जापानी स्पेस एजेंसी ने सुझाया, मंगल के चांद पर की जाए तलाश
हमारे वैज्ञानिकों के दिमाग पर मंगल (Mars) ग्रह ऐसा छाया हुआ है कि उन्हें उसके उपग्रहों का ख्याल ही नहीं आता है
हमारे वैज्ञानिकों के दिमाग पर मंगल (Mars) ग्रह ऐसा छाया हुआ है कि उन्हें उसके उपग्रहों का ख्याल ही नहीं आता है. मंगल ग्रह का नक्शा तक बनाने में हमारे वैज्ञानिक सफल हो चुके हैं. यहां कई देशों के उपग्रह और रोवर पहुंच चुके हैं जो जीवन के संकेतों के अध्ययन की तमाम संभावनाएं तलाश रहे हैं. इधर पर पृथ्वी पर भी मंगल पर मानव अभियान ले जाने से लेकर कई तरह के शोध और प्रयोग जारी हैं. लेकिन जापानी स्पेस एजेंसी जाक्सा (JAXA) के नए अध्ययन में सुझाया गया है कि वैज्ञानिकों को मंगल के चंद्रमा फोबोस (Phobos) पर भी पुरातन जीवन के संकेत खोजने चाहिए. .
दरअसल वैज्ञानिकों का मानना है कि भले ही अभी मंगल (Mars) पर जीवन का कोई रूप मौजूद ना हो, लेकिन इस बात की प्रबल संभावना है कि कभी यहां जीवन (life on mars) रहा होगा और उसके सूक्ष्मजीवन के संकेतों के प्रमाण आज भी हासिल किए जा सकते हैं. नासा का पर्सिवियरेंस रोवर इन्हीं के पुष्ट प्रमाण हासिल करने का प्रयास कर रहा है. इसी सिलसिले में जापeनी शोधकर्ताओं का कहा है कि मंगल के चंद्रमा फोबोस (Phobos) पर पुरातन सूक्ष्मजीव संरक्षित हो सकते हैं.
मंगल (Mars) अकेला ग्रह नहीं है क्योंकि उसके पास फोबोस (Phobos) और डिमोस नाम के दो छोटे चंद्रमा हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि मंगल के पूरे इतिहास में बहुत सारे क्षुद्रग्रह (Asteroid) इस लाल ग्रह से टकराए हैं इससे इस ग्रह से टकराने के बाद इससे एक बहुत बड़ा टुकड़ा अलग हुआ और इस अलग हुए पदार्थों से मिलकर उसके चंद्रमा बने हैं. इस तरह से ये चंद्रमा मंगल के ही पुरातन हिस्से हैं. उनका सुझाव है कि चूंकि डिमोस की तुलना में फोबोस मंगल के ज्यादा करीब है. इसमें टकराव के दौरान मंगल का ज्यादा पदार्थ जमा होगा.
शोधकर्ताओं का मानना है कि अगर उस समय मंगल ग्रह (Mars) पर सूक्ष्मजीवन को कोई रूप होगा तो वह टकराव के साथ ही फोबोस (Phobos) तक पहुंच गया होगा. फिर भी फोबोस में रहने लायक हालात नहीं हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि आवासीय लिहाज से यह बहुत अयोग्य है. यहां पानी और हवा बिलकुल नहीं हैं और इसे उच्च स्तर के विकिरणों (Radiation) का सामना करना होता है. इससे यह तो साफ जाहिर है कि यहां कुछ भी जीवित तो मिलने वाला नहीं हैं, लेकिन वहां लाखों करोड़ो साल पुराने प्रमाण जरूर कायम रहे होंगे.
इस तरह के प्रमाणों में ऐसे सक्षम सूक्ष्म जीवी के संकेत शामिल होंगे जो मंगल (Mars) पर जिंदा रहे होंगे जब वह टकराव हुआ होगा और फिर फोबोस (Phobos) तक पहुंचने के बाद उनके अवशेष सुरक्षित जम गए होंगे इसमें उन सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) के डीएनए के टुकड़े भी हो सकते हैं जो पुरातन मंगल से निकलने से पहले प्रक्रियाओं से मुक्त हो चुके थे. यह काफी उत्साहजनक है क्योंकि कोई वायुमंडल ना होने से फोबोस में जीवन के ये संकेत प्राकृतिक टाइम कैप्सूल की तरह संरक्षित रखे होंगे.
इस संभावना की पड़ताल करने के लिए जाक्सा (JAXA) मंगल ग्रह (Mars) के फोबोस (Phobos) चंद्रमा के अन्वेषण के लिए साल 2024 में मार्शियन मून्स एक्सप्रोरेशन (MMX) प्रोब भेजेगा. यह प्रोब फोबोस की सतह पर उतरेगा और वहां की मिट्टी के एक दो नमूने या तो सतह से या फिर गहरे तक जा कर धूल जमा करेगा. इसके बाद यह प्रोब साल 2029 तक पृथ्वी पर नमूने लेकर आएगा. ऐसे में वह लौटते समय एमएमएक्स मंगल के दूसरे उपग्रह डीमोस के भी चक्कर लगाएगा.
फोबोस (Phobos) से लाए जाने वाले इन नमूनों में ऐसे संकेत हो सकते हैं जो बता सकते हैं कि मंगल (Mars) पर कभी जीवन (Life on Mars) था. ये या तो अणुओं के बायोमार्कर के रूप में या फिर वर्तमान में जीवन के संभावित संकेत के रूप में भी हो सकते हैं. (विशेषज्ञों को लगता है कि मंगल पर अभी जीवन की संभव नहीं है). दोनों ही स्थितियों में यह अभियान फोबोस से मंगल के बारे में काफी कुछ सीख सकता है. मंगल पर एक बड़ी समस्या यह है कि वहां इंसानों की उपस्थिति नहीं हैं जिससे वहां अन्वेषण करना काफी चुनौतीपूर्ण है. यही वजह है कि मंगल से नमूनों का हमारे वैज्ञानिक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं.