ब्रिटेन में सैकड़ों बच्चे हेपेटाइटिस की चपेट में, एक्सपर्ट्स ने कही यह बात

कोरोना वायरस अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है.

Update: 2022-04-26 09:56 GMT

लंदन: कोरोना वायरस अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। इसी कारण दुनिया में कई जगहों पर अभी भी लॉकडाउन है। इस बीच एक खबर यह आई है कि दुनिया के कई देशों में बच्चों में तेजी से हेपेटाइटिस (Hepatitis) के मामले बढ़ रहे हैं। ब्रिटेन में यह सबसे ज्यादा तेजी से बढ़े हैं। स्वास्थ्य प्रमुखों की ओर से कहा गया है कि कोविड लॉकडाउन के कारण संभव है कि बच्चों की इम्युनिटी कमजोर हुई हो। उनकी ओर से यह बात तब कही गई है जब दो और ब्रिटिश बच्चों को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है और दर्जनों बीमार हैं।


यूके के स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से कहा गया कि कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन से बच्चे सामान्य संक्रमण में भी नहीं आए, जिसके कारण पूरी दुनिया में इस तरह के मामले बढ़े दिखे हैं। ब्रिटेन में एक महीने में अज्ञात मूल के 114 हेपेटाइटिस के मामले सामने आए हैं, जिसमें से 10 को लीवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है। पहला मामला एक महीने पहले स्कॉटलैंड में सामने आया था, जिसके बाद यूके के स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा था कि जितने मामले उन्हें एक साल में देखने कि उम्मीद थी, उतने तीन महीनों में ही मिले हैं।
बच्चों में दिखे ये लक्षण
ज्यादातर मामले पांच साल से कम उम्र के बच्चों में देखे गए हैं, जो शुरुआत में उल्टी-दस्त से पीड़ित हुए। बाद में उन्हें पीलिया हो गया और उनके आंखों और त्वचा का रंग पीला हो गए। लक्षणों की बात करें तो इन मामलों में बच्चों का पेशाब गहरे रंग का हो गया, वहीं उनका मल भूरे रंग का हो गया। उनकी त्वता पर खुजली और मांसपेशियों में दर्द देखने को मिला। लक्षणों में बुखार, सुस्सती, भूख न लगना और पेट दर्द शामिल हैं। यह बीमारी अमेरिका, आयरलैंड और स्पेन समेत 12 अलग-अलग देशों में भी देखने को मिली है। यूके के अलावा स्पेन में 13, इजराइल में 12, अमेरिका में 11, डेनमार्क में छह, आयरलैंड में पांच, नीदरलैंड्स में चार, इटली में चार, फ्रांस में दो, नॉर्वे में दो, रोमानिया में एक और बेल्जियम में एक मामले सामने आए हैं।

लॉकडाउन भी हो सकता है कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉकडाउन के कारण बच्चों की शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ी है। इसी ने उनकी प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर दिया है और उन्हें सामान्य वायरस के प्रति अधिक संवेदनशील बना दिया है। ऐसे में अगर कोई गंभीर वायरस उनके शरीर में पहुंचता है तो वह उनके लिए बड़ा खतरा हो सकता है। ब्रिटेन के अधिकारियों का यह भी अनुमान है कि किसी भी बच्चे को कोरोना का टीका नहीं लगा है जो उनकी बीमारी का कारण हो सकता है। यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी में क्लिनिकल और इमर्जिंग इंफेक्शन की निदेशक डॉ. मीरा चंद ने बताया कि छोटे बच्चे क्योंकि महामारी के दौरान किसी सामान्य वायरस के संपर्क में भी नहीं आए, इसलिए उनमें इस तरह के मामले ज्यादा हैं।


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