेजेगा अभियान, जानिए क्यों खास है ये
हमारे सौरमंडल (Solar System) के ग्रहों में से शनि (Saturn) के सबसे ज्यादा चंद्रमा हैं
हमारे सौरमंडल (Solar System) के ग्रहों में से शनि (Saturn) के सबसे ज्यादा चंद्रमा हैं. सौरमंडल के सभी चंद्रमाओं में शनि का टाइटन (Titan) सबसे अलग पिंड है. यह इकलौता ऐसा चंद्रमा है जहां वायुमंडल भी है और उसके सतह पर तरलता भी पाई जाती है. यहां तक कि यहां की जलवायु पृथ्वी के जैसी बताई जाती है. यहां पानी की जगह मीथेन की बारिश होती है. लेकिन वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि क्या यहां जीवन भी है. ऐसे कई सवालों के जवाब के लिए नासा ने टाइटन पर ड्रैगनफ्लाई अभियान भेजने का फैसला किया है जिसके लक्ष्यों की घोषणा उसने हाल ही में की. (तस्वीर: NASA)
नासा (NASA)के ड्रैगनफ्लाई अभियान (Dragonfly Mission) में साल 2030 तक एक रोटोक्राफ्ट भेजा जाएगा जो टाइटन (Titan) की सतह के अवलोकन करेगा. नासा ने प्लैनेटरी साइंस जर्नल में 'साइंस गोल्स एंड ऑब्जेक्टिव्स फॉर द ड्रैगनफ्लाई टाइटन रोटोक्राफ्ट रीलोकेटेबल लैंडर' नाम से शोधपत्र प्रकाशित किया है. इसके लक्ष्यों में रासायनिक जैवसंकेतों का अनुसंधान, टाइटन के मीथेन चक्र, वहां के वायुंमडल का अध्ययन, जीवन की शुरुआत के पर्व का रसायन विज्ञान का अध्ययन शामिल है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: NASA)
इस अध्ययन के सह लेखक एलेक्स हेस का कहना है कि जिन सवालों के जवाब खोजे जा रहे हैं वे बहुत विस्तृत हैं. क्योंकि हमें जरा भी अंदाजा नहीं है कि टाइटन (Titan) की सतह पर आखिर हो क्या रहा है. नासा का कैसिनी (Cassini) 13 साल से शनि (Saturn) का चक्कर लगा रहा है लेकिन टाइटन के मीथेन वाले मोटे वायुमंडल के कारण वहां की सतह के पदार्थों के बारे में जानकारी हासिल करना संभव नहीं हो सका है. कैसिनी के राडार ने वहां की कुछ आकृतियों के बारे में जानकारी जरूर दी है, लेकिन उनकी संरचना के बारे में कुछ पता नहीं लग सका है
हेस ने बताया है पहले यह तक पता नहीं चल सका था कि टाइटन (Titan) की सतह पर जो तरल महासागर फैले हैं वे मीथेन (Methane) हैं या ईथेन के हैं या फिर बर्फ और किसी जैविक ठोस पदार्थ की ठोस सतह है. साल 2005 में टाइटन की सतह पर उतरा ह्यूजन्स इस तरह से डिजाइन किया गया था जो वहां की ठोस सतह पर उतरने के साथ वहां के तरल मीथेन या ईथेन महासागर में तैर भी सकता था. इसके प्रयोग वहां के वायुमंडल के लिए ज्यादा थे क्योंकि तब यह सुनिश्चित नहीं था कि वह सतह पर उतर भी पाएगा या नहीं. लेकिन ड्रैगनफ्लाई अभियान (Dragonfly Mission) सतह की पड़ताल करेगा.
अपने पूरे करियर में केवल टाइटन (Titan) पर ही काम कर रहे हेस का कहना है कि इस अभियान से टाइटन की सतह पर होने वाली प्रक्रियाएं समझने में मदद मिलेंगी. ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly Mission) की तस्वीरें टाइटन की सतह को लेकर लगाए गए अब तक सभी अनुमानों की पुष्टि कर सकेंगीं. वे कैसिनी के अवलोकनों से पैदा हुए सवालों के जवाबों को पता लगाने के लिए खास तौर पर इच्छुक हैं जिसमें वहां की सतह की प्रक्रिया और सतह वायुमंडल की अंतरक्रियाएं प्रमुख हैं.
ड्रैगनफ्लाई (Dragonfly) टाइटन (Titan) की किसी एक जगह पर पूरे एक दिन रहेगा जो पृथ्वी के 16 दिन के बराबर होता है. इस दौरान वह वैज्ञानिक प्रयोग और अवलोकन करेगा और फिर नई जगह उड़ जाएगा. पिछली जगहों के अवलोकनों के आधार पर ही वैज्ञानिकों की टीम तय करेगी के वह अपनी अगली उड़ान पर क्या करेगा. मंगल ग्रह (Mars) पर भेजे गए रोवर भी इसी तरह से काम कर रहे हैं. टाइटन का गुरुत्व पृथ्वी का सातवां हिस्सा है लेकिन मोटा वायुमंडल चार गुना घना है. इससे यहां के हालात वायु यान के लिए आदर्श हो जाते हैं. यहां का शांत वायुंमंडल और पृथ्वी से हलकी हवाएं ड्रैगनफ्लाई के लिए और मुफीद हो जाता है.
नासा (NASA) के इस शोधपत्र में प्रीबायोटिक रसायन विज्ञान से संबंधित सवालों में ज्यादा जोर दिया गया है. पृथ्वी (Earth) के निर्माण के बाद शुरू में पाए जाने वाले बहुत सारे प्रीबायोटिक रासायनिक यौगिक, टाइनट के वायुमंडल में पाए जाने के संकेत मिले हैं. हेस जानना चाहते हैं कि टाइट पृथ्वी की दिशा में कितना आगे बढ़ा है.क्योंकि टाइनट के वायुमंडल में वैसा ही माहौल है जैसा शुरुआती पृथ्वी में था. ड्रैगनफ्लाई अभियान (Dragonfly Mission) के रासायनिक जैवसंकेतों की खोज काफी विस्तृत होगी. इसकी आवासीयता के साथ यहां के पानी आधारित जीवन के साथ हाइड्रोकार्बन के तरल बड़े पिंडों में जीवन के संकेतों की खोज भी की जाएगी.