क्या खौलते हुए लावे में भी गिरकर जीवित बचा जा सकता है?
बीते साल के आखिर से लेकर इस साल भी दुनिया के कई हिस्सों में ज्वालामुखी फटने की घटनाएं हुईं.
बीते साल के आखिर से लेकर इस साल भी दुनिया के कई हिस्सों में ज्वालामुखी फटने की घटनाएं हुईं. पूर्वी इंडोनेशिया में तो माउंट इली लेवोटोलोक नाम के ज्वालामुखी के फटने पर आसमान में किलोमीटरों तक राख और धुआं भर गया था. हजारों लोगों को बचने के लिए रातोंरात पलायन करना पड़ा. वैसे ज्वालामुखी का लावा इतना गर्म होता है कि उसमें समाने से ठीक पहले किसी की मौत हो सकती है, लेकिन अमेरिका में एक शख्स ज्वालामुखी में गिरकर भी बच गया.
कितना होता है तापमान
ज्वालामुखी के खौलते हुए लावे का तापमान लगभग 1000 डिग्री सेल्सियस होता है. ये तापमान इतना है कि गिरते ही या यूं कह सकते हैं कि सतह पर गिरने से थोड़ा सा पहले ही किसी की मौत हो सकती है. यहां तक कि इसके किनारों का तापमान तक 500 डिग्री सेल्सियम के आसपास होता है, जो किसी को गंभीर रूप से जला सकता है. यानी बचना असंभव है लेकिन इस बात को एक अमेरिकी फौजी से गलत साबित कर दिया.
लावा ही नहीं, ज्वालामुखी की गैसें भी खतरनाक तौर पर जहरीली होती हैं- सांकेतिक फोटो (flickr)
विस्फोट को पास से देखने एक शख्स पहुंचा
ये बात है साल 2019 की. अमेरिका के हवाई द्वीप पर दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है किलाएवा ज्वालामुखी. छोटे-मोटे विस्फोट इसमें लगातार होते ही रहते हैं लेकिन साल 2019 की मई में एक काफी बड़ा विस्फोट हुआ. लावा के बौछार आसमान में 150 फीट की ऊंचाई तक जा रही थी. अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण विभाग ने इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर अधिकतम पांच मापी थी. तब भी ये इतना शक्तिशाली था कि लावा गिरने से दूर-दूर तक की सड़कों पर दरारें आ गईं. इस भयानक खतरनाक ज्वालामुखी को पास से देखने के लिए वहां पर तैनात एक अमेरिकी फौजी आ पहुंचा.
हादसे के चलते गिरा अंदर
लगभग 32 साल का ये फौजी हवाई वॉल्केनो नेशनल पार्क में ज्वालामुखी के पास पहुंचकर एक रेलिंग पर चढ़ा भीतर झांकने की कोशिश कर रहा था. इसी दौरान उसका पैर फिसला और वो दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखी में 70 फीट अंदर पहुंच गया. खौलते हुए लावे के पास पहुंचकर भी वो जिंदा रहा, हालांकि गंभीर रूप से जल गया. बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक फौजी को बचाने के लिए डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ के हेलीकॉप्टर की मदद ली गई. वहां रस्सियों और सीढ़ियों के सहारे से उसे निकालकर पास के मेडिकल सेंटर में एयरलिफ्ट किया गया.
लावे की नदी में गिरने पर कुछ ही सेकंड्स के भीतर लंग्स में पहुंची गर्म हवा उसे जला देती है- सांकेतिक फोटो (flickr)
लगातार दी जाती है चेतावनी
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे में किलाएवा ज्वालामुखी को दुनिया के सबसे सक्रिय और खतरनाक ज्वालामुखियों में से एक माना जाता है. साल 2018 में भी ये फटा था, जिस दौरान 22 स्क्वैयर किलोमीटर में फैले सारे घर तबाह हो गए थे. साल 1983 से से ज्वालामुखी लगातार रुक-रुककर फट रहा है, और चेतावनी के बाद भी हर बार कई जानें चली जाती हैं.
जहरीली गैसों के कारण जानें जाती हैं
इसकी एक वजह ये भी है कि ज्वालामुखी के फटने पर लावा के साथ-साथ कई तरह की जहरीली गैसें भी भारी मात्रा में निकलती हैं, जैसे सल्फर डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड. इन गैसों के संपर्क में आने और तुरंत इससे दूर न जाने पर काफी मौतें हो जाती हैं. दूसरी वजह है इसका खौलता हुआ लावा. लगातार फटने के कारण ये लगभग 4 लाख वर्ग किलोमीटर तक फैल चुका है. ड्रोन से भी आसपास के जंगलों में फैला हुआ लावा दिखता है.
ज्वालामुखी फटने पर पहाड़ के मुंह से भारी मात्रा में पिघलते हुए पत्थर, धूल और धुंआ बाहर आते हैं- सांकेतिक फोटो (flickr)
ज्वालामुखी में की खुदकुशी
खौलते हुए ज्लावामुखी या लावे की नदी में गिरने पर कुछ ही सेकंड्स के भीतर लंग्स में पहुंची गर्म हवा उसे जला देती है और शरीर के जलने से पहले ही इंसान की मौत हो सकती है. इन्हीं खतरों के चलते वैज्ञानिक लगातार सक्रिय वॉल्केनोज के पास न जाने की हिदायत देते हैं. हालांकि दुनिया में एक मामला ऐसा भी है, जिसमें एक अमेरिकी ने ज्वालामुखी के लावे में कूदकर खुदकुशी कर ली. हवाई के किलाएवा ज्वालामुखी में साल 2017 में लियो ए़डोनिस नाम के 38 वर्षीय पुरुष ने जान दे दी थी. बाद में ज्वालामुखी के पास का नेशनल पार्क विजिटर्स के लिए बंद कर दिया गया.
कैसे फटता है ज्वालामुखी
ज्वालामुखी मैग्मा यानी पत्थर से मिलकर बना पहाड़ होता है. जब धरती के नीचे जियोथर्मल एनर्जी से पत्थर पिघलने लगते हैं तो नीचे से दबाव ऊपर की आता है. इसी दबाव से पहाड़ फटता है, जिसे ज्वालामुखी का फटना कहते हैं. इस घटना के होने पर पहाड़ में मुंह से भारी मात्रा में पिघलते हुए पत्थर, धूल और धुंआ बाहर आता है, जो जानलेवा होता है. यही वजह है कि ज्वालामुखी को सोता हुआ दानव भी कहा जाता है.
फिलहाल दुनिया में 500 से ज्यादा सक्रिय ज्वालामुखी हैं, जो देर-सवेर फटते रहते हैं. कई से सालों से धूल और गर्म धुआं निकल रहा है लेकिन विस्फोट अब तक नहीं हुआ है. वैज्ञानिक इस बारे में अलर्ट जारी करते रहते हैं लेकिन बहुतों बार ज्वालामुखी का फटना एकदम अचानक होता है.