क्या हमारा दिमाग शब्दों को देखने के लिए पहले से ही है प्री-प्रोग्राम्ड...शोध में हुआ ये खुलासा

Update: 2020-10-30 12:56 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| आपने कभी सोचा है कि किसी भी भाषा को इतनी जल्दी कैसे सीख लेते हैं? दरअसल, मनुष्य दिमाग के एक खास हिस्से के साथ जन्म लेते हैं जो शब्दों और अक्षरों को देखने और ग्रहणशील होने के लिए प्री-वायर्ड होते हैं। यह हिस्सा ही हमें शब्दों को पढऩे में मदद करता है। हाल ही अमरीका की ओहायो यूनिवर्सिटी (Ohio State University) के मनोवैज्ञानिकों ने अपने एक नए अध्ययन में इस बात की पुष्टि की है। अध्ययन के दौरान नवजात शिशुओं के मस्तिष्क स्कैन का विश्लेषण करने पर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि मस्तिष्क का यह हिस्सा जिसे 'दृश्य शब्द रूप क्षेत्र' या विजुअल वर्ड फॉर्म एरिया (VWFA) कहा जाता है, हमारे मस्तिष्क के भाषा नेटवर्क (Language Network) से जुड़ा हुआ होता है। यह शोध ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के क्रॉनिक ब्रेन इंजरी प्रोग्राम के मुख्य संकाय सदस्य प्रोफेसर जीनेप सेगिन ने किया है। ओहायो विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान में स्नातक छात्रों जिन ली और हीथर हेंसन एवं सहायक प्रोफेसर डेविड ऑशर भी इस शोध में शामिल थे। इस अध्ययन के निष्कर्ष हाल ही वैज्ञानिक रिपोर्ट जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं।

ह्यूमन साइंस: हमारा दिमाग शब्दों को देखने के लिए पहले से ही प्री-प्रोग्राम्ड होता है

पहले से ही जानते हैं पढ़ना

शोध के प्रमुख लेखक और ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के सहायक प्रोफेसर जीनेप सेगिन का कहना है कि दिमाग का यह हिस्सा दिखाई पडऩे वाले शब्दों के प्रति संवेदनशीलता विकसित करता है। लेकिन, यह विजुअल वर्ड फॉर्म एरिया केवल साक्षर व्यक्तियों को ही पढऩे में सक्षम बनाता है। कुछ शोधकर्ताओं का विचार था कि प्री-रीडिंग विजुअल वर्ड फॉर्म एरिया दिमाग के विजुअल कॉर्टेक्स (Visual Cortex) के अन्य हिस्सों की ही तरह है जो हमें दूसरों के चेहरे, दृश्य या अन्य वस्तुओं को देखने के लिए संवेदनशील बनाते हैं। बस ये विजुअल कॉर्टेक्स केवल शब्दों और अक्षरों के लिए चयनात्मक हो जाते हैं जब बच्चे शुरू-शुरू में पढ़ना या भाषा सीखने का प्रयास करते हैं। लेकिन प्रोफेसर जीनेप सेगिन का कहना है कि शोध में हमने पाया कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। बल्कि हम दिमाग के इस खास हिस्से के साथ ही जन्म लेते हैं जो शब्दों और अक्षरों को देखने औैर हमारे लिए अधिक ग्रहणशील बनाने के लिए पहले से ही प्री-वायर्ड होते हैं। जन्म के समय भी, यह क्षेत्र अन्य क्षेत्रों की तुलना में मस्तिष्क के भाषा नेटवर्क से अधिक कार्यात्मक रूप से जुड़ा हुआ होता है। यह अविश्वसनीय रूप से एक रोमांचक खोज है।

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40 नवजात व वयस्कों पर अध्ययन

शोधकर्ताओं ने 40 नवजात शिशुओं के दिमाग के एफएमआरआई स्कैन (fMRI Scan) का विश्लेषण किया जो एक सप्ताह से भी कम उम्र के थे। उन्होंने इनकी तुलना ऐसे 40 वयस्कों के दिमाग के एफएमआरआई स्कैन से की। ये सभी नवजात 'डवलपिंग ह्यूमन कनेक्टोम प्रोजेक्ट' का हिस्सा थे। शोधकर्ताओं ने बताया कि वीडब्ल्यूएफ विजुअल कॉर्टेक्स के एक अन्य भाग के बगल में होता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पढ़े-लिखे वयस्कों की तरह नवजात शिशुओं के मस्तिष्क के इन हिस्सों में भी कोई अंतर नहीं था। यानी उनमें पढ़ने, शब्दों और अक्षरों को पहचानने के लिए पहले से एक मैकेनिज्म मौजूद था। विजुअल ऑब्जेक्ट्स जैसे चेहरे में कुछ ऐसे गुण, एंगल, फीचर, कोण होते हैं जो हमें चेहरा याद रखने में मदद करते हैं। शब्दों और अक्षरों के मामले में भी यही थ्योरी लागू होती है। हर शब्द की अपनी बनावट, आकर्षण और किसी खास चीज को परिभाषित करने की विशेषता होती है जैसे ए से एपल, जो वीडब्ल्यूएफ याद रखता है। लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि नवजात शिशुओं में वीडब्ल्यूएफ विजुअल कॉर्टेक्स के उस भाग से अलग था जो चेहरे को पहचानता है। मुख्य रूप से यह मस्तिष्क के भाषा प्रसंस्करण (language processing) हिस्से से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ था।

ह्यूमन साइंस: हमारा दिमाग शब्दों को देखने के लिए पहले से ही प्री-प्रोग्राम्ड होता है

प्री-प्रोग्राम्ड होता है यह हिस्सा

सेगिन का कहना है कि नवजात बच्चों पर किए अध्ययन में हमने पाया कि शब्दों और अक्षरों को पहचानने की यह काबिलियत जन्म के पहले से ही दिमाग में प्री-प्रोग्राम्ड होती है। यानी अपनी भाषा के संपर्क में आए बिना ही हमें शब्दों को देखना और अक्षरों को पहचानना आ जाता है। अध्ययन में नवजात शिुशओं और वयस्कों के वीडब्ल्यूएफ विजुअल कॉर्टेक्स में कुछ अंतर भी पाए गए। हमारा मानना है कि वीडब्ल्यूएफ के साथ बोलने और लिखने की हमारी क्षमता से गहरा संबंध है। क्योंकि यह हमार लैंग्वेज सर्किट से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। जैसे-जैसे व्यक्ति साक्षर होता जाता है यह हिस्सा विजुअल कॉर्र्टेक्स से और अलग होता जाता है। ओहायो स्टेट में सेगिन की प्रयोगशाला वर्तमान में 3 से 4 साल के बच्चों के दिमाग को स्कैन कर रही है, ताकि बच्चों के पढऩा, सीखने से पहले वीडब्ल्यूएफ क्या करता है और इसके अन्य क्या विजुअल खासियतें हैं उनकी पहचान की जा सके।

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डिस्लेक्सिया जैसे विकारों को समझ सकेंगे

दरअसल शोधकर्ताओं का उद्देश्य यह जानना है कि हमारा दिमाग पढऩे और शब्दों को समझने में कैसे सक्षम हो जाता है। सेगिन का कहना है कि व्यक्तिगत परिवर्तनशीलता के बारे में अधिक जानने से शोधकर्ताओं को पढ़ने के व्यवहार में अंतर समझने में मदद मिल सकती है और डिस्लेक्सिया और अन्य विकास संबंधी विकारों के अध्ययन में उपयोगी हो सकता है। नवजात बच्चों में भी यह क्षेत्र मौजूद होता है, इसलिए यह हमें इस तथ्य की जानकारी दे सकता है कि मानव मस्तिष्क कैसे पढऩे की क्षमता विकसित कर सकता है और ऐसा करने में क्या परेशानी आ सकती है? यह ट्रैक करना बहुत महत्वपूर्ण है कि हमारे मस्तिष्क का यह खास क्षेत्र उम्र बढऩे और साक्षर होने के साथ ही कैसे इतनी तेजी से विशिष्ट होता जाता है। 

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