देश में बढ़ रहा बर्ड फ्लू, क्या इस दौरान चिकन खाना स्वास्थय के लिए लाभदायक है

बर्ड फ्लू एक ऐसी बीमारी जो मुर्गियों को होती है. इसे मुर्गियों का कोरोना समझ लीजिए. पर ये बीमारी सिर्फ़ मुर्गियों तक नहीं रुकती. ये उनसे इंसानों में आ सकती है. और फिर एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकती है.

Update: 2021-01-16 10:43 GMT

बर्ड फ्लू. ये दो शब्द सुनते ही दिमाग में क्या आता है? एक ऐसी बीमारी जो मुर्गियों को होती है. इसे मुर्गियों का कोरोना समझ लीजिए. पर ये बीमारी सिर्फ़ मुर्गियों तक नहीं रुकती. ये उनसे इंसानों में आ सकती है. और फिर एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल सकती है. ऐसा कम होता है. पर हो सकता है. अभी तक देश के कई राज्यों में ये फ्लू फैल चुका है. राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा. कुछ और भी राज्य हैं. यहां पोल्ट्री, कौओं और कुछ चिड़ियों के अचानक मर जाने की ख़बरें आ रही हैं. तो आज बात करते हैं इस फ्लू के बारे में. डॉक्टर्स से जानते हैं उस एक ज़रूरी सवाल का जवाब जो सबके मन में है. क्या चिकन खाने से बर्ड फ्लू हो सकता है? साथ ही जानते हैं कि बर्ड फ्लू क्यों हो जाता है और इससे बचने का क्या तरीका है.

बर्ड फ्लू क्या है?


बर्ड फ्लू एक वायरल इन्फेक्शन है, इसे एवियन फ्लू भी कहते हैं. ये इन्फ्लुएंजा वायरस से होता है. इंफ्लुएंजा वायरस के कई टाइप के स्ट्रेन होते हैं. बर्ड फ्लू मुख्य रूप से टाइप A के H5N1 स्ट्रेन से होता है. इस वायरस के ज़्यादातर इन्फेक्शन पक्षियों में ही होते हैं, लेकिन ये इन्फेक्शन इंसानों में भी हो सकता है.

कॉमन फ्लू से कैसे अलग है बर्ड फ्लू?

बर्ड फ्लू नॉर्मल फ्लू से ज़्यादा सीवियर और जानलेवा इन्फेक्शन है. ये शरीर के सभी अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है. इसमें मरीज़ को ज़्यादा कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं. बर्ड फ्लू का मृत्युदर भी नॉर्मल फ्लू से ज़्यादा है. बर्ड फ्लू होने पर 60 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है.

क्यों हो जाता है बर्ड फ्लू?

-इंसानों पर बर्ड फ्लू बीमार, मरे हुए या संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से होता है

-ये वायरस, पक्षियों के नेज़ल सेक्रीशन (नाक से निकलने वाला तरल), मल और उनके अंडों में होता है

-जब कोई संक्रमित या मरे हुए पक्षी को छूता है या हैंडल करता है तो ये वायरस हाथों द्वारा हमारे शरीर में पहुंच सकता है

-अगर कोई बीमार पक्षी को, या उसके अंडे को बिना ठीक से पकाए खाता है तो उससे भी ये वायरस शरीर में पहुंच सकता है

-बर्ड फ्लू एक बीमार इंसान से दूसरे इंसान में भी हो सकता है, लेकिन ये बहुत कम होता है. इसकी संभावना बहुत कम है

-मुख्य रूप से ये बर्ड से ही इंसानों में होता है

क्या बर्ड फ्लू के दौरान नॉन वेज खा सकते हैं?

अगर आप नॉन वेज खाते हैं. चिकन और अंडा खाते हैं, तो WHO (वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन) की गाइडलाइन्स के मुताबिक, जब भी चिकन या अंडा घर में लाएं, उसके बाद अच्छे से हाथ धोएं. सफ़ाई-सफाई का पूरा ध्यान रखें. बनाते वक़्त उसे अच्छे से पकाएं. कभी आधा-कच्चा या बिन पका न छोड़ें. पूरी तरह से पकाकर और अंडे को उबालकर ही खाएं. ये देखा गया है कि बर्ड फ्लू का वायरस अगर किसी चीज़ में है और उसे 30 मिनट टक 70 डिग्री तापमान पर पकाएं तो ये वायरस मर जाता है.

बर्ड फ्लू क्यों होता है, ये आपने जान लिया. आप नॉन वेज खा सकते हैं या नहीं, इसका जवाब भीआपको मिल गया. अब बात करते हैं लक्षणों की. कैसे पता चलेगा किसी को बर्ड फ्लू हो गया है. साथ ही इसका बचाव और इलाज क्या है?


इंसानों में बर्ड फ्लू के लक्षण क्या हैं?

– बर्ड फ्लू के शुरुआती लक्षण कॉमन फ्लू वाले हो सकते हैं जैसे तेज़ बुखार, खांसी, गले में दर्द, खराश.

– इसके अलावा आंखें लाल होना, उल्टी, दस्त, सीने या पेट में दर्द.

– बीमारी बढ़ने पर मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है.

– इन्फेक्शन ब्रेन तक भी पहुंच सकता है, जिससे मरीज़ को बेहोशी और मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं. इससे मरीज़ की जान भी जा सकती है.

इंसानों पर बर्ड फ्लू बीमार, मरे हुए या संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से होता है


बर्ड फ्लू से कैसे बच सकते हैं आप?

-बीमार और मरी हुई बर्ड्स से दूरी बनाएं

-बर्ड्स को हाथ लगाने के बाद हाथों को अच्छे से धोएं

-अगर आप नॉन वेज खाते हैं तो अंडे और चिकन हो खाने से पहले अच्छी तरह से पकाएं

-कच्चा या आधा पका हुआ अंडा कभी न खाएं

-अगर आपके आसपास पक्षी बीमार हो रहे हैं या मर रहे हैं तो लोकल अथॉरिटी को तुरंत बताएं

-बर्ड फ्लू की वैक्सीन उपलब्ध है, लेकिन वो रूटीन के तौर पर नहीं दी जाती है. ये वैक्सीन जिन लोगों को इन्फेक्शन होने का ज़्यादा रिस्क है, उन्हीं को दी जाती है.

बर्ड फ्लू का इलाज क्या है?

बर्ड फ्लू के लक्षण दिखने पर गले और नाक से स्वॉब लिया जाता है, इसे टेस्ट के लिए भेजा जाता है.

– एंटी वायरल दवाइयां दी जाती हैं

-लक्षणों के आधार पर मरीज़ को ऑक्सीजन थेरैपी, IV फ्लूइड, और अन्य दवाइयां भी दी जाती हैं

-बीमारी बढ़ जाने पर मरीज़ को वेंटीलेटर पर भी रखना पड़ता है

ऊपर बताई गयी सभी बाते स्वास्थ्य विभाग  से ली गयी है, चिकन और अंडा अच्छे से पकाकर खाएं. और साथ ही  अपना और अपनों की सेहत का ख्याल रखें.

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