NASA: सूर्य की सतह पर दिखा बड़ा छेद, वैज्ञानिकों ने दी ये चेतावनी

अंतरिक्ष के मौसम पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है.

Update: 2021-11-20 14:46 GMT

वॉशिंगटन। अंतरिक्ष के मौसम पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सूरज के सतह पर हो रहे बदलाव के कारण पृथ्वी से बड़ा सौर तूफान टकरा सकता है। उन्होंने कहा कि सूर्य के सतह यानी कोरोना पर एक छेद देखा गया है। इस छेद से लगातार आवेशित कणों की बौछार हो रही है। इन कणों के इस हफ्ते के अंत में पृथ्वी के वायुमंडल से टकराने की संभावना है।

शनिवार-रविवार को हो सकती है टक्कर
नासा के सोलर डायनेमिक ऑब्जर्वेटरी (एसडीओ) ने सूर्य के बाहरी वातावरण कोरोना में एक बड़े "कोरोनल होल" का पता लगाया है। सूरज के दक्षिणी क्षेत्र में खुले इस होल से आवेशित कणों की एक धारा निकल रही है। ये आवेशित कण शनिवार या रविवार को धरती के वायुमंडल से टकरा सकते हैं।
उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में देखने को मिलेगी रंन रोशनी
स्पेसवेदर की रिपोर्ट के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के मैग्नेटोस्फीयर में कुछ मामूली भू-चुंबकीय हलचल हो सकती है। पृथ्वी की ओर बढ़ने वाली धारा से ध्रुवीय क्षेत्रों में कुछ सुंदर अरोरा प्रभाव उत्पन्न होने की उम्मीद है। इससे उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों के आसमान में हरे रंग की रोशनी देखने को मिल सकती है।
सोलर मेक्सिमम में तेजी से बदलेंगे अंतरिक्ष के हालात
नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर (एसडब्ल्यूपीसी) के एक प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर बिल मुर्तघ ने बताया कि पिछले कई वर्षों में हमने सूरज में काफी कम हलचल देखी है। ऐसा अधिकतर सोलर मिनिमम के दौरान ही होता है। लेकिन, अब हम सोलर मैक्सिमम की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह साल 2025 में सबसे अधिक तेज होगा।
सूरज से भी ज्यादा प्रभावित करता है सौर तूफान
उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते के सौर तूफानों ने दिखाया है कि सोलर एक्टिविटी सूर्य से भी ज्यादा प्रभावित कर सकती है। जब यह पृथ्वी पर पहुंचता है, तो सोलर आउटब्रस्ट के कारण स्पेस वेदर नाम की घटनाओं की एक सीरीज पैदा करता है। इससे न केवल हमारी सैटेलाइट्स प्रभावित होती हैं, बल्कि ध्रुवीय इलाकों में रात के समय सुंदर अरौरा भी देखने को मिलता है।औरोरा कब दिखता है?
औरोरा तब प्रकट होता है जब पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र चैनल के इलेक्ट्रिकली चार्ज्ड सोलर पॉर्टिकल्स ध्रुवों की ओर जाते हैं। यहां ये कण पृथ्वी के वायुमंडल के साथ परस्पर क्रिया करते हैं। इससे चमकीले हरे रंग की रिबन जैसी रोशनी पैदा होती है। जब सोलर फ्लेयर ऐसे कणों को बड़ी संख्या में पृथ्वी के वायुमंडल की ओर भेजते हैं तो यह रोशनी आसमान में दिखाई देती है।
सौर तूफान का पृथ्वी पर असर क्या होता है?
सौर तूफान के कारण धरती का बाहरी वायुमंडल गरमा सकता है जिसका सीधा असर सैटलाइट्स पर हो सकता है। इससे जीपीएस नैविगेशन, मोबाइल फोन सिग्नल और सैटलाइट टीवी में रुकावट पैदा हो सकती है। पावर लाइन्स में करंट तेज हो सकता है जिससे ट्रांसफॉर्मर भी उड़ सकते हैं। हालांकि, आमतौर पर ऐसा कम ही होता है क्योंकि धरती का चुंबकीय क्षेत्र इसके खिलाफ सुरक्षा कवच का काम करता है। अंतरिक्ष का क्षेत्र जो पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का प्रभुत्व है।
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