बाकी देशों की तुलना से वैक्सीन की दौड़ में पिछड़ा चीन, जानें किन देशों ने लिया वैक्सीन को लेकर महारत

कोरोना वायरस संकट के बीच चीन की काफी चर्चा हुई.

Update: 2021-01-01 09:28 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| कोरोना वायरस संकट के बीच चीन की काफी चर्चा हुई.इस दौरान चीन पर कई आरोप भी लगे कि दुनियाभर में आए इस संकट के लिए चीन ही जिम्मेदार है. इसके बाद भी चीन की वैक्सीन को लेकर काफी चर्चा हुई. चीन अन्य देशों की तरह सबसे पहले वैक्सीन बनाने की दौड़ में भी था, लेकिन कुछ दिनों से चीन इन खबरों से गायब हैं. जहां एक और अन्य देश वैक्सीन को हरी झंडी दे रहे हैं या नई वैक्सीन बना रहे हैं, वहीं चीन की स्पीड काफी कम नज़र आ रही है.

दरअसल, वैक्सीन की दौड़ में चीन की स्पीड कम होने की वजह यह है कि चीन अपनी वैक्सीन का अलग अलग चरण पर ट्रायल कर रहा है और यह ट्रायल कई महीनों से चला आ रहा है. लंबे रिसर्च और ट्रायल के बाद चीन ने गुरुवार को एक वैक्सीन को शर्तों के साथ मंजूरी दी है.

हालांकि, अभी भी चीन ने अपनी वैक्सीन के डेटा को लेकर कोई जानकारी नहीं दी है. ऐसे में जानते हैं कि अब चीन की वैक्सीन की प्रोगेस कहां तक पहुंची हैं और चीन किस तरह वैक्सीन पर काम कर रहा है…

क्या है चीन का वैक्सीन प्रोजेक्ट?

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन पांच वैक्सीन पर काम कर रहा है. चीन में सिनोवैक बायोटैक, चाइना नेशनल फार्मास्यूटिकल ग्रुप (Sinopharm), CanSinoBIO और चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंस की वैक्सीन पर ट्रायल हो रहा है. हालांकि, अभी तक किसी भी संस्था ने वैक्सीन के फॉर्मूला या अन्य कोई जानकारी शेयर नहीं की है. अभी गुरुवार को Sinopharm की एक वैक्सीन को मंजूरी मिली है और माना जा रहा है कि इसकी 79.34 सक्सेस रेट है.

क्यों धीरे है चीन की स्पीड?

चीन की उन देशों की बाकी देशों की तुलना से वैक्सीन की दौड़ में पिछड़ा चीन जानें किन देशों ने लिया वैक्सीन को लेकर महारतबाकी देशों की तुलना से वैक्सीन की दौड़ में पिछड़ा चीन जानें किन देशों ने लिया वैक्सीन को लेकर महारतमें स्पीड काफी धीरे है, जो कोविड-19 वैक्सीन पर काम कर रहे हैं. दरअसल, चीन कई महीनों से अलग-अलग तरह के ट्रायल करवा रहा है और लोगों को वैक्सीन दे रहा है. चीन ने अपना ये प्रोजेक्ट तो जुलाई में ही शुरू कर दिया था. उस दौरान ही चीन ने साइनोफार्मा की दो वैक्सीन और सिनोवैक के कोरोनावैक का 4.5 मिलियन लोगों पर ट्रायल किया था. चीन वैसे तो अभी तक 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दे चुका है. इससे पहले चीन ने सैनिकों के लिए कैनसिनोबीओ की एक वैक्सीन को मंजूरी दी थी.

किस तरह की टेक्नोलॉजी का हो रहा है इस्तेमाल?

सिनोफार्मा और सिनोवैक की वैक्सीन पारंपरिक तकनीक पर आधारित हैं, जो निष्क्रिय या मृत वायरस का इस्तेमाल करते हैं. इससे इंसान के इम्युनिटी सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए काम करता है. नेशनल हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन ने भी इसकी जानकारी दी थी.

किन देशों ने जताया है भरोसा?

हिंदू की इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन की वैक्सीन पर कुछ देश विश्वास जता रहे हैं. यूएई भी इस महीने जनता को एक चीनी वैक्सीन रोलआउट करने वाला पहला देश बन गया. वहीं, पाकिस्तान ने भी सिनोफार्मा के साथ 1.2 मिलियन वैक्सीन खरीदने की घोषणा की थी. वहीं, सिनोवैक की कोरोनावैक के साथ ब्राजील, इंडोनेशिया, तुर्की, चिली और सिंगापुर ने साइन किया है. कंपनी मलेशिया और फिलीपींस के साथ भी बातचीत कर रही है और मेक्सिको के साथ भी एक डील फाइनल हुई है.

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