चेन्नई, (आईएएनएस)| विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही और वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा कमाया गया मुनाफा अच्छा संकेत है, इससे इन बैंकों में विनिवेश में तेजी नहीं आएगी।
7 नवंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 12 पीएसबी ने वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही और वित्त वर्ष 23 की पहली छमाही के दौरान शानदार लाभ अर्जित किया।
सीतारमण ने एक ट्वीट में कहा, एनपीए को कम करने और पीएसबी के मजबूत करने के लिए हमारी सरकार के निरंतर प्रयास अब ठोस परिणाम दिखा रहे हैं। सभी 12 पीएसबी ने वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में 25,685 करोड़ रुपये का लाभ और वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में 40,991 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ घोषित किया, जो पहले के मुकाबले क्रमश: 50 प्रतिशत और 31.6 फीसदी अधिक है।
विशेषज्ञों के अनुसार उधार और जमा दरों के बीच आर्ब्रिटेज, उच्च ऋण मांग और कम ऋण प्रावधान के कारण सार्वजनिक उपक्रमों ने इस वित्त वर्ष में अच्छा मुनाफा कमाया।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक आनंद दामा ने आईएएनएस को बताया, हम मानते हैं कि पीएसबी ने दूसरी तिमाही में अच्छा लाभ हासिल किया है, मुख्य रूप से क्रेडिट ग्रोथ में सार्थक सुधार, एसेट री-प्राइसिंग के पीछे मार्जिन और कम लोन लॉस प्रोविजन के कारण बैंकों को पुराने एनपीए पर अच्छी तरह से प्रोविजन किया गया है, जबकि बेहतर रिकवरी ट्रेंड के कारण नया एनपीए फॉर्मेशन कम रहा है।
दामा ने कहा, हमारा मानना है कि पीएसबी बेहतर क्रेडिट ग्रोथ, मार्जिन अपटिक और कम लोन लॉस प्रावधानों से लाभान्वित होते रहेंगे, लेकिन जी-सेक यील्ड मूवमेंट पर नजर रखने की जरूरत है क्योंकि यह ट्रेजरी के मोर्चे पर पीएसबी को थोड़ा नुकसान पहुंचा सकता है और द्विपक्षीय वेतन वार्ता को भी प्रभावित कर सकता है।
ऐसे में सरकार क्या विनिवेश की प्रकिया तेज करेगी? इस सवाल पर एक विश्लेषक ने आईएएनएस को बताया, अच्छे नंबर सरकार को विनिवेश के लिए प्रेरित नहीं कर सकते हैं। सरकारी बैंक बड़े हैं और उन्हें वहन करने वाले बहुत कम हैं। दूसरे, नियम कॉपोर्रेट समूहों को बैंकों का अधिग्रहण करने की अनुमति नहीं देते हैं।
विशेषज्ञ के मुताबिक किसी दूसरे बैंक को बेचने से पहले आईडीबीआई बैंक का विनिवेश होना चाहिए।
सरकार ने आईडीबीआई बैंक में विनिवेश के लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) आमंत्रित किया है। योजना के अनुसार भारतीय जीवन बीमा निगम और केंद्र सरकार द्वारा संयुक्त रूप से रखी गई 60 प्रतिशत हिस्सेदारी बेची जाएगी।
एलआईसी आईडीबीआई बैंक में अपनी हिस्सेदारी 49.2 फीसदी से घटाकर 19 फीसदी करेगी, जबकि सरकार अपनी हिस्सेदारी 45.5 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करेगी।
ईओआई की शर्तों के अनुसार निजी क्षेत्र के बैंक, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (एनबीएफसी), विदेशी बैंक और सेबी द्वारा पंजीकृत वैकल्पिक निवेश कोष भी आईडीबीआई बैंक के लिए बोली लगा सकते हैं।