तूफान बचा सकते हैं बढ़ते जलस्तर के कारण समुद्र तटों को डूबने से- अध्ययन

Update: 2022-05-13 18:37 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनिया में जहां कहीं भी तेज तूफान (Violent Storms) आते हैं तो उसके आने से पहले ही लोगों को चेतावनी दे दी जाती है. मछुआरों को समुद्र में ना जाने की सलाह दी है. तूफान के गुजरने के बाद उससे समुद्र तटों, आसपास के जानमाल और सम्पत्ति को होने वाले नुकसान का तो आंकलन होता है. लेकिन शायद ही किसी ने सोचा होगा कि इससे कोई फायदा भी होता होगा. एक नए अंतरराष्ट्रीय अध्ययन में दर्शाया गया है कि चरम मौसम की घटनाएं (Extreme Weather Events) समुद्र तटों या बीच (Beaches) को बढ़ते समुद्री जल स्तर के प्रभाव से बचा सकते हैं

इन घटनाओं से गहरे समुद्र का पानी अपने साथ नई रेत (Sand) आती है जो महासागरों और समुद्रों में बढ़ते जल स्तर (Rising Sea Level) के प्रभाव को कम कर सकती है. न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी (UNSW) के डॉ मिशेल हर्ले की अगुआई में हुआ यह अध्ययन गुरुवार को ही नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित हुआ है. डॉ हर्ले ने कहा, "हम जानते हैं कि चरम तूफान समुद्री तटों पर बड़ा अपरदन करने के साथ सम्पत्ति को नुकसान भी पहंचाते हैं. लेकिन पहली बार हमने पानी के ऊपर ही नहीं देखा बल्कि पानी के नीचे की गहराई में भी देखा है. 
शोधकर्ताओं ने पाया कि इन घटनाओं के कारण लाखों क्यूबिक मीटर की रेत (Sand) इन बीच सिस्टम में प्रवेश कर जाती है. यह उतनी ही मात्रा के आसपास की रेत होती है जितनी कि इंजनियरों को एक कृत्रिम बीच बनाने में लग जाती है. रेत की मात्रा लंबे समय में जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण बढ़े समुद्र जल स्तर (Sea Level Rise) की प्रभावों को कम करने के लिए काफी है. चरम तूफानों को देखने का यह एक नया तरीका है. इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने ऑस्ट्रेलिया, यूके और मैक्सिकों के तटीय रेखाओं को शामिल किया जहां तीनों मे ही चरम तूफानों के बाद बीच रिकवरी का एक हलका दौर आता है. 
ऑस्ट्रेलिया में सिडनी के नैराबीन बीच का 2016 में आए तूफान (Storm) के परिपेक्ष्य में वैज्ञानिकों ने उस तट का अध्ययन किया. इसमें बीच और समुद्र के नीचे के तल (Sea Bed) के उच्च विभेदन मापन कर शोधकर्ताओं ने दर्शाया कि तट पर किनारे की रेखा (Shore line) के भीतर भारी मात्रा में समुद्री अवसाद बढ़ गया है. तूफान से पहले और बाद की स्थितियों का सटीक मापन कर उन्होंने तूफान की वजह से रेत की मात्रा की सही तस्वीर हासिल की.
इसी तरह का अध्ययन शोधकर्ताओं ने यूके में कॉर्नवाल पेरानपोर्थ बीच (Perranporth Beach) का 2006 से अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि साल 2013/14 और 2015 /16 की चरम सर्दियों में बहुत सारी रेत (Sand) बह गई थी . लेकिन जब शोधकर्ताओं ने बीच में पानी के नीच को क्षेत्र का शामिल कर कुल रेत का बजट निकाला तो उन्होंने पाया कि बीच में 420 हजार क्यूबिक मीटर की रेत ज्यादा है. उन्होंने पायाकि चरम लहरों ने इस मामले में सकारात्मक योगदान दिया जबकि उसी समय ऊपर के बीच और टीलों में अपरदन जारी था. 
इस विषय में बड़ा सवाल यही है कि समुद्र जल स्तर (Sea Level Rise) बढ़ने के कारण तटीय रेखा (Coastal line) में कितना बदलाव आएगा. तटीय प्रबंधकों को जलवायु परिवर्तन (Climate change) के प्रभावों को दिखाने के लिए यह जानना बहुत जरूरी होता है. इससे पहले ब्रून नियम, जिसके मताबिक एक मीटर समुद्र जलस्तर के उठने पर समुद्री रेखा, तट के ढाल के मुताबिक, करीब 20 से 100 मीटर तक पीछे जा सकती है. लेकिन इस नियम में किनारे के ठीक पास पानी में मौजूद रेत को शामिल नहीं किया गया था. 
इस अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि समुद्र तटों (Beach) में अवसादन की गतिविधियों के आंकलन में चरम तूफानों (Extreme Storms) को शामिल करने की जरूरत है. दुनिया में समुद्र जल स्तर बढ़ने (Sea Level Rise) का क्या प्रभाव हो रहा है इसकेलिए हमें हर बीच पर अलग से अध्ययन करने की जरूरत होगी. तटीय सीमा के तुरंत पास समुद्र तल पर कितनी रेत है इसका भी मापन करने की जरूरत है क्योंकि इसके आकंड़े ही हमारे पास नहीं हैं. हालांकि यह अध्ययन केवल तीन बीच पर किया गया था, यह समुद्री तटों को भविष्य में कैसे समझा जाएगा इसमें बदलाव जरूर ला देगा


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