धरती के बेहद करीब से गुजरेंगे विशाल ऐस्टरॉइड, जानें कितना खतरा?

आने वाले दिनों में दो विशाल ऐस्टरॉइड धरती के करीब से गुजरने वाले हैं। ये दोनों अमेरिका की एंपायर स्टेट बिल्डिंग के बराबर हैं।

Update: 2021-01-22 07:10 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| वॉशिंगटन: आने वाले दिनों में दो विशाल ऐस्टरॉइड धरती के करीब से गुजरने वाले हैं। ये दोनों अमेरिका की एंपायर स्टेट बिल्डिंग के बराबर हैं। NASA के सेंटर फॉर नियर ऑब्जेक्ट स्टडीज के मुताबिक इस शनिवार को ये दोनों ऐस्टरॉइड्स सुरक्षित दूरी से निकल जाएंगे। ये दोनों ऐस्टरॉइड सुरक्षित दूरी से गुजर जाएंगे। इनके कारण धरती को किसी तरह के नुकसान की आशंका नहीं है।

पहला ऐस्टरॉइड 2020P 23 जनवरी यानी शनिवार को धरती से 43 लाख मील दूर से निकल जाएगा। यह चौड़ाई में करीब 370 मीटर है और इसकी गति 18,700 मील प्रति घंटा रहने की संभावना है। वहीं, दूसरा ऐस्टरॉइड 2010 JE87 है जो आने वाले सोमवार यानी 25 जनवरी को धरती के करीब से गुजरेगा। इसकी दूरी 37 लाख मील होगी। यह ऐस्टरॉइड 430 मीटर का है।
इंसान से पहले चांद पर पहुंच चुके थे डायनोसॉर? किताब में दावा, महाविशाल ऐस्टरॉइड का था नतीजा
ब्लॉगर मैट ऑस्टिन ने किताब का कुछ हिस्सा ट्विटर पर शेयर किया है। दरअसल माना जाता है कि डायनोसॉर के विलुप्त होने के पीछे एक ऐस्टरॉइड की धरती से टक्कर वजह थी। किताब में दावा किया गया है कि जब यह ऐस्टरॉइड धरती से टकराया तो मलबा चांद पर जा पहुंचा। ब्रैनन एक अवॉर्ड विजेता विज्ञान पत्रकार हैं। उन्होंने सिखा है कि यह ऐस्टरॉइड माउंट एवरेस्ट से भी ज्यादा विशाल था और किसी तेज गोली से भी ज्यादा रफ्तार से यह धरती की ओर आया था।
किताब में जियोफिजिसिस्ट मारियो रेबोलेडो के हवाले से लिखा गया है कि ऐस्टरॉइड का अटमॉस्फीरिक प्रेशर इतना ज्यादा था कि उसकी टक्कर से पहले ही जमीन में गड्ढा होने लगा था। इसमें लिखा गया है कि यह ऐस्टरॉइड इतना विशाल था कि वायुमंडल में दाखिल होने पर उसे कोई नुकसान नहीं हुआ और वह पूरी तरह जमीन पर आ पहुंचा। ब्रैनन का कहना है कि ऐस्टरॉइड से पैदा हुए दबाव की वजह से ऊपर आसमान में हवा की जगह वैक्यूम पैदा हो गई थी।
इस वैक्यूम को भरने के लिए हवा बही तो धरती के टुकड़े कक्षा से भी आगे निकल गए। ब्रैनन ने रिबोलेडो से पूछा कि हो सकता है कि डायनोसॉर की हड्डियां चांद पर हों, तो रिबोलेडो ने कहा, हो सकता है। ऐस्टरॉइड के गिरने से 120 मील का गड्ढा हो गया था, चट्टानें भाप हो गई थीं और आसमान में अरबों टन सल्फर और कार्बनडायऑक्साइड आ गया था। इससे पैदा हुई धूल ने सूरज की रोशनी को ब्लॉक कर दिया होगा जिससे सर्दियों जैसा तापमान हो गया होगा, आसमान से एसिड की बारिश हुई और 75% जीव खत्म हो गए।
धरती को कितना नुकसान?
वायुमंडल में दाखिल होने के साथ ही आसमानी चट्टानें टूटकर जल जाती हैं और कभी-कभी उल्कापिंड की शक्ल में धरती से दिखाई देती हैं। ज्यादा बड़ा आकार होने पर यह धरती को नुकसान पहुंचा सकते हैं लेकिन छोटे टुकड़ों से ज्यादा खतरा नहीं होता। वहीं, आमतौर पर ये सागरों में गिरते हैं क्योंकि धरती का ज्यादातर हिस्से पर पानी ही मौजूद है।
अगर किसी तेज रफ्तार स्पेस ऑब्जेक्ट के धरती से 46.5 लाख मील से करीब आने की संभावना होती है तो उसे स्पेस ऑर्गनाइजेशन्स खतरनाक मानते हैं। NASA का Sentry सिस्टम ऐसे खतरों पर पहले से ही नजर रखता है। इसमें आने वाले 100 सालों के लिए फिलहाल 22 ऐसे ऐस्टरॉइड्स हैं जिनके पृथ्वी से टकराने की थोड़ी सी भी संभावना है।


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