अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया गंभीर संक्रमण के शिकार मरीजों में जमते हैं खून के थक्के

कोरोना वायरस की जद में आने वाले कुछ मरीजों के शरीर में खून के थक्के क्यों जमने लगते हैं? रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स इन आयरलैंड (आरसीएसआई) के वैज्ञानिक इस रहस्य से पर्दा उठाने में कामयाब रहे हैं।

Update: 2021-06-16 07:13 GMT
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया गंभीर संक्रमण के शिकार मरीजों में जमते हैं खून के थक्के
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कोरोना वायरस की जद में आने वाले कुछ मरीजों के शरीर में खून के थक्के क्यों जमने लगते हैं? रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जन्स इन आयरलैंड (आरसीएसआई) के वैज्ञानिक इस रहस्य से पर्दा उठाने में कामयाब रहे हैं। उनकी खोज चिकित्सकीय भाषा में 'क्लॉटिंग' कहलाने वाली इस समस्या का कारगर इलाज खोजने में मदद करेगी।

डॉ. जेमी ओ सुलिवन के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि गंभीर संक्रमण के शिकार मरीजों में 'वॉन विलब्रैंड फैक्टर (वीडब्ल्यूएफ)' नामक अणु और उसके नियंत्रक 'एडीएएमटीएस-13' के बीच का संतुलन पूरी तरह से बिगड़ जाता है।
'वीडब्ल्यूएफ' मानव शरीर में खून के थक्के बनाने के लिए जिम्मेदार है। इसके चलते क्लॉटिंग की प्रक्रिया अनियंत्रित हो जाती है और मरीजों के शरीर में खून के थक्के जमने लगते हैं। पूर्व में हुए कई अध्ययनों में देखा गया है कि क्लॉटिंग सार्स-कोव-2 वायरस से संक्रमित मरीजों में मौत की मुख्य वजह है।
ऐसे में उम्मीद है कि नया अध्ययन इसे रोकने में कारगर दवाओं के विकास की नींव रखकर कोरोना मृत्यु दर में कमी लाने में मदद करेगा। अध्ययन के नतीजे 'जर्नल ऑफ थ्रॉम्बोसिस एंड हीमोस्टेसिस' के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।


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