जब किसी का हाथ या पैर खराब हो जाता है. सड़ जाता है. या फिर एक्सीडेंट या बीमारी से बेकार होता है, तब डॉक्टर क्या करते हैं? उसे काटकर शरीर से अलग कर देते हैं. लेकिन यह काम सबसे पहले कब हुआ था. आप जानकर हैरान हो जाएंगे कि 31 हजार साल पहले एक बच्चे का पैर काटकर अलग किया गया था. इसे उस समय के एक्सपर्ट सर्जन ने बॉर्नियो (Borneo) में किया था. यह घटना पाषाण युग (Stone Age) की है.
31 हजार साल पहले एक प्राचीन सर्जन ने बॉर्नियो में एक बच्चे के पैर का निचला हिस्सा काटकर निकाल दिया था. यह बच्चा शिकारी था. इस बात के सबूत आर्कियोलॉजिस्ट ने हाल ही में खोजे हैं. उस समय के हिसाब से यह सर्जरी बेहद खास थी. इस सर्जरी के बाद बच्चा छह से 9 साल तक जीवित रहा था. जब रेडियोकॉर्बन डेटिंग की गई तो ये बातें पता चलीं. इसकी रिपोर्ट जर्नल Nature में प्रकाशित हुई है.
यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी में पोस्टडॉक्टोरल रिसर्च एसोसिएट और बायोआर्कियोलॉजिस्ट मेलांद्री वोक ने कहा कि यह एक बड़ा सरप्राइज है. हैरानी की बात ये है कि वो बच्चा जिसका पैर काटा गया, वो सर्जरी के बाद 6 से 9 साल तक जिंदा रह गया. उसका घाव भर गया था. उसकी त्वचा सूख चुकी थी. इसके बाद भी वह शिकारी बच्चा पहाड़ी इलाके में कई साल तक लकड़ी के सहारे चलता रहा था. यह सर्जरी बताता है कि उस समय लोग अपने समुदाय का कितना ध्यान रखते थे.
अंतरराष्ट्रीय आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने इस बच्चे का कंकाल इंडोनेशिया के बोर्नियो के लियांग तेबो नाम की गुफा में खोजा था. खोज साल 2020 में की गई थी. यह गुफा बेहद कठिन स्थान पर मौजूद है. यहां पर नाव से सिर्फ एक बार ही जाया जा सकता है, वह भी खास मौसम में. कंकाल के एक पैर का निचला हिस्सा बहुत ही बारीकी से काटा गया था. हड्डियों का विकास यह बता रहा था कि वह घाव भरने के बाद किस तरह से सुधरा था. ऐसा लगता है कि पैर इसलिए काटा गया क्योंकि या तो किसी खतरनाक जानवर ने उसपर हमला किया था या फिर उसका कोई हादसा हुआ था.
इससे पहले हाथ या पैर काटने के जो सबूत मिले थे, वो 7000 साल पहले के थे. जो कि एक बुजुर्ग इंसान के थे. जिसका बायां हाथ सर्जरी करके काटा गया था. यह स्टडी भी साल 2007 में Nature Precedings जर्नल में प्रकाशित हुई थी. इससे पहले वर्तमान इंसानों को लगता था कि प्राचीन समय में हाथ या पैर काटने की सर्जरी की जानकारी लोगों को नहीं थी. लेकिन अब लगता है कि उस समय भी इंसानों को इस चीज की जानकारी थी.
ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के जियोकेमिस्ट और आर्कियोलॉजिस्ट मैक्सम ऑबर्ट ने कहा कि सिर्फ इतना ही नहीं इस खोज से यह भी पता चला का पाषाण युग के इंसानों को हाथ-पैर के नर्वस सिस्टम, नसों और खून के बहाव आदि की भी जानकारी रही होगी. कैसे अधिक खून को रोका जाए या फिर शरीर में फैलते संक्रमण को कैसे रोका जाए. साथ ही यह भी पता लगता है कि उस समय एशिया में सर्जरी का यह तरीका खोज निकाला गया था. वह भी सुरक्षित तरीके से.
सोर्स- aajtak.in